गरीबी में अपने मान सम्मान को अक्षुण रखना बहुत बड़ी बात है।
प्रेरणाएँ कहीं से भी आ सकती हैं और किसी भी जगह से। उसके लिए जगह, वजह की भी जरुरत नहीं होती। अकसर प्रेरणाएँ ज़िन्दगी को निखारने का काम करती हैं। ज़िन्दगी को ज़िन्दादिली से जीने को उत्साहित करने का काम करती हैं प्रेरणाएँ। हम इंसानों को अनगिनत उतार-चढ़ाव का
बंद कमरों की सदा है, अपनों से ही ये मिला है। भीड़ से रिश्ता हुआ तो मर्ज़ बढते जा रहा है। मास्क से दूरी हुई है । आंसुओं का सिलसिला है। इश्क दीयों का मुहाफ़िज़, हुस्न इक जंगली हवा है। क़त्ल मेरा कर रही वो दिल, जिसे कहता ख़ुदा है।, ( डॉ संजय दानी
बीते समय और वर्तमान समय आए बदलाव को रेखांकित करती ग़ज़ल।
आई हैव ए ड्रीम में उन लोगों की 20 मनोरंजक कहानियां हैं जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। इन लोगों के जन्म और शिक्षा, उनके बचपन और उनके संघर्ष और उनकी यात्रा की सफलता से शुरुआत करते हुए, रश्मि बंसल उनके जीवन का एक व्यापक कवरे
प्यार में लोग अक्सर धोखा खाते हैं।
आशिकी के दायरे में बहुत कुछ हो सकता है पर आशिकी की कभी मात नहीं हो सकती।
अपूर्णता का विचार ही भय का जन्मदाता है। अविवेकी मन उस विचार पर विश्वास कर भयभीत हो उठता है और अपूर्णता के उपचारस्वरूप पाशविक वृत्तियों का अवलम्बन कर लेता है। जिसके कारण उसे सहस्त्र दुःखों से गुज़रना पड़ता है। आचार्य प्रशांत इन संवादों के माध्यम स
कोरना क्यूं घटा नहीं है जनाब , मास्क मुंह में लगा नहीं है जनाब । इस वबा से निज़ात है मुश्किल, रोग की इस दवा नहीं है जनाब । मौत का ही ये दूत है यारो, पास इसके दया नहीं है जनाब । दर्दो ग़म,भूख बेबसी-आंसू, इसके दामन में क्या नहीं है जनाब्। कितने इंस
जीवन के कई पहलू हैं- परिवार, रिश्ते, शिक्षा, कैरियर, रोजगार, स्वास्थ्य और न जाने कितनी ऐसी चीजें, जिन पर निर्भर होती है हमारी खुशहाली और कामयाबी। समय की धारा में बहते, हम इनमें कहीं न कहीं उलझते, अटकते और लडख़ड़ाते रहते हैं। जीवन-सागर में ऐसी भी लहरें
इसमें सप्ताहिक प्रतियोगता के सम्बंधित आर्टिकल पब्लिश हैं
यह मानव कौल द्वारा लिखा 12 हिंदी कहानियों का संग्रह है। लोग मानव को एक नाटककार, नाटक-निदेशक, फिल्म अभिनेता, निर्देशक आवाम लेख के तौर पर पहचानते रहे हैं। मगर हिंद युगम पहली बार इनकी कहानियों को पाठक के लिए आया है। ठीक तुम्हारे पीछे मानव कौल का पहला क
आनंद आपका हमेशा का संगी-साथी बन जाए, यही इस पुस्तक का उद्देश्य है। इसे एक वास्तविकता बनाने के लिए यह पुस्तक आपको कोई उपदेश नहीं, बल्कि एक विज्ञान भेंट करती है; कोई शिक्षा नहीं, बल्कि एक तकनीक भेंट करती है, कोई नियम नहीं, बल्कि एक मार्ग भेंट करती है।
”मन का मौन परिमेय नहीं है, उसे मापा नहीं जा सकता। मन को पूरी तरह से खामोश होना होता है, विचार की एक भी हलचल के बिना। और यह केवल तभी घटित हो सकता है, जब आपने अपनी चेतना की अंतर्वस्तु को, उसमें जो कुछ भी है उस सब को, समझ लिया हो। वह अंतर्वस्तु, जो कि आ
अपनी इस विशिष्ट पुस्तक में बेस्टसेलिंग लेखक, लीडरशिप कोच और पुराण-विद्या विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनाइक बताते हैं कि किस प्रकार वस्तुनिष्ठता के आवरण के बावजूद आधुनिक प्रबंधन की जड़ें पश्चिमी मान्यताओं में हैं, जो कठोर उद्देश्यों को प्राप्त करने व शेयरहोल्ड
1981 में ज़ानेन, स्विट्ज़रलैंड तथा एम्स्टर्डम में आयोजित इन वार्ताओं में कृष्णमूर्ति मनुष्य मन की संस्कारबद्धता को कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग की मानिंद बताते हैं। परिवार, सामाजिक परिवेश तथा शिक्षा के परिणाम के तौर पर मस्तिष्क की यह प्रोग्रामिंग ही व्यक्
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की