यह पहली पुत्री है। जैसे एक लड़की अपना घर छोड़कर दूसरे घर को रोशन करती है, वैसे ही उम्मीद करता हुं की ये कविताएं आपके मन को रोशन करें।
यह उपन्यास ग्रामीण आँचल से एक प्रेंम की विशुद्ध गाथा है, जिसका प्रारम्भ नाइक और नायिका के अचानक प्रथम बार आमना सामना होनें से होता है, दोनों एक दूसरे को देखकर सोचतें हैं कि वह दोनों तो पहिलें कभी मिलें हैं पर नायक किशोर अपनीं नायिका को देख कर अपनीं
प्रेम, जुदाई, बदला , परोपकार, एवं शिक्षाप्रद कहानियां हैं इस पुस्तक में, एक बार अवश्य अवलोकन करें 🙏
दो बहनों के बीच भेदभाव की एक कहानी...।
कविता.... व्यंग्य आदमी तो कुता होता है यह कभी सुधर नहीं सकता धोखा तो फितरत में है, मासूम लड़कियों की भावनाओ से खेलता है उनका फायदा उठाता है, दहेज के लिए पत्नी से मारपीट करता है औरत को अपने पैर की जूती समझता है दुष्ट, नीच, हरामी पापी.... बस बस बस... ह
पुराने पड़ते धर्मों में तमाम ऐसी कुरीतियां और परंपरायें मौजूद हैं जिन्हें बदले या सुधारे जाने की जरूरत है लेकिन धार्मिक जड़ता आड़े आ जाती है, खास कर औरतों से सम्बंधित मसलों पर। जहां मर्द का हाथ फंस रहा हो, वहां कोई न कोई गुंजाइश निकाल ही ली जाती है ल
औरत हूँ और माँ भी, पत्नी हूँ और भाभी भी, बहु हूँ और बेटी भी, अगर नहीं हूँ तो अपने लिए आज़ाद, अगर नही हूँ तो, अपने लिए कुछ पल को जीने वाली,......
अरे विमला जल्दी हाथ चला देख 5 बजने को आ रहा है और अभी तक कुछो काम नही हुआ ...........…… ये कहानी है ऐसी जो हमारे देश मे दहेज की एक बहुत घटिया परंपरा को तोडती एक लड़की कैसे प्यार और शादी के मायने को सही करती है क्या उसे दुबारा प्यार मिलेगा ?? क्या ये श
मन के आवेगो को पंक्ति बद्ध करने की कोशिश...
मन में अनेकों विचार समय समय पर उठते रहते हैं ,वही विचार कविता के रूप में प्रस्फुटित होते हैं
यह पुस्तक है समाज के उस काले सच की जिस पर लोग प्रकाश नहीं डालना चाहते । यह पुस्तक एक आईना है स्त्री जीवन के उस अंधकार की जहाँ कई बार ना चाहते हुए भी उसे कदम रखने पड़ते हैं यह कहानी है देह व्यापार के इसी काले सच की । अंतिम चंद पंक्तियों में आप के लिए भ
मैं विचलित , मेरा मन विचलित, कैसे संभालू खुद को, मेरी जिंदगी एक सुनसान सड़क जहां किसी का आना ,जाना वर्जित!
💃तुम तो ठहरे परदेसी , साथ क्या निभाओगे .... आंखों में हजार सपने देकर , कल को चले जाओगे ....! 🕺आए हैं बहार बनकर , तुझे भी ले जाएंगे .... थोड़ा सब्र कर , तुझे दुल्हन हम बनाएंगे...! 💃 ऐसी ख्वाब ना दिखा... कि टूट जाए ... ऐसी बातें ना बना ....कि हम लुट
तवायफ की जिंदगी को उजागर करतीं.... एक बेहद संवेदनशील और विचारणीय... कहानी....।।।। एक ऐसी लड़की की कहानी.... जो चाहतीं कुछ थी और मिला कुछ...।।।
उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु
अर्ज किया है : " फुर्सत के पल तेरे साथ बिताए बहुत पर दिल चाहता है, ये वक्त आज यहीं ठहर जाए मोहब्बत भरी नजरों में तेरे बस मैं यूं ही डूब जाऊं मांगू खुदा से तेरे चेहरे की खुशी और काश ! तू मेरा हो जाए "....✍️ धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐
खुद की खुद से पहचान करवाने के लिए एक छोटी सी पहल..।