तृतीया तिथि को मनाईं जाएंगी 'परशुराम जयंती'
सरस्वती उपाध्याय
परशुराम भगवान विष्णु को छठवें अवतार माने जाते हैं। उनके पिता का जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम के चार बड़े भाई थे। परशुराम को न्याय देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल-पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस दिन को लोग अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं। इस साल अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 3 मई, मंगलवार को है।
प्रभु परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। इसके बावजूद उन्होंने अपने पिता के कहने पर अपनी माता की गर्दन काट दी थी।
ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी थी कि वो अपनी मां का वध कर दें। भगवान परशुराम आज्ञाकारी पुत्र थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए तुरंत अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अपने पुत्र को आज्ञा का पालन करते हुए देखकर भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि बेहद प्रसन्न हुए। पिता को प्रसन्न देखकर उन्होंने अपनी मां को दोबारा जीवित करने का आग्रह किया।
पिता से भगवान परशुराम ने मांगे तीन वरदान...
परशुराम ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे थे। पहले वरदान में माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और दूसरा चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। तीसरे वरदान में उन्होंने कभी पराजय का सामना न करना पड़ा और लंबी आयु का वरदान मांगा था।