लेकिन आदर्शवाद की एक कीमत होती है. उसे वह कीमत चुकानी पड़ी. ३4०० ईसापूर्व, भारत. अलगावों से अयोध्या कमज़ोर हो चुकी थी. एक भयंकर युद्ध अपना कर वसूल रहा था. नुक्सान बहुत गहरा था. लंका का राक्षस राजा, रावण पराजित राज्यों पर अपना शासन लागू नहीं करता
आसान दीखनेवाली मुश्किल कृति ‘हमारा शहर उस बरस’ में साक्षात्कार होता है एक कठिन समय की बहुआयामी और उलझाव पैदा करनेवाली डरावनी सच्चाइयों से। बात ‘उस बरस’ की है, जब ‘हमारा शहर’ आए दिन साम्प्रदायिक दंगों से ग्रस्त हो जाता था। आगजनी, मारकाट और तद्जनित दहश
‘उमरावनगर में कुछ दिन’ श्रीलाल शुक्ल की प्रस्तुत पुस्तक में तीन व्यंग्य कथाएँ सम्मिलित हैं—‘उमरावनगर में कुछ दिन’, ‘कुन्ती देवी का झोला’ और ‘मम्मीजी का गधा’। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, संग्रह की आधार-कथा है : ‘उमराव नगर में कुछ दिन’ उमराव नगर यानी एक
गीतांजलि श्री के लेखन में अमूमन, और ‘तिरोहित’ में ख़ास तौर से, सब कुछ ऐसे अप्रकट ढंग से घटता है कि पाठक ठहर–से जाते हैं। जो कुछ मार्के का है, जीवन को बदल देनेवाला है, उपन्यास के फ्रेम के बाहर होता है। ज़िन्दगियाँ चलती–बदलती हैं, नए–नए राग–द्वेष उभरते
व्यापारिक कम्पनी के रूप में जब एक क्रूर शासक के कदम इस धरती पर पड़े, तो उसने समग्र उप महाद्वीप को अपना गुलाम बनाने के लिए बंदूक से लेकर अफीम तक का भरपूर इस्तेमाल किया | यहाँ तक कि शेर-ए-मैसूर, टीपू सुल्तान भी विकराल अंग्रेज सेना का शिकार हो गया | ए
संगठन अजेय शक्ति है । संगठन हस्तक्षेप है । संगठन प्रतिवाद है । संगठन परिवर्तन है । क्रांति है । किन्तु यदि वहीं संगठन शक्ति सत्ताकांक्षियों की लोलुपताओं के समीकरणों को कठपुतली बन जाएंतो दोष उस शक्ति की अन्धनिष्ठा का है या सवारी कर रहे उन दुरुपयोगी हा
आपका बंटी मन्नू भंडारी के उन बेजोड़ उपन्यासों में है जिनके बिना न बीसवीं शताब्दी के हिन्दी उपन्यास की बात की जा सकती है न स्त्री-विमर्श को सही धरातल पर समझा जा सकता है। तीस वर्ष पहले (1970 में) लिखा गया यह उपन्यास हिन्दी की लोकप्रिय पुस्तकों की पहली प
उपन्यास की भाषा संक्रमण काल के उफनते-खलबलाते जीवन की संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के अनुरूप सरल-ओजस्वी लगी। विशेषकर उषा या माँ की सामाजिकता और आवरणरहित स्वाभाविकता। कथानक और उसके अनुषंग मर्मस्पर्श के साथ नए जीवन-संतुलन की चेतना को भी कुरेदते हैं। 'नरक दर
“ब्रह्मांड की समस्त काली शक्तियां उसकी दास हैं. . . ” 1699 ईसापूर्व, आर्यवर्त के दलदल – जब प्रलय की लहरें एक-एक नगर को अपनी चपेट में लेती जा रही थी, तब विराट नौका और धरती के बीच एक अंतिम युद्ध की शुरुआत हुई। एक निर्मम राजा ने मानवजाति के अस्तित्व को
जब बुराई एक महाकाय रूप धारण कर लेती है, जब ऐसा प्रतीत होता है कि सबकुछ लुप्त हो चुका है, जब आपके शत्रु विजय प्राप्त कर लेंगे, तब एक महानायक अवतरित होगा।क्या वह रूखा एवं खुरदुरा तिब्बती प्रवासी शिव सचमुच ही महानायक है? और क्या वह महानायक बनना भी चाहता
मैं अपने घर में थी जब मैंने ‘अपराध और दंड’ पढ़ी थी और घर छोड़ते ही मैंने ‘चित्रलेखा’ पढ़ना शुरू किया था। बहुत कोशिश के बाद भी मैं ‘अपराध और दंड’ को छोड़ नहीं पाई। मैंने उसे अपने बैग में रख लिया। बीच-बीच में ‘चित्रलेखा’ पढ़ते हुए मैं ‘अपराध और दंड’ के
‘बेघर’ ममता कालिया का पहला उपन्यास और उनकी दूसरी पुस्तक है। यह कृति अपनी ताजगी , तेवर और ताप से एक बारगी प्रबुद्ध पाठकों और आलोचकों का ध्यान खींचती है। इस पुस्तक के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं, पेपर बैक संक्षिप्त संस्करण भी । हिन्दी उपन्यास
जब भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ युवा खिलाड़ियों को मालूम चला कि मिड-लेवल एडवर्टाइज़िंग एक्जीक्यूटिव ज़ोया सिंह सोलंकी की पैदाइश ठीक उसी समय की है जिस लम्हे भारत ने 1983 में वर्ल्ड कप जीता था, तो वे हैरान हो जाते हैं। ज़ोया के साथ नाश्ता करने का सिलसिला जब उ
‘स्वामी’ सुप्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी का भावप्रवण विचारोत्तेजक उपन्यास है! आत्मीय रिश्तो के बीच जिस सघन अंतर्द्वंद का चित्रण करने के लिए मन्नू भंडारी सुपरिचित है, उसका उत्कृष्ट रूप ‘स्वामी’ में देखा जा सकता है! सोदमिनी, नरेन्द्र और घनश्याम के त्रिक
ब्रेकिंग न्यूज़: आज दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन इलाक़े के जॉगिंग पार्क में सुबह के तक़रीबन 6:15 बजे एक महिला की लाश बरामद हुई। कौन है यह महिला? देश की लोकप्रिय न्यूज़ एंकर, मीडिया और राजनीतिक गलियारों में एक जाना-माना चेहरा, और नेशनल न्यूज़ चैनल की टीआरपी
‘उफ़्फ़ कोलकाता’ हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी कही जा सकती है। इस लिहाज़ से यह एक पहल भी है। कोलकाता के बाहरी भाग में फैले एक विश्वविद्यालय का हॉस्टल, उपन्यास के मुख्य किरदारों की ग़लती से अभिशप्त हो जाता है। एक आत्मा जो अब हॉस्टल में है, बच्चों को परे
रवीन्द्रनाथ टैगोर का उपन्यास चोखेर बाली हिन्दी में ‘आँख की किरकिरी’ के नाम से प्रचलित है। प्रेम, वासना, दोस्ती और दाम्पत्य-जीवन की भावनाओं के भंवर में डूबते-उतरते चोखेर बाली के पात्रों-विनोदिनी, आशालता, महेन्द्र और बिहारी-की यह मार्मिक कहानी है। 1902
नंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं।
सारी खुदाई एक तरफ, जोरू का भाई एक तरफ यह कहावत मधुसूदन पर बिलकुल भी चरितार्थ नहीं होती थी, क्योंकि वह ‘जोरू के भाई’ विप्रदास की ही नहीं, ‘जोरू’ कुमुदिनी की भी उपेक्षा करता था, जबकि कुमुदिनी से शादी का प्रस्ताव भी उस ने स्वयं ही विप्रदास के पास भेजा थ
जब गोरा का कोई नाम, जाति और धर्म नहीं था, तो परिस्थितियों ने उसे नाम दिया - गोरामोहन, जाति - ब्राह्मण, और धर्म - हिंदू। जबकि वह हिंदू धर्म के सच्चे पैरोकार थे, धर्म ने उन्हें एक बहिष्कृत और अछूत कहकर खारिज कर दिया। इस उत्कृष्ट कृति में, टैगोर सभी भार