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वीरता

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मजदूर मेहनत कश मजदूरों से सिखोंत्याग तपस्या से धन अर्जन करनासबसे ज्यादा मेहनत करने पर भीपेट भर रोटी न मिल पानाअपने दिन पर रो रहे हैपूछो इनसे इनका कारणमजदूरों के ही सहारेखड़ी है दुनिया इनके बल सेअप

लालिमाछोड़ जाना है ये लालिमाअब तेरे इस सहर मेंजिस तरह से बरसातछोड़ देता है अपनी बूदों कोछोड़ जाना है मुझे प्रकाशअब तेरे इस सहर मेंजिस तरह से पौधेनए पत्ते निकलते पुराने पत्ते छोड़ देते हैलेकर हमें जाना है

जीना सीखाज़िन्दगी हर किसी को जीना सीखा देती हैकोई मरहम लगाकर जीना सिख लेता हैकोई मरकर ज़िन्दगी जीना सिख लेता&nbs

ज़िन्दगी है या मजाकक्या लिख दू ऐ ज़िन्दगीऐ ज़िन्दगी या मजाक हैक्या लिख दू मै इस कलमकी स्याही से या अपने खून 

स्त्री दर्द बहुत सभाले है मैंनेसोचा था बड़े होकर कुछ बन कर दिखाउंगीदिन रात एक करके कुछ दुनिया में नाम 

नशीबन रुक्ख बदलते है न मौसम बदलते हैजाने क्यों लोग ही बदल जाते हैपर हा मुझे याद् है इस ज़िन्दगी मेंसु

जरा देख केजरा देख के चलों यारों ,भीड़ बहुत है दुनिया मेंजरा संभल कर चलो यारों,फिसलकर गिर न जाओ कहीकुछ मिल 

जीना हैकाँटों पर चलकर हमें ज़िन्दगी जीना हैशायद हर लम्हे हर पल मुझे हमेशा याद् आते हैज़िन्दगी का ये पूरा पि

जीभरलोगों ने जीभर कर रोयेजब उठा वहा से जनाजा मेरालोगों ने जीभर कर बतलायाजब खोदी गयी कब्र मेरीरोया लोगों न

गुरुगुरु कृपा एक रूप है ऐसीजिसमे झूमे जग सारागुरु बिन ज्ञान न हो शिक्षागुरु एक नाम है ऐसाजिसमे गुथे जिसमे

नशीबन रुक्ख बदलते है न मौसम बदलते हैजाने क्यों लोग ही बदल जाते हैपर हा मुझे याद् है इस ज़िन्दगी मेंसु

बर्दास्तदोस्ती के ये गम कभीभूल न हम पाएंगेहम दोस्त तुमसेजुदाई बर्दास्त कर नहीं पाएंगेज़िन्दगी  के सिखर को उस&nb

लम्हेउन्ही कहीं लम्हों में थी ज़िंदगानीजिसे सोच रहा है "राहुल दीवाना "बस घाव है उनकी परछाई कीयाद करना है उ

कट रही ज़िन्दगीयू तो कट रही ज़िन्दगीमालूम नहीं होता क्या होगाबस इतना पता है की हमेंहमारी मंजिल बुला रही हैदुनिया 

वो लोगजो हमें दे गए वतन वो लोग कुछ और थेवो लोग कुछ और थे जो हमें चंद सांसे दे गएवो लोग कुछ 

परिचयमै अपनी किताब के माध्यम से किसी ब्यक्ति बिशेष को आहत करना नहीं चाहता हु।और नही यह मेरा उद्देश्य है मै बताना चाहुगा की जो समाज में चल रहा है मै केवल उसे ही सबके सामने रखना चहुंगा चाहे वो किसी पोलि

इतवार होना चाहिएहम यारों का भी इतवार होना चाहिए हफ्ते में न सही लेकिन महीने में हीएक इतवार होना चाहिए कभी जब बैठता हुतो यादों के गम आँखों में आ जाते हैयारों का भी इतवार होना चाहिएवोह चाय की चुस्क

सितारेइन चाँद सितारों की दुनिआ में सूरज कहा से उगता हैसमय के आने पर ही इस दुनिआ में सब कुछ बनता हैइन चाँद सितारों की दुनिआ में रोसन कहा पर बिकता हैमेरे जीवन का जखम कहा रोता हैइन चाँद सि

जो साथ मेरे चल सको तो चलोजो साथ मेरे चल सको तो चलो ,हम न जाने कहा छूट जायेहमें पकड़ कर चल सको तो चलो ,भरोसा रखो इन कंधो पर ,न पछताओगे तुम कभी ,चलना है अगर सफर में चलोमेरा बाह पकड़ कर तुम चलोहम न जाने कि

ऐ वक़्तऐ सुन तो जरा दिन तपाये है रात -दिनमैंने दुनिआ की भीड़ में सिर्फ तुझे ही देखाऐ सुन जरा तुझसे कुछ कहना अभी बाकि हैहोश उड़ गए तेरे ख्वाब में रात हुई दिन हुआपर हमें खबर तक नहीं ,तेरी चाहत ने मुझे इस क

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