shabd-logo

आध्यात्म

8 अगस्त 2023

8 बार देखा गया 8
मानव ,जब इस संसार में अपनी आँखें खोलता है ,तब उसे समाज ,रिश्ते ,प्रकृति और इस संसार की रंगीनियां नजर आती हैं, और वो इन सबमें अपने को उलझा लेता है। कुछ लोग इस संसार के मोह से शीघ्र ही ,बाहर आ जाते हैं। वो समाज और संसार के विषय में नहीं ,अपने विषय में सोचने लगता है। मेरे जीवन का क्या उद्देश्य है ? मैं यहाँ क्यों हूँ ? इससे परे भी क्या कोई दुनिया है ? अपनी चेतना ,आत्मा की जानकारी के लिए उत्सुक हो उठता है। 



प्राचीन समय में ' अध्यात्म 'की जानकारी शिक्षा के माध्यम से भी दी जाती थी ,ताकि बालक के विचार बाहरी परिवेश में ,अपने को न खो दें ,वो सामाजिक कार्यों को करते हुए भी ,सत्य और धर्म की राह पर चले और समय आने पर परिवार व संसार का मोह छोड़कर ,'वानप्रस्थ 'में जाएँ। वहां अपनी ''अध्यात्म ''उन्नति कर सकें। बहुत से लोग तो घर -संसार को त्यागकर भी परिवार का मोह नहीं त्याग पाते थे। 

                                          ''मन मैला और तन को धोये , फूल को चाहे ,कांटे बोये। ''

की तर्ज पर ,संतों ने मन के शुद्धिकरण पर ध्यान दिया। अपने मन से छल ,कपट ,मोह ,लालच ,ईर्ष्या इत्यादि मैल को बाहर कर ,अपने तन रूपी बर्तन को माँजना है। जब ये सभी चीजें आपके तन से बाहर हो जाएँगी ,तब आपका मन स्वच्छ ,निर्मल हो जायेगा। जब 'समदृष्टि ','समभाव 'होगा। तब व्यक्ति अध्यात्म की ओर आगे बढ़ने के लिए तैयार होता है।आपके मन में लोभ भी है ,मोह भी है ,ईर्ष्या भी है ,लालच जैसे अवगुण भरे हैं ,तब ये तन तो अशुद्ध है। ऐसे मन और तन से तुमने घर त्याग भी दिया तो कोई लाभ नहीं। मन तो अभी भी वहीं फंसा है, इसीलिए पहले अपने मन से ये विकार निकालकर अपने मन और तन को शुद्ध करने पर जोर दिया है। और जब '' मन चंगा तो कठौते में गंगा। '' संत रैदास जी की कहावत स्मरण हो जाती है। इससे जुडी एक कहानी है -'संत रैदास 'अपने प्रभु का स्मरण करते हुए ,अपने कार्य में व्यस्त रहते थे। एक बार गंगा स्नान पर ,सभी गंगाजी में नहाने जा रहे थे किन्तु रैदास अपने कार्य में लगे रहे। वो एक चर्मकार थे ,तब एक श्रद्धालु के कहने पर ,क्या तुम गंगाजी नहाने नहीं चल रहे हो ?उन्होंने उससे कहा- ये मेरी मेहनत का एक टका है ,मेरी तरफ से गंगाजी को दे देना। उस व्यक्ति ने ,गंगाजी को वो एक टका रैदास के नाम से समर्पित करना चाहा , तभी गंगाजी स्वयं प्रकट होकर ,उससे वो टका लेती हैं। बदले में ,वो एक कंगन रैदास को देने के लिए कहती हैं। उस व्यक्ति ने सोचा -रैदास को तो पता ही नहीं कि गंगा ने उसे एक रत्नों से जड़ित कंगन दिया है ,इसीलिए ये कीमती कंगन राजा को देकर उन्हें खुश कर ,इनाम ले लेता हूँ। 

जब राजा ने वो कंगन रानी को दिया तो रानी को वो बहुत अच्छा लगा और राजा से ऐसा ही उसका दूसरा जोड़ी कंगन लाने के लिए कहा। किन्तु उस व्यक्ति के पास तो एक ही कंगन था। अब राजा ने उससे दूसरा जोड़ी कंगन लेन के लिए ,उस व्यक्ति से कहा ,उस व्यक्ति ने दूसरा कंगन लाने में असमर्थता व्यक्त की तब राजा को क्रोध आ गया और उससे कहा -'ऐसा दूसरा कंगन न मिलने पर तुम्हें मृत्यु दंड दिया जायेगा। 'अब तो वो व्यक्ति परेशान हो उठा और उसने रैदास के पास जाकर सम्पूर्ण जानकारी उन्हें दी और दूसरा कंगन कहाँ से लाये ?अपनी विवशता जतलाई । तब संत रैदास ने अपने पानी के कठौते में से ही ,ऐसा ही दूसरा कंगन निकालकर उस व्यक्ति को दे दिया। जब उस व्यक्ति ने पूछा -ये कैसे हुआ ,''तब उन्होंने यही कहावत दोहराई ,कहते हैं ,तभी से ये कहावत चली आ रही है। 



इस कहानी से एक बात तो साबित होती है , अध्यात्म कोई आसान चीज नहीं ,सामाजिक कर्म करते हुए भी अपने प्रभु का सदैव स्मरण रखना चाहिए। इससे पहले अपने मन के विकारों से इस तन को शुद्ध करना पड़ता है। जिस प्रकार किसी बर्तन को भरने के लिए ,पहले उसे ख़ाली करना होता है। इसी प्रकार हमारा तन जो विकारों से भरा पड़ा है ,उनसे उसे ख़ाली करना होगा। तब उसमें परमात्मा रूपी नाम को स्थान मिलेगा। और तब व्यक्ति 'अध्यात्म 'की ओर पहली सीढ़ी चढ़ता है।

संतों के अनुसार ,संसार में रहकर ही ,अपने मन को जीता जा सकता है ,उनके अनुसार घरबार छोड़कर कहीं भी बाहर भटकने की आवश्यकता नहीं। कर्म करते हुए अपने ज्ञान की लौ उस परमात्मा से जोड़कर रखें तब तुम सत्य की राह पर चल पाओगे और सत्य कर्म करते हुए ,''अध्यात्म ''की ओर बढ़ते चले जाओगे।     
18
रचनाएँ
आलेख
0.0
हमारे जीवन में अथवा समाज में हम कुछ ऐसा देखते या सुनते हैं जिन पर कई बार हम सहमत होते हैं और कई बार सहमत नही होते तब उस विषय पर हमारे विचार हमारी सोच उसके पक्ष या विपक्ष में हमें लिखने पर बाध्य कर देती है। कई बार किसी चीज की जानकारी हम लेख द्वारा ही जान सकते हैं या किसी को जानकारी दे भी सकते हैं। अपने विचारों से किसी को अवगत कराना चाहेंगे तब भी लेख ही ऐसा माध्यम है। उन विचारों से कुछ लोग सहमत हो सकते हैं, कुछ सहमत नहीं हो सकते सभी की अपनी अपनी सोच है। किसी को बाध्य नही किया जा सकता किंतु अपने लेखों द्वारा दूसरे व्यक्ति तक अपने विचार पहुंचाए अवश्य जा सकते हैं। अपनी समीक्षाओं द्वारा उन विचारों पर अपना मत सकते हैं।
1

शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022
1
1
1

नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुर

2

शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022
3
0
2

नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुर

3

हवेली का रहस्य (भाग १)

15 अक्टूबर 2022
0
0
0

कामिनी ,हाँ !ये ही तो नाम है ,अंगूरी देवी की छोटी बहु का। वो एक पढ़ी -लिखी ,समझदार लड़की है ,अंगूरी देवी का बेटा भी पढ़ा -लिखा अफसर है। निहाल सिंह ,किन्तु कामिनी तो उसे निहाल ही कहती है । अंगूरी दे

4

सकारात्मक, नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
1
0
1

सोच तो सोच ही होती है ,चाहे वो'' नकारात्मक ''हो या ''सकारात्मक'' ! हम सोचते नहीं -कि हमें कब और क्या सोचना है ?वरन परिस्थितियों के आधार पर हमारी सोच स्वतः ही परिवर्तित हो जाती है। कहने और सुनने में आत

5

माँ

14 मई 2023
1
0
0

माँ ,वो ही तो मुझे इस दुनिया में लाई है। उसी ने तो ,ये रंगीन दुनिया दिखलाई है। माँ ,ने ही तो ,मेरे जैसी 😇 रचना रचाई है। उसी ने रीति -रिवाज़ों की सीख़ सिखलाई है।धन्य है ,वो माँ जिसने ये द

6

आध्यात्म

8 अगस्त 2023
0
0
0

मानव ,जब इस संसार में अपनी आँखें खोलता है ,तब उसे समाज ,रिश्ते ,प्रकृति और इस संसार की रंगीनियां नजर आती हैं, और वो इन सबमें अपने को उलझा लेता है। कुछ लोग इस संसार के मोह से शीघ्र ही ,बाहर आ जाते हैं।

7

मातृत्व!

1 सितम्बर 2023
2
1
2

एक लड़की ,जब तक अपने घर में है ,तब तक उसका रिश्ता ,बहन ,बेटी ,बुआ के रिश्तों से जुडा होता है। विवाह के पश्चात ,लड़की से औरत के रूप में ,उसकी पद्दोन्नति होती है ,इसके साथ ही ,उससे नए रिश्ते बनते और जु

8

प्रॉमिस डे!

17 दिसम्बर 2023
0
0
0

करता रहा ,अपने आप से वादा, जिंदगी में सफल बनने का, ना सोचा था -यह वादा आज इस तरह सताएगा।'' जी का जंजाल'' बन जाएगा। वादे की खातिर कोई रिश्ता ना रहा। आज पहुंचा, जिस मक़ाम पर ,कोई अपना ना रहा। वादा बहुत क

9

इज्जत!

19 दिसम्बर 2023
0
0
0

इज्जत यानी सम्मान ! मान ,मर्यादा !आदर ! प्रतिष्ठा ! आबरू !सम्मान !हमें किस तरह से प्राप्त होता है ? पैसे से, उम्र से, या हमारे रुतबे से , कभी-कभी हम, अपने बाहुबल या धन के जोर पर किसी को दबा देते हैं

10

गुमशुदा नोट

7 जनवरी 2024
0
0
0

जीवन सुचारु रूप से चल रहा था, सब कुछ सही तो था। अचानक ही ऐसी घोषणा सुनकर, सब हतप्र्भ रह गए। सबकी जुबां पर एक ही सवाल था -यह कैसे हो गया ? यह क्या कर दिया ? किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था , सबके दिलो

11

कश्मीर की सैर

24 जनवरी 2024
0
0
0

आओ !कहीं वादियों में खो जाते हैं, प्रकृति की सुंदरता का अनुभव करते हैं। ऐसी प्रकृति जहां पर स्वर्ग का आभास हो। सुंदर-सुंदर,मनभावन पुष्प खिले हों , झील का किनारा हो, लोगों का रहन-सहन भी अलग है और शिका

12

सोशल मीडिया

27 जनवरी 2024
0
0
0

सोशल मीडिया ,के माध्यम से, लोगों से मिलने और उनसे जुड़ने का आपको मौका मिलता है किन्तु वो कौन लोग हैं ?जिन्हें कुछ को हम जानते भी हैं और कुछ को नहीं जानते हैं। किन्तु'' सोशल मीडिया'' के माध्यम से जानने

13

सहज सपने

2 अप्रैल 2024
1
0
0

सहज, सरल सपना, सिर्फ निद्रा में ही,बंद आँखों से देखे जा सकते हैं और नींद में ही पूर्ण हो सकते हैं। नींद में तो न जाने, हम राजा भी बन जाए, कठिन से कठिन कार्य पूर्ण कर दें। सोते हुए ,ये सपने बड़े हसीन

14

आधा सच

7 अप्रैल 2024
0
0
0

आधा सच ''हो या ''आधा झूठ'', यह एक फरेब है ,मानव को उलझाने का , न ही उसे वास्तविकता का पता चल पाता है, उस ''अधूरे सत्य'' को लिए घूमता रहता है। मीठे और धीमे विष की भांति ही 'अधूरा सत्य' है किंतु पूर्ण

15

घोड़े की सवारी

30 अप्रैल 2024
0
0
0

घुड़सवारी ''बीते जमाने की बात हो गई है , 'घुड़सवारी 'और ''हाथी की सवारी'' शाही सवारी मानी जाती थी। शाही लोग ही, इनका अधिकतर प्रयोग करते थे। सामान्य जन भी घोड़े की सवारी का आनन्द ले लिया करते थे। राज

16

गुरु महिमा

21 जुलाई 2024
0
0
0

गुरु परंपरा की रीत निराली,गुरु ही है ,सब कर्मों पर भारी,गुरु ही मेरा मान है ,मेरी पहचान है। गुरु बिन ,सब काज अधूरे ,ऐसे गुरु को बारंबार प्रणाम है। स्नेहसिक्त , ऐसे प्रभु के चरणों में कोटि-क

17

स्वच्छ अभियान

21 जुलाई 2024
0
0
0

Homereality of lifeSvchchh abhiyaanbylaxmi-July 21, 20240कुछ दिनों पहले मैंने सुना -लोग कहते है -यार !विदेशों में कितनी स्वच्छता है ? वहां के लोगों का रहन-सहन कितना अच्छा है ?यहां भारत में क्या है ?गं

18

संकल्प

19 सितम्बर 2024
0
0
0

संकल्प का दूसरा नाम,'' प्रतिज्ञा ''भी है ,जैसे भीष्म पितामह ने ली थी किंतु उसके कारण उन्हें और उनके राज्य को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। तभी आज के समय में यदि कोई कहता है -मैं यह कार्य नहीं करूंगा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए