दिनचर्या पर आधारित
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बहुत सुंदर
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तलवार जिसमे मां भवानी का वास होता है जो माँ शक्ति और कुलदेवी का स्वरूप है के लिए कई सारी बातें और परंपरा राजपूतो में युगों युगों से चली आ रही है जैसे कि - 1. राजपूतो की बेटी का गठबंधन तलवार के साथ
आता मांझी सटकली... दशरथ मांझी, एक ऐसा नाम जो इंसानी जज़्बे और जुनून की मिसाल है, वो दीवानगी, जो प्रेम की खातिर ज़िद में बदली और तब तक चैन से नहीं बैठी, जब तक कि पहाड़ का सीना चीर दिया। जिसने रास्ता
क्षत्राणी पन्नाधाय : मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ प्रायः वीर शीरोमणि महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौरव के साथ पन्नाधाय का भी नाम लिया जाता है। जिन्होनें स्वामी भक्ति को सर्वो
"राजमाता नायिका देवी पाटन" *क्षत्राणी "चालुक्य (सोलंकी) राजपूतो का पराक्रम" *राजमाता नायिका देवी जिसने साबुद्दीन मोहम्मद गोरी को भारत में पहली पराजय का रास्ता दिखाया युद्धभूमि में धूल चटा दी थी।
नीचे जो कविता है उसमें मेंढक ढोल भेज रहा है भालू नाच रहा है गधा गा रहा है कहने का भाव यह है कि उस समय कविताओं मे भी हमारे भाव और सोच सीमित थी हर एक किरादार ऐसा रखा जाता था कि हमें याद रहे है
इस जीवन मे बहुत सी चीजो कि ऑटोमेटिक व्यवस्था है । जैसे , साक्षर होने के लिए आपको पढ़ने जाना पडता है, लेकिन निरक्षर होने के लिए कहीं नहीं जाना पडता ऑटोमेटिक व्यवस्था है, अमीर होने के लिए मेहनत कि जरूर
एक नई उड़ान---------------------------------------------------- क्या आप केतकी को जानते हैं? थोड़ा याद कीजिए। नहीं याद आ रही तो चलिए हम ही बताते हैं। पिछले दिनों मैं चर्चित मॉडल
अपने पति के लिए तीन सौतन ढूंढ रही है ये पत्नी, बत्तीस हजार वेतन भी देगी, वजह जानकर दंग रह जाएंगे आप दुनिया की कोई भी महिला नहीं चाहेगी कि उसकी जीवन में ‘सौतन‘ का आना हो। लेकिन क्या हो जब एक पत्नी ही
घोडों के स्टेच्यु की पहचान... एक पाँव ऊपर किये, कभी दोनो पैर ऊपर किये हुए, तो कभी चारो पैर नीचे किये घोड़े की पीठ पर बैठे हुये कई स्टेचू देखे । बचपन से ये जिज्ञासा थी कि आखिर घोड़े के दोनों प
अनोखी सभा आधी रात का समय था। एकदम शान्त सा वातावरण लग रहा था, लेकिन कुछ आवाजें जो नदी तट से आ रही थी, मानों कोई मीटिंग चल रही हो। मैंने बिस्तर से उठकर देखा, वहाँ तो सचमुच मीटि
मधुर व्यवहार और मीठा बोलना एक कला है... जो हरेक के पास नहीं होता... बोलने की कला श्रीराम से सीखो... जहां रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया... वहीं श्रीराम ने मीठी जुबान से दुश
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, ... मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे |