तलवार जिसमे मां भवानी का वास होता है जो माँ शक्ति और कुलदेवी का स्वरूप है के लिए कई सारी बातें और परंपरा राजपूतो में युगों युगों से चली आ रही है जैसे कि -
1. राजपूतो की बेटी का गठबंधन तलवार के साथ होता है पति के साथ नहीं अगर पति उपस्थित नहीं हो तो तलवार के साथ फेरे लिए जा सकते हैं।
2. तलवार सत्ता का प्रतीक है और राज चिन्हों में से एक है।
3. तलवार के रूप में साक्षात जगदम्बा राजपूतो के साथ रहती है कुलदेवी तलवार की मूठ में निवास करती है।
4. अगर किसी राजा या राजपूत की तलवार हासिल कर ली जाए तो वह हारा (पराजित) हुआ माना जाता है ।
5. जिसके हाथ में तलवार है उसके हाथ में सत्ता है ।
और भी कई चीजें हैं लेकिन में कुछ और कहना चाहता हूं। में ! स्वयं एक राजपूताना राज्य का सदस्य हूँ। मे हजारों पुराने राजा, महाराजा और ठाकुरों की तस्वीरें देख चुका हूं लेकिन किसी में भी मैंने उन्हें अपनी तलवार अपनी जूते की नोक पर रख कर फोटो खींचवाते नहीं देखा हैं।
किसी को अपमानित करने के लिए किसी की सम्मानित वस्तुओं को जूते की नोक पर रखने के उदाहरण इतिहास में मौजूद है। मुझे बहुत तकलीफ होती है जब मे कुछ राजपूतो को अपनी तलवार को जूते की नोक पर रख कर फोटो लेते देखता हूँ और ऐसा बड़े - बड़े वो राजपूत कर रहे हैं जिनका सारा राजपूत समाज अनुसरण करता है ।
मैंने जयपुर के वर्तमान महाराज की भी एक ऐसी ही तस्वीर देखकर उन्हें इस बारे में जानकारी दी। उसके बाद कभी उनकी ऐसी तस्वीर नही आई।
लेकिन कुछ नये नवेले युवा राजपूत प्रतिदिन तलवार की के साथ ऐसी तस्वीर लेकर कुलदेवी का अपमान करते हैं। उस तलवार को जिसकी हर 6 महीने में नवरात्रि में पूजा की जाती है, दशहरे पर पूजा की जाती है और हर शुभ- अशुभ काम में जिस तलवार को साथ रखा जाता है, हम उसी को जूते की नोक पर रख कर क्या साबित करने जा रहे हैं ?
अज्ञानता स्वरूप भवानी स्वरूपिणी तलवार का अपमान बंद होना चाहिए जिसकी भी एसी तस्वीर दिखाई दे उन को टोकना चाहिए अगर जिस तलवार से हमने इतिहास लिखा है हम उसे ही अपमानित करे तो यह ठीक नहीं है...