इस जीवन मे बहुत सी चीजो कि ऑटोमेटिक व्यवस्था है । जैसे ,
साक्षर होने के लिए आपको पढ़ने जाना पडता है, लेकिन निरक्षर होने के लिए कहीं नहीं जाना पडता ऑटोमेटिक व्यवस्था है,
अमीर होने के लिए मेहनत कि जरूरत होती है लेकिन गरीबी कि ऑटोमेटिक व्यवस्था है,
ठीक इसी प्रकार इस संसार मे अच्छे व सज्जन बनने के लिए मीठे बोल कि अवश्यक्ता है । घमंडी, अहंकारी, दुर्जन बनने की ऑटोमेटिक व्यवस्था है,
बोल हमेशा मीठे रखे चाहे सामने आपका शत्रु ही क्यूँ ना हो...
जीवन मे कुछ साथ जाता नहीं जाता मगर पुण्य और बोल मनुष्य का साथ कभी नहीं छोडते...