अमूक माडल तिरंगे
के हित का उपयोग कर रैंप चल रही है। उसे देखते ही खचाखच भरें शो में मौजूद हर उम्र के दर्शको के मूहं में पानी भर आया। सीटियों से हाल गुंज उठा। तालियों से उंगलियां फट पडी और भददे गानों की धुन माडल कुप्पा सा फूलकर लोगो की तरफ़ मुस्कुराई और उसने अपने शरीर में लिपटे तिरंगे को एक ही झटके में अपने शरीर से उतारा ओर उपर अपनी बाहे फैलाकर उसको लहरा दिया। इस बीच माडल ने कई बार किया।
अगले दिन अखबारों में खबर छपी। राजनैतिक तथा सामाजिक गलियारों में हडकंप मच गया। हडकंप मचाने वालों में सभी लोग सम्मानित और बुध्दिजीवी थे।
" यह सरासर तिरंगे का अपमान हैं।"
"हमारा राष्ट्र ध्वज महज तीन रंगों का कपड़ा नही बल्कि जीता-जागता राष्ट्र पुरुष हैं।"
"यह तो तिरंगे की महत्ता के साथ खिलवाड़ हैं। ऐसे लोगों के साथ कडी कार्रवाई की जानी चाहिए।" यह शिलशिला दो चार दिन सुर्खियों में बना रहा और फिर गुमनाम हो गया।
" गुमनाम क्यो हो गया है भाई, मैने मित्र से पूछा।
"बड़ी बड़ी कंपनियों के मालिक और सम्मानित बुध्दिजीवी लोग ही इस शो के आयोजक थे।" मित्र ने बडी ग्लानि करते हुए जवाब दिया। "