कुर्आन की हर आयत से जिंदगी को समझना |
यूं दिखावे की खातिर मस्जिदों में नमाजें ना पढ़ना ||1||
क्यों लगे रहते हो हर वक्त यूं फिक्रे खुदा में |
वह जिक्रे खुदा है हर पल तुम फिक्रे खुदा ना करना ||2||
जो पल बीता उसको याद करके क्या बीतना |
यूँ भागे हुए वक्त का कभी पीछा ना करना ||3||
कभी तेरे शहर आना हुआ तो मिलूंगा मैं तुझसे |
यूं फोन पर क्या तआर्रूफ दूँ मैं अपना ||4||
हम बुरों के बिना तुम अच्छों को कौन जानेगा |
अपनी पहचान की खातिर हम बुरों को बुरा ही कहना ||5||
अब तो अपने भी भीड़ में शामिल हो गए हैं |
रिश्तों की दुहाई देकर अब मुझसे कुछ ना कहना ||6||
ताज मोहम्मद
लखनऊ