खुश होने की कोशिश करके मुझे बहलाओ ना |
हमराज बनाके तुम अपना मुझे आजमाओ ना ||1||
क्यों अश्कों के सहारे अपनी बात कह रहे हो |
अगर कोई बात है तो उसे जुबान पर लाओ ना ||2||
क्यों यूँ पल में खुश पल में गमज़दा हो रहे हो |
अपनी जिंदगी का हर लम्हा मुझे बतलाओ ना ||3||
ये अश्क नहीं मोती हैं तुम्हारे सुनहरें ख्वाबों के |
इन्हें ऐसे ही बेवजह अपनी आंखों से गिराओ ना ||4||
कोई ना कोई तो बात है दिल में आपके जरूर |
यूँ ऐसे झूठे बहानों से अपने मुझे झूठलाओ ना ||5||
यूंही तो बेवजह दिल किसी का ऐसे होता नहीं |
आँख क्यूँ रोयी है तेरी दर्द से मुझे बतलाओ ना ||6||
ताज मोहम्मद
लखनऊ