शराब-एक मादक पेय
-----------------------------
शराब एक ऐसा पेय है जो विभिन्न रूप रंगों में सदियों से प्रचलन में है।राजशाही युग में यह राजाओं-सामन्तों का प्रिय पेय था।कामुकता बढ़ाने ,महफिल में खुशीयाँ मनाने के लिऐ पीया जाता रहा।नज्मों,गजलों,गीतों में भी शायरों कवियों ने इसे एक मुकाम दिया।पहले के जमाने में शराब प्राकृतिक चिजों,फलों ,जड़ी बुटियों से निर्मित होती रही थी।केमिकल घटक से निर्मित आज की शराब व उसका अनियमित व अत्यधिक सेवन पुरूषों में कामुकता तो बढ़ाता है पर मस्तिष्क के साथ शरीर के अन्य अंगों को तीव्र उत्तेजना -शिथिलता के कुचक्र से खराब करके कमजोर कर रही है।
शराब के जो दुष्प्रभाव है वो शरीर तक ही सीमित नही है ।घर में माता।-पिता,पत्नी,बच्चे,पास पड़ोस भी ऐसे नियमित पड़ोसी से परेशान रहते है।शराब से तन,मन,सम्मान,धन,समय का अतिपात होता है।
अब मुख्य बात- क्या हमारे क्षेत्र में शराब बन्दी के लिऐ महिलाओं को ही लड़ाई लड़नी है,समाज के पुरूष क्या इतने निकम्में या गये गुजरे है जो माता-बहनों की इस समाज सुधार की मुहिम में साथ खड़े नजर नही आते।
काछबली हो ,थानेटा हो,मण्डावर या ठिकरवास।पुरूष प्रधान समाज में मदछकिये तथाकथित मर्द ,औरत को अपनी कामवासना मिटाने ,बच्चे पैदा करने,शराब का पैसा कमाने वाली समझते रहेंगे तब तक समाज कैसे सुधरेगा?
कुरीतियों व शराब खोरी से लड़ना हम सबकी जिम्मेदारी है।महिलाओं को ही आगे ना करें।