26 मार्च 2017
रेणु जी,आपकी टिप्पणी सटिक है,मीरा बाई के भक्ति और व्यक्तित्व पुँज को शब्दों में नही बांधा जा सकता है ,फिर भी एक छोटा सा प्रयास किया है।धन्यवाद
29 मार्च 2017
गोविन्द जी- मीरा पर आपका ये आलेख सरस और हृदयस्पर्शी बन पड़ा है | मीरा भक्ति काल की काव्य धारा में बहुत ऊँचा स्थान रखती हैं -- श्री कृष्ण के प्रति उनका समर्पित प्रेम अनुपम है -- उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सगुण भक्ति को पोषित किया | मीरा राजस्थान का वो अनमोल रतन है जिसकी आभा युगों - युगों तक कायम रहेगी |
28 मार्च 2017