जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी
आज आराधना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था उसके चेहरे की मुस्कान उसके मन की खुशी का इज़हार कर रही थी। उसकी आंखों के सामने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जिन पर सफ़ेद बर्फ़ की चादर फैली हुई थी सामने खुबसूरत झील जिसमें बत्तखें अठखेलियां कर रहीं थीं रंग-बिरंगी नाव जिन पर बैठे लोग झील के शांतिपूर्ण वातावरण में नौका विहार कर रहे थे। थोड़ी दूरी पर ही पंक्षियों का कलरव सुनाई दे रहा था साथ ही झरने के पानी का मधुर संगीत मन को आह्लादित कर रहा था। आराधना इस खूबसूरत पहाड़ी इलाके में अपने पति विकास के साथ अपना हनीमून मनाने आई थी।
तभी रिमझिम बारिश की फुहारों ने आराधना को भिगोना शुरू कर दिया सावन का महीना वैसे भी माॅनसून का महीना माना जाता है विकास उसके लिए आइसक्रीम लेने गया हुआ था।वहां उपस्थित सभी लोग बरखा रानी के साथ भीगने का आंनद उठा रहे थे आराधना भी बच्चों की तरह नाचती हुई भीग रही थी तभी ठंडी हवाओं ने गुस्ताखी की और आराधना का सुर्ख लाल दुपट्टा उड़ा ले गया। आराधना ने घबराकर उसे पकड़ना चाहा पर वह उड़ता हुआ दूर चला गया आराधना उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ी तभी सामने से आ रहे एक आदमी के चेहरे पर वह दुपट्टा लिपट गया।आराधना उसके पास पहुंचकर बहुत शालिनता से बोली "माफ़ कीजियेगा हवा में मेरा दुपट्टा उड़ गया था" उस आदमी ने अपने चेहरे से दुपट्टा हटाते हुए कहा "कोई बात नहीं" तभी उस आदमी की नज़र आराधना पर पड़ी वह आराधना को देखकर चौंक गया आराधना ने भी आश्चर्य से उस आदमी को देखा फिर अचानक उसके चेहरे पर आक्रोश के भाव दिखाई देने लगे आराधना ने अपना दुपट्टा लिया।
तभी वहां विकास आ गया उसने घबराकर पूछा "तुम कहां चली गई थी मैं तुम्हें झील के किनारे ढूंढ रहा था मैं तो घबरा गया कि, तुम कहीं यहां खो न जाओ"
" जब-तक आप मेरे साथ है मैं कहीं खो ही नहीं सकती सिवाय आपकी आंखों के" आराधना ने जानबूझकर उस आदमी को सुनाते हुए कहा।
तभी उस आदमी के पास एक मोटी सी लड़की आकर खड़ी हो गई वह पूरी तरह बारिश में भीगी हुई थी उसने गुस्से में कहा " दिनेश तुम यहां क्या कर रहे हो मैं कब से तुम्हें ढूंढ रही हूं तुम्हें मालूम है कि, मुझे बारिश का मौसम पसंद नहीं है मैं तुम्हारे कहने पर बाहर घूमने आई थी मैंने कहा था बारिश होने से पहले हम होटल लौट जाएंगे और तुम यहां घूम रहे हो तुम्हारे कारण मुझे भी भीगना पड़ा देखो मैं भीग गई अब अगर मेरी तबीयत ख़राब हो गई तो"
" मोना मैं तुम्हारे पास ही आ रहा था कि, अचानक बारिश शुरू हो गई इसमें मेरा क्या दोष है तुम्हें वहीं कहीं रूक जाना था मैं तुम्हारे पास वही आ जाता तुम भीगती हुई यहां क्यों चलीं आई"दिनेश ने अपनी सफाई देते हुए कहा।
"तुम मेरे पास आ रहे थे कि, यहां आती जाती सुन्दर लड़कियों को देख रहे हो मैं सब समझती हूं मैं सुन्दर नहीं हूं इसलिए सुन्दर लड़कियों को देखकर अपनी आंखों की प्यास बुझाते हो और मेरी दौलत पर ऐश करते हो तुमने दौलत के लिए मुझसे शादी की है क्या मैं जानती नहीं चलो यहां से आज के बाद अगर मुझे बिना लिए होटल के कमरे से बाहर निकले तो ठीक नहीं होगा यह बात कान खोलकर सुन लो" मोना ने धमकाते हुए दिनेश से कहा और उसका हाथ पकड़कर चली गई।
आराधना ने साफ़ देखा कि, दिनेश का चेहरा अपमान के कारण काला पड़ गया था वह शर्म से नज़रें झुका कर चुपचाप अपनी पत्नी के साथ चला गया।आराधना दिनेश को जाते हुए देखती रही फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर व्यंग भरी विजयी मुस्कुराहट फ़ैल गई।
" कैसी औरत है जो बीच बाज़ार में अपने पति का अपमान कर रही है वह बेचारा चुपचाप अपनी पत्नी की बातों को सुन रहा था पत्नी उसकी शराफ़त का फ़ायदा उठा रही थी" विकास ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा।
" वह देखने में शरीफ़ लग रहा है वह कोई शरीफ़ वरीफ नहीं होगा आपने देखा नहीं खुद कितना हैंडसम है और उसकी पत्नी कितनी बेडौल है उस आदमी ने दहेज के लिए शादी की होगी तभी उसकी पत्नी उसका अपमान कर रही है ऐसे लड़कों के साथ ऐसा ही होना चाहिए तभी उन्हें सबक मिलेगा मुझे लगता है कि, लड़की ठीक कर रही है अगर वह अपने पति को कंट्रोल में नहीं रखेंगी तो वह आदमी अपनी पत्नी की दौलत पर बाहर ऐश करेगा और घर में उसकी पत्नी कुढ़ती रहेगी" आराधना ने गुस्से में नफ़रत से मुंह बनाते हुए कहा।
विकास बहुत ध्यान से आराधना का चेहरा देख रहा था फिर धीरे से मुस्कुराते हुए कहा " क्या यह वही लड़का है जिससे तुम प्यार करती थीं और उसने दौलत के लिए तुम्हें ठुकरा दिया था"
आराधना ने चौंककर विकास की ओर देखा उसके चेहरे पर डर और घबराहट साफ़ दिखाई देने लगी।आराधना का डरा हुआ चेहरा देखकर विकास ने कहा "घबराओ नहीं मुझे सब पता है तुम्हारी दीदी यानिकि मेरी भाभी ने मुझे सब बता दिया कि,तुम किसी से प्यार करती थी पर उसने दौलत के कारण तुम्हारे प्यार का अपमान किया किसी और से शादी कर ली मैंने सब कुछ जान समझकर तुम से शादी की है क्योंकि मैंने जब पहली बार भैया की शादी में तुम्हें देखा था मैं तभी से तुम्हें चाहने लगा था।मैंने यह बात जब भाभी को बताई तो उन्होंने मुझसे कहा था कि, तुम्हारे प्यार ने तुम्हें धोखा दिया है इसलिए तुम अब शादी करना ही नहीं चाहतीं। लेकिन जब भाभी को यकीन हो गया की मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूं तब भाभी ने कहा कि,वह तुम्हें शादी के लिए मना लेंगी पर मैंने भाभी से कहा था कि,वह तुम्हें यह न बताएं कि, मुझे उनके पहले प्यार के विषय में जानकारी है इसलिए भाभी ने तुमसे कुछ नहीं कहा। लेकिन आज मैंने तुम्हें यह बात इसलिए बताई जिससे तुम्हें मन का यह भय कि, कहीं मुझे तुम्हारे प्यार के विषय में किसी से पता न चल जाए समाप्त हो जाए "
विकास ने आराधना का हाथ पकड़कर बहुत प्यार से कहा तभी रूकी हुई बारिश फिर से शुरू हो गई आराधना बहुत ही प्यार और श्रद्धा से विकास को देखने लगी वर्षा की बूंदें उन दोनों को भिगोने लगी।आज आराधना के मन की सभी आशाएं एक साथ पूरी हो गई इस बार का सावन आराधना के जीवन में खुशियों की बरसात लेकर आया था।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
25/7/2021