shabd-logo

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात

1 मार्च 2022

19 बार देखा गया 19

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात

 
शादी की सभी तैयारी हो गई थी बाहर रिमझिम फुहारों ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया था तभी रमेश जी को पंडितजी की आवाज सुनाई दी।

" कन्या के माता-पिता को बुलाइए वह यहां आकर अपनी बेटी का कन्यादान करें" पंडित जी ने मंड़प से दुल्हन बनी सपना के माता-पिता को बलाया

" हम लोग आ गए पंडित जी" सपना के पिता रमेश जी ने  अपनी पत्नी राधा के साथ पंडितजी के पास आते हुए कहा।

" आइए जजमान अपनी बेटी का पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न कीजिए ऐसा शुभ कार्य करने का अवसर भाग्यशालियों को ही मिलता है" पंडितजी ने मुस्कुराते हुए कहा।

पंडित जी के कहने पर रमेश और राधा जी ने सपना के मेंहदी रचे चूड़ियों से सजे हाथ को तुषार के हाथ में रख दिया। ऐसा करते हुए रमेश जी और राधा की आंखों में आंसू थे, लेकिन उनकी आंखों के आंसू में ख़ुशी झलक रही थी।

" तुषार बेटा मैं सपना का हाथ ही नहीं तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं बल्कि अपनी पूरी जिंदगी तुम्हें सौंप रहा हूं अब मेरी जिंदगी तुम्हारे हाथों में है मैंने बहुत विश्वास के साथ ऐसा किया है मेरे इस विश्वास को बनाए रखना" रमेश ने तुषार से कहा।

" चाचाजी मैं आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा आप मेरा विश्वास कीजिए" तुषार ने रमेश से कहा।

पंडितजी ने दुल्हा-दुल्हन को फेरो के लिए खड़ा किया फेरों के बाद तुषार ने सपना की मांग में सिंदूर भर दिया।सपना की मांग में सिंदूर देखकर राधा के चेहरे पर खुशी की मुस्कान दौड़ गई।तुषार ने जैसे ही सपना की मांग में सिंदूर भरा तो सपना अतीत के वादियों में चलती चली गई

जब मनोज ने पहली बार उसकी मांग में सिंदूर भर के उसे अपनी पत्नी का अधिकार दिया था उस दिन से सपना स्वयं को भाग्यशाली समझने लगी थी। क्योंकि मनोज ने उस अनाथ को प्यार सम्मान और परिवार सब कुछ दे दिया था।रमेश और राधा को भी सपना के रूप में बहू के साथ साथ एक बेटी भी मिल गई थी।सपना रमेश और राधा का बहुत ध्यान रखती थी सपना के जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं मनोज जैसा प्यार करने वाला पति और माता-पिता की तरह प्यार करने वाले सास-ससुर, पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। एक एक्सीडेंट में मनोज की मौत हो गई सपना के जीवन में अमावस्या की काली रात आ गई उसके जीवन की सारी खुशियां स्वाहा हो गई।सपना भी मनोज के साथ मर जाना चाहती थी पर वह ऐसा कर नहीं सकी क्योंकि उसके कंधों पर मनोज के माता-पिता की जिम्मेदारी आ गई थी।

मनोज के माता-पिता के लिए सपना ने स्वयं को संभाला और एक स्कूल में नौकरी करने लगी मनोज का घर बड़ा था तो उसके एक हिस्से को रमेश जी ने तुषार को किराए पर रहने के लिए दिया तुषार अपनी विधवा मां के साथ रमेश जी के घर में रहने लगा। धीरे-धीरे तुषार की अच्छाईयों ने रमेश और राधा को अपनी तरफ़ आकर्षित करना शुरू किया। तुषार भी सपना से प्यार करने लगा पर उसने अपने प्यार का इज़हार करने की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि सपना हमेशा गम्भीर रहती थी।

एक दिन बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी घर के अंदर रमेश और राधा बेचैनी से टहल रहे थे क्योंकि सपना अभी स्कूल से घर नहीं लौटी थी।जब यह बात तुषार को पता चली तो वह उसी मूसलाधार बारिश में अपनी बाइक लेकर सपना को लेने चला गया सपना अपने स्कूल में ही थी भारी बारिश के कारण उसे कोई सवारी नहीं मिली थी,ं और इतना तेज़ बारिश में वह अकेले आने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी जब तुषार वहां पहुंचा तो वह पूरी तरह भीगा हुआ था।न चाहते हुए भी मजबूरी में सपना को तुषार के साथ आना पड़ा क्योंकि बारिश के बंद होने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहें थे।
जब तुषार के साथ सपना घर पहुंची तो रमेश और राधा की जान में जान आई उसके बाद से रमेश जी के मन में एक सपना पलने लगा अगर सपना की शादी तुषार से हो जाए तो कितना अच्छा हो सपना के आगे पूरी जिंदगी पड़ी हुई है।एक दिन जब तुषार और उसकी मां रमेश जी के साथ बाहर गार्डन में बैठे थे तो रमेश ने अपने मन की बात तुषार को बता दिया रमेश की बात सुनकर तुषार की मां ने कहा कि, "मैं खुद सपना को अपनी बहू बनाने के सपने देखने लगी हूं  तुषार सपना से प्यार करने लगा है और वह भी सपना से शादी करना चाहता है"
तुषार की मां की बात सुनकर रमेश जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उनका चेहरा खुशी से चमकने लगा। तभी बिजली कड़की और रिमझिम बरसात शुरू हो गई बारिश की बूंदों को देखकर रमेश जी ने मुस्कुराते हुए कहा " हमारी खुशियों में सावन भी हमारा साथ दे रहा है"
जब तुषार की तरफ़ से रमेश जी निश्चित हो गए तो उन्होंने सपना से इस विषय में बात की पहले तो सपना दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हुई लेकिन रमेश जी और राधा के समझाने के बाद वह इस शर्त पर शादी के लिए तैयार हुई की वह रमेश और राधा को छोड़कर नहीं जाएगी।तुषार की मां ने कहा कि, मुझे कोई एतराज़ नहीं है हम लोग भी इसी घर में किराएदार बनकर रहेंगे इस तरह तुम्हें अपने माता-पिता को छोड़ना नहीं पड़ेगा।तब रमेश जी ने भी कहा इस तरह हमें हमारा बेटा मनोज तुषार के रूप में वापस मिल जाएगा हमारे न रहने के बाद मेरा सब कुछ सपना का ही है।इस तरह रमेश जी राधा और सपना के जीवन में तुषार खुशियों की बहार बनकर आया तभी किसी ने रमेश जी से कहा
" रमेश जी आपने अपनी बहू की दूसरी शादी करवा कर समाज को एक संदेश दिया है कि, लड़कियों को भी दोबारा अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है"
यह सुनकर सपना अतीत से बाहर निकल आई तभी किसी ने कहा रमेश जी की खुशी में ईश्वर भी बारिश करके वर-वधू को आशीर्वाद दे रहें हैं।रमेश जी ठहाका लगाकर हंसने लगे वहां उपस्थित सभी लोगों ने उनका साथ दिया।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
22/7/2021


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut accha likha aapne 👏👏

1 मार्च 2022

Kanchan Shukla

Kanchan Shukla

2 मार्च 2022

बहुत बहुत आभार आपका काव्या जी

23
रचनाएँ
Kanchan Shukla की डायरी ( दैनंदिनीं)
0.0
मैं अपनी डायरी में अपनी कहानियों को संग्रहित कर रही हूं यह डायरी मैंने भी पहले ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था अब प्रतियोगिता के लिए लिख रहीं हूं।
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया

8 फरवरी 2022
3
1
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया सुचिता की ससुराल में आज पहली रसोई थी अषाढ़ का महीना था आज सुबह से ही रिमझिम फुहारों ने पूरे वातावरण को सोंधी खुशबू से महका दिया था। सुचिता की सास ने कल ही उससे कह दिया थ

2

उस रात की कहानी

9 फरवरी 2022
6
2
3

उस रात की कहानी आज शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी बारिश के साथ साथ तेज़ हवाएं भी चल रहीं थीं रह-रह कर बिजली कड़क रही थी बारिश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे आज प्रलय ही आ जाएगी।इ

3

रेत का घरौंदा ( झूंठे रिश्तों से मुक्ति)

10 फरवरी 2022
3
1
1

रेत का घरौंदा (झूंठे रिश्तों से मुक्ति) " मैंने तुमसे क्या कहा था ना, मीरा को बेवकूफ़ बनाकर शीशे में उतारना बहुत आसान है।तुम बेवज़ा डर रही थीं,अब मीरा हमारे बच्चे को पालेगी और हम दोनों जीवन का आ

4

हाथ की लकीरें

11 फरवरी 2022
2
1
2

" मां पंडित जी आए हैं"मीनू ने अपने मां से कहा और पंडित जी को बैठने के लिए कहकर कालेज जाने के लिए निकलने लगी। तभी पंडित जी ने कहा" बिटिया कहां जा रही हो?? तुम्हारी मां ने तुम्हारा हाथ दिखाने के लिए मुझ

5

मृगतृष्णा

12 फरवरी 2022
0
0
0

मृगतृष्णा मेधा जब घर लौटी तो आज भी दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ताला देखकर मेधा गुस्से से भर उठी वह सोचने लगी समीर आज भी नहीं आया जबकि उसने कहा था कि,वह आज ज़रूर लौट आएगा। मेधा ने ताला खोला

6

प्यार का इज़हार

13 फरवरी 2022
0
0
0

प्यार का इज़हार " जिस दिल में प्रेम होता है उस मन में मदद की भावनाएं सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हैं " यह तथ्य इस कहानी की नायिका स्वाति के व्यक्तित्व पर पूर्णरुपेण लागू होती है यह कहानी स

7

ग़लत फैसले का अंज़ाम

14 फरवरी 2022
1
1
1

गलत फ़ैसले का अंज़ाम " मैंने अच्छी तरह सोच लिया है वैभव मैं यहीं अमेरिका में ही रहूंगी मुझे भारत लौटकर नहीं जाना है जाॅन कह रहा था अगर मैं चाहूं तो कम्पनी में स्थाई रूप से नौकरी कर सकती हूं। इस

8

जब दोबारा हाथों में रची मेंहदी

15 फरवरी 2022
5
1
2

जब दोबारा हाथों में लगी मेंहदी राघवेन्द्र जी का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था ग़ुलाब, बेला, चम्पा और मोंगरें के फूलों से पूरा वातावरण महक रहा था उनकी इकलौती बेटी रति की शादी की रस्में चल रही थीं।

9

अपना गांव अपना देश

16 फरवरी 2022
0
0
0

अपना गांव अपना देश " तुम भारत क्यों जाना चाहती हो उस देश में क्या रखा है स्वार्थ, बेईमानी,लालच, विश्वासघात के अलावा वहां कुछ नहीं है वहां आज भी लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नहीं मिली है ज

10

डर एक भ्रम

17 फरवरी 2022
0
0
0

सुहानी बहुत ही हंस मुख बच्ची थी उम्र लगभग 10 साल वह अपनी मां के साथ रहतीं थीं मां के अतिरिक्त उसके आगे पीछे कोई नहीं था पर अपने सरल और हंसमुख स्वभाव के कारण कालोनी के सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे। सु

11

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश

18 फरवरी 2022
0
0
0

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश नीरा अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि, उसके माता-पिता उसकी उस अधूरी ख्वाहिश को कभी पूरा नहीं होने देंगे नीरा अपने मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मे

12

गुलाबी ख़त

19 फरवरी 2022
1
1
0

गुलाबी ख़त पता नहीं वह सपना था भ्रम!! सलोनी अपने हाथ में पकड़े हुए उस गुलाबी ख़त को बार-बार पढ़ रही थी। उसने अपनी आंखों को अपनी हथेलियों से मला फिर पढ़ने लगी पर ख़त के शब्दों में कोई बदलाव नहीं आया। स

13

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख

20 फरवरी 2022
1
1
2

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख सौरभ की कार न्यूयॉर्क की सड़क पर दौड़ रही थी सौरभ को ध्यान ही नहीं था कि वह अपनी ही धुन में कार की स्पीड बढ़ाता जा रहा है अचानक एक मोड़ पर आते ही उसकी कार

14

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है)

21 फरवरी 2022
2
0
0

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है) जया जैसे ही ट्रेन में चढी ट्रेन रेंगने लगी उसने अपने भैया (मामा जी के बेटे) को हाथ हिलाकर विदा किया, " जया अपना ध्यान रखना और लखनऊ पहुंचे ही फोन करना अ

15

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार

22 फरवरी 2022
2
1
0

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार रेवती जी चिंता के साथ-साथ डरी भी हुई थीं जब से उनके बेटे भारत का फोन आया था फोन पर उसने कहा कि, वह अपनी पत्नी लिजा के साथ हमेशा के लिए भारत आ रहा है अब वह उनके साथ ही

16

मैं वापस जा रहा हूं

23 फरवरी 2022
3
1
2

मैं वापस जा रहा हूं " सेजल तेरे पति कहीं दिखाई नहीं दे रहें हैं आज तुम लोगों की शादी की सालगिरह है और पतिदेव पार्टी से नदारद हैं" सेजल की एक सहेली ने सेजल से कहा। " कोई इमरजेंसी केस आ गया होगा

17

तुम्हारा आखिरी संदेश

24 फरवरी 2022
0
0
0

तुम्हारा आखिरी संदेश बाहर तूफ़ानी रफ़्तार से हवाएं चल रही थी बिजली भी रह-रहकर कड़क रही थी मूसलाधार बारिश के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था मोबाइल का नेटवर्क भी गायब हो गया था। कनक घर काम

18

अपने देश और अपनो की यादें

25 फरवरी 2022
0
0
0

अपने देश और अपनो की यादें मिहिर की नींद आज जल्दी ही खुल गई उसे लगा बाहर बारिश हो रही है कमरे की खिड़कियां बंद थीं इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था उसने बगल में सो रही अपनी पत्नी जेनिफर की ओर द

19

भूली दास्तां फिर याद आ गई

26 फरवरी 2022
0
0
0

भूली दास्तां फिर याद आ गई दस दिनों से लगातार बरसता हो रही थी आज जाकर सूर्यदेव ने दर्शन दिए गायत्री जी ने अपने घर काम करने वाली दुलारी की बेटी रानी जो अपनी मां के साथ अकसर गायत्री जी के घर आती थ

20

मैं लौटकर आऊंगा

27 फरवरी 2022
1
1
0

मैं लौटकर आऊंगा मुग्धा के हाथ से रिसीवर छूटकर गिर गया वह स्तब्ध खड़ी रही उधर से हेलो, हेलो की आवाज आ रही थी तभी हाल में मुग्धा का देवर पवन आ गया उसने स्तब्ध मुद्रा में अपनी भाभी को खड़े देखा और

21

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी

28 फरवरी 2022
0
0
0

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी आज आराधना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था उसके चेहरे की मुस्कान उसके मन की खुशी का इज़हार कर रही थी। उसकी आंखों के सामने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जिन पर सफ़ेद बर्फ़ की चा

22

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात

1 मार्च 2022
2
1
2

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात शादी की सभी तैयारी हो गई थी बाहर रिमझिम फुहारों ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया था तभी रमेश जी को पंडितजी की आवाज सुनाई दी। " कन्या के माता-पिता को बुलाइए वह यहां आकर

23

हम साथ साथ हैं

2 मार्च 2022
1
1
1

" प्रभास तुम्हें इतना उदास और परेशान नहीं होना चाहिए जिंदगी में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं ऐसी स्थिति हमें हमारे साहस और अपनो की पहचान कराते हैं। सामने उन फूलों को देखो कैसे मुस्कुराते हुए अप

---

किताब पढ़िए