पाणिग्रहण खुशियों की सौगात
शादी की सभी तैयारी हो गई थी बाहर रिमझिम फुहारों ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया था तभी रमेश जी को पंडितजी की आवाज सुनाई दी।
" कन्या के माता-पिता को बुलाइए वह यहां आकर अपनी बेटी का कन्यादान करें" पंडित जी ने मंड़प से दुल्हन बनी सपना के माता-पिता को बलाया
" हम लोग आ गए पंडित जी" सपना के पिता रमेश जी ने अपनी पत्नी राधा के साथ पंडितजी के पास आते हुए कहा।
" आइए जजमान अपनी बेटी का पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न कीजिए ऐसा शुभ कार्य करने का अवसर भाग्यशालियों को ही मिलता है" पंडितजी ने मुस्कुराते हुए कहा।
पंडित जी के कहने पर रमेश और राधा जी ने सपना के मेंहदी रचे चूड़ियों से सजे हाथ को तुषार के हाथ में रख दिया। ऐसा करते हुए रमेश जी और राधा की आंखों में आंसू थे, लेकिन उनकी आंखों के आंसू में ख़ुशी झलक रही थी।
" तुषार बेटा मैं सपना का हाथ ही नहीं तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं बल्कि अपनी पूरी जिंदगी तुम्हें सौंप रहा हूं अब मेरी जिंदगी तुम्हारे हाथों में है मैंने बहुत विश्वास के साथ ऐसा किया है मेरे इस विश्वास को बनाए रखना" रमेश ने तुषार से कहा।
" चाचाजी मैं आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा आप मेरा विश्वास कीजिए" तुषार ने रमेश से कहा।
पंडितजी ने दुल्हा-दुल्हन को फेरो के लिए खड़ा किया फेरों के बाद तुषार ने सपना की मांग में सिंदूर भर दिया।सपना की मांग में सिंदूर देखकर राधा के चेहरे पर खुशी की मुस्कान दौड़ गई।तुषार ने जैसे ही सपना की मांग में सिंदूर भरा तो सपना अतीत के वादियों में चलती चली गई
जब मनोज ने पहली बार उसकी मांग में सिंदूर भर के उसे अपनी पत्नी का अधिकार दिया था उस दिन से सपना स्वयं को भाग्यशाली समझने लगी थी। क्योंकि मनोज ने उस अनाथ को प्यार सम्मान और परिवार सब कुछ दे दिया था।रमेश और राधा को भी सपना के रूप में बहू के साथ साथ एक बेटी भी मिल गई थी।सपना रमेश और राधा का बहुत ध्यान रखती थी सपना के जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं मनोज जैसा प्यार करने वाला पति और माता-पिता की तरह प्यार करने वाले सास-ससुर, पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। एक एक्सीडेंट में मनोज की मौत हो गई सपना के जीवन में अमावस्या की काली रात आ गई उसके जीवन की सारी खुशियां स्वाहा हो गई।सपना भी मनोज के साथ मर जाना चाहती थी पर वह ऐसा कर नहीं सकी क्योंकि उसके कंधों पर मनोज के माता-पिता की जिम्मेदारी आ गई थी।
मनोज के माता-पिता के लिए सपना ने स्वयं को संभाला और एक स्कूल में नौकरी करने लगी मनोज का घर बड़ा था तो उसके एक हिस्से को रमेश जी ने तुषार को किराए पर रहने के लिए दिया तुषार अपनी विधवा मां के साथ रमेश जी के घर में रहने लगा। धीरे-धीरे तुषार की अच्छाईयों ने रमेश और राधा को अपनी तरफ़ आकर्षित करना शुरू किया। तुषार भी सपना से प्यार करने लगा पर उसने अपने प्यार का इज़हार करने की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि सपना हमेशा गम्भीर रहती थी।
एक दिन बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी घर के अंदर रमेश और राधा बेचैनी से टहल रहे थे क्योंकि सपना अभी स्कूल से घर नहीं लौटी थी।जब यह बात तुषार को पता चली तो वह उसी मूसलाधार बारिश में अपनी बाइक लेकर सपना को लेने चला गया सपना अपने स्कूल में ही थी भारी बारिश के कारण उसे कोई सवारी नहीं मिली थी,ं और इतना तेज़ बारिश में वह अकेले आने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी जब तुषार वहां पहुंचा तो वह पूरी तरह भीगा हुआ था।न चाहते हुए भी मजबूरी में सपना को तुषार के साथ आना पड़ा क्योंकि बारिश के बंद होने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहें थे।
जब तुषार के साथ सपना घर पहुंची तो रमेश और राधा की जान में जान आई उसके बाद से रमेश जी के मन में एक सपना पलने लगा अगर सपना की शादी तुषार से हो जाए तो कितना अच्छा हो सपना के आगे पूरी जिंदगी पड़ी हुई है।एक दिन जब तुषार और उसकी मां रमेश जी के साथ बाहर गार्डन में बैठे थे तो रमेश ने अपने मन की बात तुषार को बता दिया रमेश की बात सुनकर तुषार की मां ने कहा कि, "मैं खुद सपना को अपनी बहू बनाने के सपने देखने लगी हूं तुषार सपना से प्यार करने लगा है और वह भी सपना से शादी करना चाहता है"
तुषार की मां की बात सुनकर रमेश जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उनका चेहरा खुशी से चमकने लगा। तभी बिजली कड़की और रिमझिम बरसात शुरू हो गई बारिश की बूंदों को देखकर रमेश जी ने मुस्कुराते हुए कहा " हमारी खुशियों में सावन भी हमारा साथ दे रहा है"
जब तुषार की तरफ़ से रमेश जी निश्चित हो गए तो उन्होंने सपना से इस विषय में बात की पहले तो सपना दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हुई लेकिन रमेश जी और राधा के समझाने के बाद वह इस शर्त पर शादी के लिए तैयार हुई की वह रमेश और राधा को छोड़कर नहीं जाएगी।तुषार की मां ने कहा कि, मुझे कोई एतराज़ नहीं है हम लोग भी इसी घर में किराएदार बनकर रहेंगे इस तरह तुम्हें अपने माता-पिता को छोड़ना नहीं पड़ेगा।तब रमेश जी ने भी कहा इस तरह हमें हमारा बेटा मनोज तुषार के रूप में वापस मिल जाएगा हमारे न रहने के बाद मेरा सब कुछ सपना का ही है।इस तरह रमेश जी राधा और सपना के जीवन में तुषार खुशियों की बहार बनकर आया तभी किसी ने रमेश जी से कहा
" रमेश जी आपने अपनी बहू की दूसरी शादी करवा कर समाज को एक संदेश दिया है कि, लड़कियों को भी दोबारा अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है"
यह सुनकर सपना अतीत से बाहर निकल आई तभी किसी ने कहा रमेश जी की खुशी में ईश्वर भी बारिश करके वर-वधू को आशीर्वाद दे रहें हैं।रमेश जी ठहाका लगाकर हंसने लगे वहां उपस्थित सभी लोगों ने उनका साथ दिया।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
22/7/2021