मैं लौटकर आऊंगा
मुग्धा के हाथ से रिसीवर छूटकर गिर गया वह स्तब्ध खड़ी रही उधर से हेलो, हेलो की आवाज आ रही थी तभी हाल में मुग्धा का देवर पवन आ गया उसने स्तब्ध मुद्रा में अपनी भाभी को खड़े देखा और रिसीवर जमीन पर पड़ा था।पवन ने मुग्धा को आवाज लगाई पर मुग्धा शून्य में ताक रही थी जैसे वह होशोहवास में न हो पवन ने आगे बढ़कर रिसीवर उठाया और कान में लगाकर उधर से आवाज सुनाई दी "आप सुन रही हैं मिसेज पांडेय" पवन ने कहा "मैं उनका देवर पवन बोल रहा हूं बताइए क्या बात है जिसे सुनकर भाभी जड़ हो गई हैं मुझे घबराहट हो रही है आप कहां से बोल रहें हैं" पवन ने जल्दी से कहा
"मैं मिलेट्री हेडक्वार्टर से ब्रिगेडियर चौहान बोल रहा हू आपके भाई मेजर प्रफ़ुल्ल लापता हैं वह बार्डर पर आतंकवादियो की घुसपैठ को नाकाम करने के लिए गए थे उन्होंने आतंकवादियों को तो धराशाई कर दिया लेकिन उसके बाद उनसे सम्पर्क टूट गया उन्हें खोजने की बहुत कोशिश की गई पर उनका अभी तक कोई पता नहीं चला है आज उन्हें लापता हुए 15 दिन हो गए हैं।अगर मेज़र प्रफुल्ल के विषय में कोई सूचना मिलेगी तो हम आपको सूचित करेंगे आप लोग अपना हौसला बनाए रखें मेज़र प्रफुल्ल जरूर वापस लौटकर आएगे उनके जैसा जांबाज सिपाही कभी हार नहीं मान सकता वह अगर मौत के बीच फंसे होगे तो मौत को भी हराकर वापस आएंगे"ब्रिगेडियर साहब ने दृढ़ता से कहा
पवन ने हताश होकर रिसीवर फोन पर रखा और अपनी भाभी के पास आया जो अभी भी वैसे ही पत्थर की मूर्ति की भांति खड़ी हुई थीं।पवन ने उन्हें कंधे से पकड़कर झकझोर दिया मुग्धा जैसे होश में आ गई " भाभी आप होश में आइए भैया को कुछ नहीं हो सकता वह वापस लौटकर आएगे"
"प्रफुल्ल वापस लौटकर आएगे वह मुझसे वादा करके गए हैं अपने बच्चे के जन्म पर वह उससे मिलने आएगे वह अपना वादा तोड़ नहीं सकते" मुग्धा विक्षिप्तावस्था में बोले जा रही थी बाहर तूफ़ानी हवाएं तेज़ रफ़्तार से चल रही थी घनघोर बारिश हो रही थी रह-रहकर बिजली कड़क रही थी।आज 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस था और आज ही के दिन मेज़र प्रफुल्ल के लापता होने की ख़बर मुग्धा को मिली।
पवन की तेज आवाज सुनकर मुग्धा के सास-ससुर भी हाल में आ गए जब उन्हें अपने बेटे के लापता होने की ख़बर मिली तो दोनों वही पड़े सोफे पर कटे वृक्ष की तरह गिर पड़े उनकी आंखों से आंसू बह निकले लेकिन उन्होंने अपने आंसूओं को अपनी आंखों में ही जप्त कर लिया क्योंकि उन्हें अपनी गर्भवती बहू प्रफुल्ल की पत्नी को भी संभालना था।
अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान लेकर उन्होंने मुग्धा से कहा " बेटी मेरे बेटे को कुछ नहीं हो सकता तुम देखना अभी थोड़ी देर में ही ब्रिगेडियर साहब का फोन आएगा कि, मेजर प्रफ़ुल्ल अपने दुश्मनों को मौत के घाट उतारने के बाद सकुशल वापस अपने हेडक्वार्टर लौट आए हैं।वह तुमसे और हम सभी से वादा कर के गया है कि,वह अपने बच्चे के जन्म पर जरूर घर आएगा वह मेरा बेटा है वह वादा खिलाफी नहीं कर सकता वह लौटकर आएगा" मुग्धा के ससुर ने दृढ़ता से कहा पर कहते-कहते उनकी आवाज भर्रा गई।
" हां जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं वह आएगा उसने कई बार दुश्मनों को मात दी है कारगिल विजय पर तो वह वैसे भी विशेष जश्न मनाता है तिंरगे की शान के लिए जिस तरह वह दुश्मन के लिए काल बन जाता है उसी प्रकार वह अपने वादे को पूरा करने के लिए मौत को भी ललकार कर उस को मात दे अपनी मां के पास जरूर आएगा" मुग्धा की सास ने मुग्धा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा जबकि उनकी स्वयं की आंखों से गंगा-जमुना बह रही थी।
" हां भाभी मुझे पूरा विश्वास है वह लौटकर आएगे, मेरे भैया अपने वादे के बहुत पक्के हैं आप विश्वास रखिए वह जरूर आएंगे" पवन ने भी अपनी भाभी को दिलासा देते हुए कहा।
घर के सभी लोग मुग्धा को दिलासा दे रहे थे पर सभी के दिल में चोर बैठा हुआ था कि,अब न जाने कैसी ख़बर आएगी कहीं कोई अनहोनी न हो जाए अगर ऐसा हुआ तो वह लोग मुग्धा को भी खो देंगे।
तभी फ़ोन की घंटी बजी बाहर बिजली कड़की और बारिश ने विकराल रूप धारण कर लिया था।पवन ने जल्दी से रिसीवर उठाया हेलो उधर से क्या कहा गया यह तो सुनाई नहीं दिया लेकिन उधर की आवाज सुनकर पवन के चेहरे पर खुशी दिखाई देने लगी
" क्या कहा आपने भैया लौट आए क्या यह ख़बर सच्ची है उधर से आवाज आई हां लीजिए मेज़र प्रफुल्ल से बात कीजिए हेलो भैया आप ठीक तो हैं" पवन ने कहा
इतना सुनते ही मुग्धा ने रिसीवर पवन के हाथ से छिन लिया और रोते हुए बोली " आप बहुत बुरे हैं मैं आपसे बात नहीं करूंगी और आपके बेटे से भी कहूंगी कि,आप अपने पापा से बात न करना वह हमें बहुत सताते हैं" इतना कहते-कहते मुग्धा फूट-फूट कर रो पड़ी और रोते हुए बोली "आप लौट आओ हम सब आपका इंतज़ार कर रहें हैं"
" आज 26 जुलाई है मुग्धा कारगिल विजय दिवस आज तो मुझे विजयी होकर लौटना ही था"
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
26/7/2021