अपने देश और अपनो की यादें
मिहिर की नींद आज जल्दी ही खुल गई उसे लगा बाहर बारिश हो रही है कमरे की खिड़कियां बंद थीं इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था उसने बगल में सो रही अपनी पत्नी जेनिफर की ओर देखा तो वह गहरी नींद में सो रही थी वैसे भी आज छुट्टी का दिन था इसलिए वह निश्चित होकर सो रही थी जेनिफर को देखकर मिहिर के चेहरे पर एक दर्द भरी मुस्कान फ़ैल गई। उसने अपने सिर को झटका और बिस्तर से उठ गया रजाई से बाहर निकलते ही उसे ठंड का अहसास हुआ मिहिर ने जल्दी से अपना गरम हाऊस गाउन पहन लिया और आगे बढ़कर खिड़की खो दी पानी की बौछार के साथ ठंडी-ठंडी हवाओं ने मिहिर का स्वागत किया बाहर सभी पेड़-पौधे बारिश का आनंद लें रहे थे।
तभी जेनिफर की गुस्से से भरी आवाज सुनाई दी "मेहल तुमने खिड़की क्यों खोल दी मुझे ठंड लग रही है खिड़की बंद करो कितनी बार कहा है कि, बारिश में खिड़कियों को न खोला करो मुझे बारिश पसंद नहीं है" जेनिफर मिहिर को मेहल ही कहती थी उसने गुस्से में चिल्लाकर कहा।
" जेनी डार्लिंग तुम सुबह-सुबह नाराज़ क्यों हो रही हो मैं खिड़की बंद कर देता हूं" इतना कहकर मिहिर ने खिड़की बंद की और कमरे से बाहर निकल गया।
थोड़ी देर बरामदे में चहलकदमी करता रहा फिर एक लम्बी सांस खींचकर रसोईघर की तरफ़ चला गया रसोई में पहुंचकर उसने सबसे पहले अपने लिए चाय बनाई फिर चाय पीते हुए बारिश को देखने लगा मिहिर फिर अचानक उसके चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई उसने चाय ख़त्म की और प्याज़ काटने लगा प्याज़ काटने के बाद बेसन का घोल तैयार किया गैस पर कढ़ाई चढ़ा दिया और हरी चटनी बनाने की तैयारी शुरू की थोड़ी देर में ही चटनी बनकर तैयार हो गई।अब मिहिर प्याज़ के पकौड़े बनाने लगा।
तभी रसोई में मिहिर की 14 साल की बेटी आहना वहां आ गई।" डैड आप क्या बना रहें हैं"? आहना ने खुश होकर पूछा।
" गरमागरम प्याज़ के पकौड़े बना रहा हूं बिटिया रानी" मिहिर ने हंसते हुए कहा
" डैड!! प्याज़ के पकौड़े बना रहें हैं आप मैं भी खाऊंगी मुझे बहुत पसंद भी हैं पर मम्मा पकौड़े और भटूरे खाने ही नहीं देती कहती हैं बहुत आइली होता है सेहत ख़राब हो जाएगी।डैड क्या पकौड़े खाने के तबीयत ख़राब हो जाती है?"आहना ने मासूमियत से पूछा
" नहीं मेरी बिटिया रानी हम लोग तो बारिश के मौसम में पकौड़े बहुत खाते थे वह भी प्याज़ के पकौड़े हरी चटनी के साथ तुम्हारी दादी खट्टी-मीठी दोनों तरह की चटनी बनाती थी मेरी मम्मा बहुत अच्छे प्याज़ के पकौड़े बनातीं हैं आज मैं भी तुम्हें वैसे ही प्याज़ के पकौड़े बनाकर खिलाऊंगा" मिहिर ने पकौड़े बनाते हुए कहा।
" लेकिन मम्मा अगर नाराज़ हो गई तों"? आहना ने शंका जताई।
" तुम मम्मा की बातों पर ध्यान न दो बस पकौड़े खाओ" मिहिर ने प्लेट में पकौड़े निकालकर देते हुए कहा।
आहना खुश होकर पकौड़े खाने लगी तभी जेनिफर ने आहना के हाथ से पकौड़े की प्लेट ले लिया और गुस्से में बोली " तुमसे कितनी बार कहा है कि,तुम आइली चीजें न खाया करो मैं तुम्हें माडल बनाना चाहतीं हूं और तुम अपने डैड की तरह गंवारो जैसी हरकत करने से बाज़ नहीं आती क्या तुम्हें पता नहीं है कि,माडल को बहुत स्लीम होना चाहिए पर अगर तुम अपने डैड के कहने में आकर इसी तरह आइली चीजें खाओगी तो बहुत जल्दी भारत की औरतों की तरह मोटी हो जाओगी तुम भारत में नहीं अमेरिका में हो तुम्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए। जीवन में कुछ पाने के लिए मन की इच्छाओं को मारना पड़ेगा तुम्हारे डैड तो तुम्हें भी अपनी तरह गंवार बनाना चाहते हैं खुद तो जीवन में कुछ हासिल कर नहीं सके अब मुझे और तुम्हें कैरियर की ऊंचाई पर जाते हुए भी नहीं देखना चाहते" जेनिफर ने गुस्से में कहा।
" कैसी बातें कर रही हो जैनी"? बेटी के मन में गलतफ़हमी क्यों पैदा कर रही हो" मिहिर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
" मैं गलत क्या कह रही हूं मेहल मैंने कितनी बार तुम्हें समझाया है कि, अपने भारत के गंवार लोगों की तरह यहां कोई भी ऐसा काम ना करो जो मुझे पसंद न हो मैंने तुमसे शादी करते समय ही बता दिया था कि, अगर तुम मुझसे शादी कर रहे हो तो तुम्हें मेरे अनुसार चलना पड़ेगा मैं अपने देश के कल्चर को नहीं छोडूंगी पर तुम्हें अपने देश के रीति-रिवाज को छोड़ना पड़ेगा उस समय मैंने खान-पान के विषय में भी बात की थी उस समय तो तुम मेरी हर बात मानने को तैयार थे पर अब क्या हुआ है जो आज तुम अपने देश देशवासियों और वहां के खान-पान को इतना महत्व दे रहे हो" जेनिफर ने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा।
" जैनी तुम बात का बतंगड़ क्यों बना रही हो मैंने ऐसा क्या किया है जो तुम इतना नाराज़ हो रही हो मेरा मन आज प्याज़ के पकौड़े खाने का हुआ तो मैंने बना लिया और आहना को खाने को दे दिया इसमें इतना नाराज़ होने की वजह क्या है मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं"? मिहिर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा
" तुमने प्याज़ के पकौड़े क्यों बनाए तुम्हें पता है कि, मुझे वह चीज़ नहीं पसंद है जो तुम्हारी मां को पसंद है मैं तुम्हारी मां से नफ़रत करती हूं उसने ही कहा था ना कि, मैं क्रिश्चियन हूं वह मेरे हाथ का पानी भी नहीं पिएगी तुम्हारी मां ने मुझे रसोई में घुसने नहीं दिया था क्या तुम्हें याद नहीं जब तुम मुझे अपनी मां से मिलवाने भारत लेकर गए थे जब हम तुम्हारे घर पहुंचे थे उस दिन भी बारिश हो रही थी और तुम्हारी मां प्याज़ के पकौड़े बना रही थी मैंने रसोई में जाकर जैसे ही पकौड़ों की प्लेट छूई तुम्हारी मां ने सभी पकौड़ों को गाय को खिला दिया था और मुझे रसोई से निकाल कर रसोई में गंगाजल का छिड़काव किया था।उसी दिन से मुझे तुम्हारी मां, प्याज़ के पकौड़े और भारतीय कल्चर से नफ़रत हो गई थी।यह बात तुम अच्छी तरह जानते हो फिर भी तुमने जानबूझकर मुझे अपमानित करने के लिए प्याज़ के पकौड़े बनाए हैं" जेनिफर ने गुस्से में कहा
" जैनी तुम अच्छी तरह से जानती हो कि, मेरी मां गांव में रहती थी अब वह भैया के साथ शहर में रहने लगी हैं वह पुराने जमाने की औरत हैं वह जाति बंधन को मानती हैं इसलिए उन्होंने ऐसा किया था मैंने उन्हें तुम्हारे विषय में कुछ नहीं बताया था अचानक तुम्हें देखकर वह नाराज़ हो गई यह स्वाभाविक था उन्होंने अपनी बहू को साड़ी में देखने की कल्पना की थी और उन्होंने तुम्हें स्कर्ट में देखा तो उनकी नाराजगी गलत नहीं थी वह तुमसे नहीं मुझसे नाराज़ थीं उन्होंने तुम्हें तो कुछ कहा नहीं था जब मैं तुम्हारे साथ अमेरिका आने लगा तो उन्होंने मुझे रोका भी नहीं तो मेरी मां से इतनी नाराजगी क्यों हैं तुम्हें" मिहिर ने पहली बार गुस्से में कहा।
मिहिर का यह रूप देखकर जेनिफर चौंक गई उसने गुस्से में चिल्लाकर कहा तुम यहां मेरे पैसो पर एशो-आराम का जीवन बिता रहे हो और मुझसे ऊंची आवाज में बात कर रहे हो मैं भारतीय नारी नहीं हूं जो अपने पति को परमेश्वर मानकर उनकी हर बात को सर झुकाकर मान लूंगी तुम्हें मेरे घर में रहना है तो मेरे अनुसार रहना होगा वरना मेरा घर छोड़कर तुम जा सकते हो"
जेनिफर की बात सुनकर मिहिर के चेहरे पर दर्द भरी मुस्कुराहट फ़ैल गई उसने हंसते हुए कहा, "धन्यवाद जेनिफर तुमने आज मुझे स्वयं अपने बंधन से आजाद कर दिया मैं अपने आप इस बंधन से आजाद नहीं हो सकता था क्योंकि अहसानफरामोशी मेरे ख़ून में नहीं है मैं यह मानता हूं कि, मैंने तुमसे शादी इसलिए किया था जिससे मुझे अमेरिका की नागरिकता मिल जाए उसके बाद मैं धीरे-धीरे तुमसे सच्चा प्यार करने लगा मैंने सोचा था कि, एक न एक दिन तुम भी मेरी भावनाओं को समझोगी पर यह मेरी भूल थी और इसमें तुम्हारी भी कोई गलती नहीं है जब मैंने अपने माता-पिता की भावनाओं का सम्मान नहीं किया तो ईश्वर इसका दंड तो मुझे देगा ही जो मुझे हर दिन तुमसे अपमानित होकर मिल रहा है। लेकिन आज मेरे द्वारा किए गए पाप को ईश्वर ने पुण्य में बदल दिया तुमने स्वयं ही मुझे अपने जीवन से निकल जाने के लिए कह दिया। अब मैं अपने देश भारत और अपनी मां के पास वापस जा रहा हूं हमेशा के लिए आज सुबह से ही मुझे मेरी मां और मेरा देश मुझे बहुत याद आ रहा है।अब मैं अपने देश देशवासियों को अपनी सेवाएं दूंगा यहां लोग मेरे हाथों के बने खाने की तारीफ करते हैं अब मैं अपने देश जाकर वहां एक ढाबा खोलूंगा और अपने हाथों के बने खाने को अपने लोगों को खिलाऊंगा मेरे जैसे लोगों की यही सज़ा होनी चाहिए जो अपने देश अपने देशवासियों और अपने संस्कारों और परम्पराओं का निरादर करते हैं उन्हें दूसरों के द्वारा अपमानित होना ही पड़ता है यही उनकी सज़ा भी है और वही सज़ा मुझे मिल रही है" इतना कहकर मिहिर वहां से चला गया।
जेनिफर आश्चर्यचकित होकर मिहिर को जाते हुए देखती रही उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि, मिहिर उससे ऐसी बात भी कर सकता है मिहिर उसे छोड़कर भारत वापस जा रहा है यह सोचकर वह डर गई अगर मिहिर उसे छोड़कर चला गया तो वह अकेले यहां अपना रेस्टोरेंट नहीं चला पाएगी क्योंकि मिहिर जैसा शेफ़ उसे नहीं मिलेगा अगर मिला भी तो वह बहुत पैसे लेगा मिहिर के जाने के बाद उसका रेस्टोरेंट बंद हो सकता है तब वह क्या करेगी वह ही गलत थी मिहिर ने तो हमेशा उसे प्यार और सम्मान दिया वह ही उसको बात-बात पर अपमानित करती रहती थी।
" मम्मा मैं भी डैड के साथ इंडिया जा रही हूं अपने दादीजी से मिलने" आहना ने गम्भीर लहज़े में कहा और वहां से जाने लगी आहना की बात सुनकर जेनिफर चौंककर वर्तमान में लौट आई।
" आहना तुम अकेली नहीं हम सब भारत जाएगे वह भी हमेशा के लिए" जेनिफर ने गम्भीर लहज़े में कहा।
जेनिफर की बात सुनकर आहना और मिहिर के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई।एक सप्ताह बाद वह तीनों एक साथ भारत की सरजमीं पर खड़े हुए थे मिहिर जल्दी से जल्दी अपनी मां के पास पहुंचने के लिए बेताब हो रहा था क्योंकि जननी और जन्मभूमि से दूर रहकर किसी को भी मन की शांति प्राप्त नहीं हो सकती।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
3/8/2021