मृगतृष्णा
मेधा जब घर लौटी तो आज भी दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ताला देखकर मेधा गुस्से से भर उठी वह सोचने लगी समीर आज भी नहीं आया जबकि उसने कहा था कि,वह आज ज़रूर लौट आएगा। मेधा ने ताला खोला और अंदर आकर सोफे पर पर्स फ़ेंक कर वही बैठ गई उसकी झल्लाहट बढ़ती जा रही थी ।
मेधा सोच-सोच कर परेशान हो रही थी कि,समीर अकसर 10-15 दिनों के लिए कहां जाता है जब मेधा उससे पूंछती तो कहता की वह किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है इसलिए इस प्रोजेक्ट पर जो टीम काम कर रही है उनके साथ सर्वे के लिए बाहर जाना पड़ता है। शुरू-शुरू में तो मेधा को बुरा नहीं लगता था पर कुछ समय बाद उसे कुछ अटपटा लगने लगा जब इस विषय पर उसने समीर से पूछा तो समीर ने आफिस के प्रोजेक्ट का बहाना बना दिया।
मेधा आज बहुत ही विचलित लग रही थी उसे अपने देश और अपनो की बहुत याद आ रही थी मेधा का सर दर्द से फटा जा रहा था उसने एक कप चाय बनाई और पीने लगी तभी उसके फोन पर लगातार दो तीन मैसेज आया उत्सुकता वश चाय पीते हुए मेधा ने मैसेज खोला इस समय शाम गहराने लगी थी मैसेज को देखते ही मेधा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी उसने जल्दी जल्दी मैसेज पढ़ा मैसेज के साथ कुछ तस्वीरें भी थीं उन तस्वीरों में समीर किसी विदेशी औरत की बाहों में था एक तस्वीर में वह औरत और उसके साथ दो बच्चों की तस्वीर भी थी जो समीर को किस कर रहे थे उन तस्वीरों को देखकर ऐसा लग रहा था कि,वह औरत और बच्चे समीर की पत्नी और बच्चे हैं।मैसेज में स्पष्ट लिखा भी था कि,यह औरत समीर की पत्नी मार्ग्रेट है यह दोनों बच्चे समीर के ही बच्चे हैं।मैसेज पढ़ और तस्वीरों को देखकर मेधा को समझ आ गया की समीर हर 15 दिन बाद कहां जाता है।
समीर का सच जानकर मेधा को स्वयं पर ही गुस्सा आ रहा था समीर से शादी करने के लिए उसके घर के सभी लोगों ने मना किया था क्योंकि उन लोगों का कहना था कि,वह लोग समीर के विषय में कुछ नहीं जानते वह अमेरिका में नौकरी करता है यह बात भी स्वयं समीर ने बताई थी वह सच कह रहा है या,झूंठ बोल रहा है यह कोई नहीं जानता था।समीर अपने दोस्त की शादी में शामिल होने अमेरिका से भारत आया था समीर का दोस्त मेधा की सहेली का भाई था। अपनी सहेली के भाई की शादी में मेधा समीर से मिली थी।समीर की स्मार्टनेस को देखकर मेधा उससे प्रभावित हो गई थी वैसे भी मेधा को विदेशी रहन-सहन बहुत पसंद था इसलिए भी वह समीर की ओर आकर्षित हुई थी जब समीर को पता चला कि,मेधा एक अमीर खानदान की इकलौती बेटी है और उसके माता-पिता उसे बहुत प्यार करते हैं तो वह भी मेधा के आगे पीछे घूमने लगा।समीर यह अच्छी तरह से जान गया था कि,मेधा किसी एन आर आई से शादी करने के सपने देख रही है इसलिए भी वह मेधा के साथ प्रेम का नाटक करने लगा मेधा समीर के झूंठे प्यार के जाल में फंस गई और अपने माता-पिता को भी मजबूर कर दिया कि,वह मेधा की शादी समीर से कर दें।न चाहते हुए मेधा के माता-पिता को मेधा की बात माननी पड़ी।मेधा के माता-पिता ने अपनी बेटी के प्यार में मजबूर होकर अपनी बेटी का विवाह समीर से कर दिया शादी में समीर को मेधा के माता-पिता ने बहुत पैसा दिया उनका कहना था कि,अगर समीर भारत में रहता तो वह मेधा को हर सुख-सुविधा का सामना और गहने देते लेकिन अब जबकि मेधा को अमेरिका जाना है तो उसके माता-पिता ने कैश पैसे ही दे दिए थे। जिससे अमेरिका जाने के बाद मेधा अपनी पसंद से जो चाहे ख़रीद सके, अमेरिका आने के बाद जितने भी पैसे मेधा के पापा ने दिए थे समीर ने उससे अपना नया साइड बिजनेस शुरू कर दिया साथ-साथ वह नौकरी भी करता रहा।
मेधा ने भी एमबीए किया था तो उसे भी नौकरी मिल गई जिंदगी की गाड़ी अच्छी तरह जीवन की पटरी पर दौड़ने लगी थी।लेकिन अमेरिका आने के बाद मेधा ने एक बात महसूस की थी कि,समीर हर महीने 8-10 दिनों के लिए आफिस के काम का बहाना बनाकर घर से गायब रहता था।मेधा ने इस बारे में पूछा था पर कोई सार्थक जबाव नहीं मिला था हर बार प्रोजेक्ट का बहाना ही सामने आता था और आज अमेरिका आने के दो साल बाद मेधा को समीर के धोखे का पता चला।
समीर ने बहुत ही चालाकी से यह सब काम किया था मेधा पराए देश में कुछ कर भी नहीं सकती थी। समीर की बेवफ़ाई का पता चलते ही मेधा के सब्र का बांध टूट गया जो दो साल से मेधा ने बांध रखा था आज वह फूट-फूट कर रो पड़ी थोड़ी देर रोने के बाद जब मेधा शांत हुई तो उसने अपने आंसू पोंछे और सीधे उस पते पर पहुंची जहां समीर अपनी विदेशी पत्नी के साथ रहता था।वहां पहुंचकर मेधा ने घर की घंटी बजाई दरवाजा समीर ने ही खोला अपने सामने मेधा को देखकर समीर हड़बड़ा गया वह कुछ कहता उससे पहले ही मेधा ने एक जोरदार थप्पड़ समीर के मुंह पर जड़ दिया और गुस्से में दांत पीसते हुए कहा।
" समीर मैं नहीं जानती थी कि, मैंने एक धोखेबाज और मक्कार आदमी से प्यार किया है तुमने मेरी भावनाओं का मज़ाक उड़ाया है मैं तुम्हें कभी क्षमा नहीं कर सकती लेकिन तुम यह न समझना की मैं तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ दूंगी मैं तुम्हें तुम्हारे धोखाधड़ी के लिए सज़ा दिलवा कर रहूंगी।अब मैं यहां नहीं रह सकती मैं अपने देश अपने लोगों के बीच वापस जा रही हूं।मैंने अपनी मिट्टी और अपने संस्कारों के साथ गद्दारी की इसलिए सज़ा तो मुझे मिलनी ही चाहिए थी जो ईश्वर ने मुझे दे दी है"
मेधा के चिल्लाने की आवाज सुनकर मार्ग्रेट भी अन्दर से बाहर निकल आई अपने सामने मेधा को देखकर वह घबरा गई क्योंकि समीर ने उसे मेधा के विषय में सब कुछ पहले ही बता दिया था। मेधा के पैसे से ही समीर ने अपनी विदेशी पत्नी के लिए घर खरीदा था मेधा के क्रोध को देखकर मार्ग्रेट भी डर गई मेधा ने मार्ग्रेट को भी खूब खरी-खोटी सुनाई।
मार्ग्रेट ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उसने मेधा को समझाने की कोशिश की पर मेधा घायल शेरनी की तरह दहाड़ रही थी मेधा का क्रोध देखकर मार्ग्रेट मौन हो गई।
मेधा ने अपने पैसे समीर से मांगे पर समीर ने स्पष्ट कह दिया कि, "उसके पास कोई पैसे नहीं हैं तुम्हारे पास ऐसा कोई सबूत भी नहीं है कि, मैंने तुम्हारे पैसे लिए हैं अगर तुम्हें मेरी दूसरी पत्नी बनकर रहना है तो रहो वरना तुम यहां से जा सकती हो मैंने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया तुमने स्वयं को धोखा दिया है तुमने मेरे बारे में जानने की कोशिश क्यों नहीं की जबकि तुम्हारी सहेली के भाई को मेरे विषय में सब पता था तुम तो मुझसे शादी करके अमेरिका आना चाहती थी तुम्हें मुझसे नहीं अमेरिका की रंगीनियों से प्यार था अब तुम अमेरिका की रंगीनियों में ख़ुश रहो इतना चिल्लाने की जरूरत नहीं है तुम्हारे चिल्लाने से कुछ नहीं होगा क्योंकि मार्ग्रेट मेरी लीगल पत्नी है यहां तुम यह साबित नहीं कर सकती की तुम मेरी पत्नी हो इसलिए जो जैसा चल रहा है चलने दो" समीर ने बेशर्मी से कहा और घर के अन्दर चला गया।
मेधा थके कदमों से अपने घर की ओर चल पड़ी घर पहुंचकर वह निढाल होकर सोफे पर गिर पड़ी वह बहुत देर तक रोती रही फिर उसके चेहरे पर दृढ़ता के भाव दिखाई देने लगे उसने भारत फ़ोन मिलाया और रोते हुए अपने पापा को समीर की सच्चाई के विषय में बताया मेधा के पापा यह सुनकर दुखी हो गए लेकिन फिर संभलकर बोले "बेटा समीर ने अपने घर के दरवाजे तुम्हारे लिए बंद कर लिए हैं पर तुम्हारे पापा के घर का दरवाजा आज भी तुम्हारे लिए खुला हुआ है तुम एक मृगतृष्णा के पीछे भाग रही थी अब जबकि तुम्हारा भ्रम टूट गया है तो तुम भारत लौट आओ"
अपने पापा की बात सुनकर मेधा की आंखों से आंसूओं की बरसात होने लगी उसने रूंधे स्वर में कहा " पापा मुझे क्षमा कर दीजिए मैंने आपकी बात नहीं मानी अब मेरी आंखों से विदेशी चकाचौंध का पर्दा हट गया है मैं यह अच्छी तरह से समझ गई हूं कि, मृगतृष्णा के पीछे भागने से प्यास नहीं बुझती बल्कि व्यक्ति स्वयं ही प्यास बुझाने की लालच में प्यासा रह जाता है इसलिए मैं अपने देश और आपके पास आ रही हूं"
" बेटी सुबह का भूला अगर शाम को अपने घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते मैं तुम्हारे लौटने का इंतज़ार करूंगा" मेधा के पापा ने कहा और फ़ोन रख दिया।
मेधा अपने देश जाने की तैयारियों में लग गई क्योंकि अब मृगतृष्णा का भ्रम टूट चुका था।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
12/8/2021