अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख
सौरभ की कार न्यूयॉर्क की सड़क पर दौड़ रही थी सौरभ को ध्यान ही नहीं था कि वह अपनी ही धुन में कार की स्पीड बढ़ाता जा रहा है अचानक एक मोड़ पर आते ही उसकी कार डिसबैलेंस हो गई यह तो ईश्वर की कृपा थी कि,कार उल्टी नहीं और सड़क भी सुनसान ही थी क्योंकि आज मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा था इसलिए भीड़-भाड़ नहीं थी सौरभ जिस सड़क पर गाड़ी चला रहा था वह ज्यादातर सुनसान ही रहती थी सौरभ जब भी परेशान होता था आफिस से घर आने के लिए इसी रास्ते का चयन करता था।
सौरभ की परेशानी का कारण था उसकी पत्नी मारिया का स्वाभाव मारिया सौरभ के किसी भी दोस्त या रिश्तेदार को पसंद नहीं करती थी उसे भारत के लोगों का रहन-सहन पसंद नहीं था क्योंकि मारिया का मानना था कि,भारत के लोग बेवजह लोगों की जिंदगियों में दख़ल देते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए उसका सोचना था कि, पढ़े-लिखे लोग अपनी समस्याएं स्वयं हल कर सकते हैं। जबसे सौरभ ने मारिया से शादी की थी तबसे सौरभ का कोई भारतीय दोस्त या रिश्तेदार उससे मिलने उसके घर नहीं आया था वैसे भी भारत से कोई सौरभ से मिलने के लिए अमेरिका क्यों आएगा लेकिन कभी कोई भी व्यक्ति किसी काम से या घुमने के लिए अमेरिका आया तो भी सौरभ ने कभी भी उसे अपने घर में ठहरने के लिए नहीं कहा क्योंकि मारिया को यह पसंद नहीं था। लेकिन आज सौरभ के जिगरी दोस्त राघव का फोन आया और उसने बताया कि,वह 20 दिनों के लिए कान्फ्रेंस के लिए अमेरिका आ रहा है साथ में उसकी पत्नी करूणा भी आ रही है वह दोनों उसके घर में ही रूकेंगे।सौरभ कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने फ़ोन काट दिया जब से राघव का फोन आया था तबसे ही सौरभ परेशान था।
सौरभ जब घर पहुंचा तो शाम गहराने लगी थी मारिया ने सौरभ को देखते ही पूछा " सौरभ आज तुम घर लेट क्यों आएं और तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो"??
सौरभ ने बात को टालते हुए कहा " कुछ नहीं सिर दर्द हो रहा है"इतना कहकर सौरभ अन्दर चला गया।
लेकिन मारिया ने सौरभ का पीछा नहीं छोड़ा उसने फिर परेशानी का कारण पूछा तब सौरभ ने झल्लाकर कहा " मेरी परेशानी का कारण तुम हो"
सौरभ की बात सुनकर मारिया आश्चर्य से सौरभ को देखने लगी फिर गुस्से में बोली " मैं!! मैंने ऐसा क्या किया है जो तुम ऐसा कह रहे हो"
" तुमने ही किया है मैं तुम्हारे कारण ही परेशान हूं मैं तुमसे शादी करके पश्चता रहा हूं मेरे मन की शांति और सुकून छिन गया है मुझे स्वयं से घृणा हो गई है मैं स्वयं को नाकारा समझने लगा हूं लेकिन अब बहुत हुआ मैं अब तुम्हारे कहेनुसार नहीं चलूंगा यह घर मैंने अपनी कमाई से बनवाया है इस पर मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना कि, तुम्हारा अब इस घर में सिर्फ़ तुम्हारी ही हुकूमत नहीं चलेगी मैं भी अपने अनुसार यहां जैसे चाहूंगा रहूंगा और हां कल मेरा दोस्त और उसकी पत्नी यहां इस घर में 20 दिनों के लिए रहने आ रहें हैं मुझे कोई भी हंगामा नहीं चाहिए अगर तुम्हें कोई परेशानी है तो तुम अपने माता-पिता के घर 20 दिनों के लिए चली जाना अगर चाहो तो हमेशा-हमेशा के लिए भी जा सकती हो अब मैं तुम्हें रोकूंगा नहींं अब तुम यहां से जाओ मैं कुछ देर अकेला रहना चाहता हूं" सौरभ ने गुस्से में भरकर कठोर शब्दों में कहा
मारिया सौरभ का ऐसा रूप देखकर पहले तो घबरा गई फिर गुस्से से तिलमिला कर पैर पटकती हुई कमरे से बाहर से बाहर निकल गई।
दोनों ने रात भर एक-दूसरे से कोई बात नहीं की सुबह जल्दी ही तैयार होकर सौरभ एयरपोर्ट के लिए निकल गया एयरपोर्ट पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही इंडिया की फ्लाइट ने लैंड किया सौरभ बहुत बेसब्री से अपने दोस्त राघव का इंतज़ार करने लगा तभी सौरभ ने रावघ को देखा वह अपनी पत्नी के साथ आ रहा था वह बिल्कुल भी नहीं बदला था वह अभी भी उतना ही स्मार्ट था जैसे कालेज के समय में दिखाई देता था।सामान लेने के बाद राघव जैसे ही बाहर आया दोनों दोस्त एक-दूसरे से लिपट गए दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे।
राघव की पत्नी करूणा बहुत श्रद्धा से दोनों दोस्तों के मिलन को देख रही थी एयरपोर्ट पर आते जाते लोग भी सौरभ और राघव के मिलन को देखकर मुस्कुरा रहे थे।थोड़ी देर बाद सौरभ सभी के साथ एयरपोर्ट के बाहर आया और कार में बैठ गया और उसकी कार सड़क पर दौड़ने लगी दोनों दोस्त आगे ही बैठे हुए थे और अपने कालेज के समय की बातें करके खुश हो रहे थे करुणा पीछे की सीट पर बैठी उन लोगों की बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी।
" डाक्टर साहब मैंने तो सुना था कि,जब दो औरतें या लड़कियां बहुत दिनों बाद मिलती हैं तो उनकी बातों का सिलसिला ख़त्म ही नहीं होता लेकिन आज तो मुझे इसके विपरीत दिखाई दे रहा है आज तो दो पुरुषों की बातें ही खत्म नहीं हो रहीं हैं फिर आप लोग हम औरतों को क्यों बदनाम करते हैं" करूणा ने चुटकी लेते हुए कहा
करूणा की बात सुनकर राघव ने कहा " आज लड़कियों का डिपार्टमेंट हम दोनों ने सभांल लिया है" राघव की बात सुनकर सभी ठहाका मारकर हंसने लगे।
तब तक कार सौरभ के घर के कम्पाऊण्ड में आकर खड़ी हो गई सभी कार से नीचे उतरे मारिया मेहमानों का स्वागत करने बाहर नहीं आई सौरभ यह जानता था वह राघव और करूणा के साथ घर के अंदर पहुंचा तभी सौरभ की 10 साल की बेटी खुशी ने आगे बढ़कर राघव और करूणा को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए मुस्कराते हुए कहा " वेलकम होम अंकल एंड आंटीजी"
करूणा ने आगे बढ़कर उसको प्यार किया और कहा "सौरभ भैया बहुत प्यारी बिटिया है मारिया भाभी और आपका बेटा नहीं दिखाई दे रहें हैं क्या कहीं बाहर गए हैं"
तभी मारिया कमरे से बाहर आई उसके साथ उसका बेटा कुश भी था उसने कहा " नहीं मैं कहीं बाहर नहीं गई थी अपना प्रोजेक्ट तैयार कर रही थी हम लोग इंडियन औरतों की तरह गासिप करके और मार्केटिंग करके अपना समय बर्बाद नहीं करते करुणा जी" मारिया ने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ जबाव दिया।
" मारिया!!! तुम्हें घर आए मेहमानों से बात करने की तमीज नहीं है"? सौरभ ने गुस्से में चिल्लाकर कहा।
" बिन बुलाए मेहमानों का स्वागत मैं नहीं करती तुम करो अपने इंडियन दोस्त का स्वागत मैं अपने बच्चों के साथ अपने भैया के पास जा रही हूं चलो खुशी" मारिया ने कुश का हाथ पकड़कर खुशी से चलने के लिए कहा।
" मम्मा मैं नहीं जाऊंगी मैं यहां डैड और अंकल आंटी के साथ रहूंगी" खुशी ने गम्भीर लहज़े में कहा उसे मारिया के बात करने का ढंग अच्छा नहीं लगा था।
मारिया ने घूरकर खुशी को देखा खुशी ने गुस्से में मुंह फेर लिया मारिया कुश को लेकर कमरे से बाहर निकल गई।
मारिया का व्यवहार देखकर राघव और करूणा के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई " सौरभ अगर भाभी को हमारा यहां आना अच्छा नहीं लगा था तो तुमने हमें बताया होता हम लोग किसी होटल में रूक जाते वैसे भी कान्फ्रेंस कमेंटी ने होटल में रूकने का इंतज़ाम किया है" राघव ने गम्भीर लहज़े में कहा
" नहीं अंकल ऐसा कुछ नहीं है जब मम्मा डैड से छुपकर मेरे मामाजी को पैसे देने जाती हैं तो वह बेवजह डैड से लड़ती हैं जिससे डैड उनसे कुछ पूंछे नहीं और डैड को कुछ पता भी न चले जबकि डैड सबकुछ जानते हैं" छोटी सी खुशी ने बहुत ही समझदारी से राघव और करूणा के सामने अपने डैड को शर्मिन्दा होने से बचा लिया।
राघव ने आश्चर्यचकित होकर सौरभ को देखते हुए कहा " तो यह बात है आज मुझे पता चला कि,यह गुण सिर्फ़ भारतीय महिलाओं में ही नहीं विदेशी औरतों में भी पाया जाता है यह सच है "सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ" इतना कहकर राघव हंसने लगा।
" अच्छा हम औरतों को बदनाम करने की जरूरत नहीं है आप मर्द भी पत्नियों से छुप-छुप कर अपने भाइयों की मदद करते हो ज्यादा हरिश्चंद्र बनने की कोशिश न करो" करूणा ने हंसते हुए कहा
" अच्छा भाई मैं हारा तुम जीती" राघव ने हंसकर कहा
सौरभ के बहुत प्यार से अपनी बेटी को देखा जिसके कारण घर का माहौल फिर से खुशनुमा बन गया था।
चार दिन बहुत ही हंसी खुशी से निकल गया करूणा सभी के लिए भारतीय खाना बनाती सभी एक साथ बैठकर खाना खाते और फिर बाहर घूमने निकल जाते राघव भी कान्फ्रेंस का काम खत्म कर शाम को उन लोगों के पास आ जाता सौरभ के घर के बाहर बहुत ही बड़ा पार्क था जहां वह लोग शाम को बैठकर बातें करते खुशी वहां खेलती सौरभ और राघव के जीवन में खुशियों की बहार आ गई थी।
मारिया को घर से गए आज चार दिन हो गया था सौरभ राघव के साथ बैठा बात कर रहा था तभी उसके बेटे कुश का फोन आया उसने घबराई हुई आवाज में बताया कि,मम्मा को कोरोना हो गया है और मामा ने उन्हें घर से बाहर जाने के लिए कहा है। इसलिए मैंने आपको फ़ोन किया है सौरभ कुश की बात सुनकर परेशान हो गया जब राघव और करूणा को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने फौरन सौरभ से कहा कि वह मारिया को घर लेकर आए मैं यहां घर में उसका इलाज करूंगा तुम्हारा घर बड़ा है हम एक कमरे में मारिया को कोरंटाइन कर देंगे।राघव की बात सुनकर सौरभ तुरंत जाकर मारिया और कुश को अपने साथ लेकर आ गया।
मारिया और कुश को अलग-अलग कमरों में रखा गया कुश तो टेस्ट के बाद नेगेटिव पाया गया लेकिन मारिया की हालत गंभीर बनी रही लेकिन राघव और करूणा ने अपनी परवाह न करते हुए मारिया की बहुत अच्छी तरह से देखभाल की राघव और करूणा की मेहनत रंग लाई 15 दिनों में ही मारिया ठीक हो गई।
अब मारिया राघव और करूणा से नज़रें नहीं मिला पा रही थी एक दिन जब मारिया ठीक हो गई तो उसने सौरभ को राघव और करूणा से कहते हुए सुना "राघव मैं तुम्हारा और भाभी जी का अहसास जीवन भर नहीं भूल सकता तुम लोगों ने अपनी परवाह न करते हुए मारिया की देखभाल की"
" सौरभ कैसी गैरों जैसी बातें कर रहा है तू मैं तुम्हारा दोस्त हूं और एक डाक्टर भी मैंने कोई अहसान नहीं किया है तुम और भाभी हमारे लिए गैर नहीं अपने हो यह तो मेरा फर्ज़ था जो मैंने पूरा किया मैं तुम्हारे किसी काम आ सका यह तो मेरे लिए खुशी की बात है गैरों जैसी बातें करके तू मुझे अपने से दूर कर रहा है अब दोबारा ऐसी बातें नहीं करना वरना मैं नाराज़ हो जाऊंगा" राघव ने धमकाते हुए कहा
" हां सौरभ भैया डाक्टर साहब बिल्कुल ठीक कह रहें हैं मुझे आपके रूप में एक भाई मिल गया है कल रक्षाबंधन है मैं आपको राखी बांधकर इस बन्धन को और भी मजबूत कर दूंगी परसों हम लोगों की फ्लाइट है देखिए कैसा संयोग बना है कि मेरे जाने से पहले रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने का मौका मिल गया" करूणा ने बहुत प्यार से कहा
मारिया कमरे में लेटी हुई सब-कुछ सुन रही थी उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू बह रहे थे अचानक उसके चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई उसने खुशी को आवाज लगाई और कुछ सामान लाने के लिए कहा खुशी ने उसे सामान लाकर दिया और कमरे से बाहर चली गई। मारिया ने उठकर कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।
दूसरे दिन सुबह करूणा ने कई पकवान बनाए और एक थाली में रोली चावल मिठाई और राखी लेकर सौरभ के पास गई उसने बहुत प्यार से सौरभ को टीका किया और राखी बांधी सौरभ ने एक सुन्दर सा उपहार दिया करूणा उसे ले नहीं रही थी लेकिन सौरभ ने कहा कि, राखी पर बहन को उपहार देना जरूरी होता है और यह शगुन भी है इसलिए तुम्हें यह लेना पड़ेगा।
तभी मारिया भी वहां आ गई उसके हाथ में भी एक थाली थी जिसमें उसके हाथ की बनाई राखी थी उसने वहां आकर कहा " मैं भी आज अपने डाक्टर भैया को राखी बांधूंगी जिन्होंने अपने बहन के प्राणों की रक्षा की है मैं उनकी रक्षा के लिए यह रक्षासूत्र उनकी कलाई पर बांधूंगी मेरे भैया भाभी ने मुझे इंसानियत का पाठ पढ़ाया है और यह शिक्षा दी है की प्यार बांटने से प्यार बढ़ता है कम नहीं होता हमें अपने आंखों पर से लालच, स्वार्थ और अहंकार की पट्टी उतारकर अपनो की और लोगों की मदद करनी चाहिए।
सौरभ मैं तुमसे भी माफ़ी मांगती हूं मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हें बात-बात पर भारतीय संस्कार के लिए ताने देती थी जबकि मुझे यह बात पता ही नहीं थी कि, भारतीय संस्कृति और संस्कारों की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती क्योंकि आज यह बात मुझे भी पता चल गई है कि भारतीय संस्कार तो ईश्वरीय वरदान हैं जो सभी के जीवन को खुशियों से भर देता है" मारिया ने गम्भीरता पूर्वक कहा उसकी आंखों में आसूं थे पर चेहरे पर मुस्कान फ़ैली हुई थी।
मारिया ने राघव को राखी बांधी जब राघव मारिया को शगुन देने लगा तो मारिया ने कहा"डाक्टर भैया आप मेरे और सौरभ के लिए इंडिया में कोई नौकरी ढूंढिए यही मेरा शगुन होगा क्योंकि अब हम लोग भी भारत लौटना चाहते हैं"
मारिया की बात सुनकर सौरभ को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे सौरभ को आश्चर्यचकित देखकर मारिया के चेहरे पर रहस्यमई मुस्कान फ़ैल गई।
" मैं सच कह रही हूं सौरभ इतना आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है अगर तुम नहीं जाना चाहते तो ठीक है हम यही अमेरिका में ही रहेंगे" मारिया ने गम्भीर मुद्रा में छेड़ते हुए कहा
" अरे नहीं नहीं मैं भारत लौटना चाहता हूं" सौरभ ने जल्दी से चौंककर हड़बड़ाते कहा उसकी हड़बड़ाहट देखकर सभी ठहाका मारकर हंसने लगे सौरभ ने भी सबका साथ दिया।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
7/8/2021