प्यार का इज़हार
" जिस दिल में प्रेम होता है उस मन में मदद की भावनाएं सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हैं " यह तथ्य इस कहानी की नायिका स्वाति के व्यक्तित्व पर पूर्णरुपेण लागू होती है यह कहानी स्वाति की है।स्वाति को जो भी देखता वह देखता रह जाता क्योंकि स्वाति थी ही इतनी सुन्दर !! सुन्दर होने के साथ-साथ स्वाति मन की बहुत सरल और सुंदर थी।
उसके दिल में प्रेम और मदद की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी वह असहाय लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहती थी।उसे फ़ूल, पौधों,पशु पक्षियों से भी प्रेम था पूरी कालोनी में स्वाति के गुणों की तारीफ़ होती थी स्वाति अपने बारे में कभी नहीं सोचती थी।इस उम्र में लड़कियां सजती संवरती हैं लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं पर स्वाति को इन बातों से कोई मतलब नहीं था।वह प्यार तो करती थी पर अपने परिवार से प्राकृतिक सौंदर्य से जानवरों से फूलों से वह सभी की मदद भी तैयार रहती थी।
स्वाति की मां जब उससे शादी की बात करतीं तो वह हंसकर मना कर देती कहती मुझे शादी वादी नहीं करनी है।इसी बीच उसके सामने वाले घर में एक परिवार रहने के लिए आया। उस परिवार में चार सदस्य थे माता-पिता एक बेटा और बेटी, बेटी का नाम दिशा था जो स्वाति की उम्र की थी।दिशा के भाई का नाम वैभव था स्वाति ने उसे हमेशा गम्भीर मुद्रा में ही देखा था वैभव का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था।वैभव दूसरे लड़कों की तरह लड़कियों की आगे पीछे नहीं घूमती था।यह भी कहा जा सकता है कि,वह लड़कियों की तरफ़ देखा ही नहीं था।कालोनी की ज्यादातर लड़कियां उसको अपने आकर्षण में बांधना चाहतीं थीं पर वह उनकी ओर ध्यान ही नहीं देता वैभव सिर्फ़ अपने काम से काम रखता था।
वैभव के इसी गुण ने स्वाति को उसकी ओर आकर्षित किया वह मन ही मन वैभव से प्रेम करने लगी, इसलिए स्वाति ने दिशा से दोस्ती कर ली।एक दिन स्वाति दिशा से मिलने उसके घर गई तो वह वैभव से टकराकर गिर गई वैभव चाहता तो स्वाति को गिरने से बचा सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया।यह देखकर स्वाति को गुस्सा आ गया उसने गुस्से में कहा " तुम कैसे खड़ूस इंसान हो जो किसी लड़की की भी मदद नहीं करते? अगर तुम चाहते तो मुझे गिरने से बचा सकते ,पर तुमने तो मुझे बचाने की जगह गिरने के लिए छोड़ दिया"??" हां छोड़ दिया क्योंकि तुम सभी लड़कियां एक जैसी होती हो पहले अच्छी बनकर लोगों के दिल में प्रेम की भावना जगाती हो बाद में उसे बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ती। इसलिए मैं लड़कियों की मदद नहीं करता" वैभव ने व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब दिया और वहां से चला गया।स्वाति आश्चर्य से उसे बाहर जाते हुए देखती रही, तभी स्वाति की नज़र वैभव की मां और दिशा पर पड़ी उसने देखा कि, दिशा की मां के चेहरे पर दुःख और मायूसी के बादल छाएं हुए हैं।" बेटा मैं अपने बेटे की तरफ़ से माफ़ी मांगती हूं उसे माफ़ कर दो उसकी बात को दिल पर न लगाना" दिशा की मां ने दुखी मन से कहा।" आंटी जी वैभव शुरू से ही इतने खड़ूस हैं या इन्हें किसी लड़की से धोखा मिला है जिस वज़ह से यह सभी लड़कियों को एक ही तराजू में तौलने लगें हैं" स्वाति ने दिशा की मां से पूछा।" स्वाति!!मेरा वैभव पहले ऐसा नहीं था वह सभी की मदद करता था उसके मन में सभी के लिए प्रेम और सम्मान की भावना थी।इसी प्रेम और मदद ने ही उसके जीवन की खुशियों को छिन लिया और वह इतना कठोर बन गया है कि, उसे प्रेम और मदद के नाम से घृणा हो गई है " दिशा की मां ने लम्बी सांस लेकर दुखी मन से बताया।" प्रेम और मदद से कोई नफ़रत कैसे कर सकता है आंटी जी??" स्वाति ने आश्चर्य से पूछा।"यह लम्बी कहानी है "दिशा की मां ने कहा," आंटी जी अगर आपको बुरा न लगे तो वह कहानी मुझे सुनाइए मैं जानना चाहती हूं। शायद कहानी सुनने के बाद मैं कोई मदद कर सकूं" स्वाति ने कहा।दिशा की मां ने बताना शुरू किया, " एक रात बहुत बरसात हो रही थी वैभव को रास्ते में एक लड़की मिली जिसने वैभव से लिफ्ट मांगी वैभव ने उसे अपनी कार से वहां छोड़ दिया जहां वह जाना चाहती थी।वह एक अनाथाश्रम में रहती थी। उसका नाम रूपा था वह देखने में भी बहुत सुन्दर थी। उसने रास्ते में वैभव से बताया कि, वह इंटरव्यू देने गई थी वहां उसके साथ उन लोगों ने गलत करना चाहा था वह वहां से भाग आई।रूपा ने रोते हुए वैभव से कहा कि,उसे नौकरी की तलाश है जिससे वह अनाथाश्रम के जीवन से बाहर निकल सके और विवाह करके अपना घर बसा ले अनाथाश्रम में रहने के कारण कोई अच्छा परिवार अपने बेटे का विवाह उससे नहीं करना चाहता।वैभव ने अपने आफिस में उसे नौकरी दिलाई, दोनों एक ही आफिस में काम करते थे वैभव को रूपा से प्यार हो गया।हमारी मर्जी के खिलाफ वैभव ने रूपा से विवाह कर लिया।बेटे के कारण हमने भी रूपा को अपना लिया, सब ठीक चल रहा था वह बहुत अच्छी तरह से व्यवहार करती आस-पड़ोस के लोग भी उसकी तारीफ करते थे। फिर तीन महीने बाद ही उसका व्यवहार बदलने लगा वह घर का कोई काम नहीं करती हर वक्त अपने कमरे में रहती थी। अगर कोई कुछ कह दे तो लड़ने के लिए तैयार रहती पुलिस में जाने की धमकी देती उसने हमारा जीना हराम कर दिया था।एक दिन जब वैभव को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने रूपा पर हाथ उठा दिया। इसी बात को लेकर उसने हमारे ऊपर दहेज़ उत्पीडन का केश कर दिया और हमें अदालत में घसीटा जेल से बचने के लिए हमने बाद में उससे समझौता किया उसने हमसे रूपए की मांग की हमें उसे 50 लाख रुपए देने पड़े फिर उसनेे केस वापस लिया।रूपा ने जान बूझकर हमारे वैभव को अपने प्रेम जाल में फंसाया था। जिससे वह शादी करने के बाद हमारे ऊपर झूठा केसकर हमसे पैसे निकलवा सकें।उस घटना ने मेरे वैभव के चेहरे की हंसी और उसके जीवन की खुशियों को हमेशा के लिए छिन लिया।वैभव के जीवन में जो भी दुख है उसका कारण प्रेम और उसकी मदद की भावना ही है। इसलिए वह लड़कियों से नफ़रत करने लगा अब वह प्रेम और किसी की मदद करने के नाम से ही क्रोधित हो जाता है" दिशा की मां ने गहरी सांस लेकर गम्भीर लहज़े में पूरी कहानी सुनाई।वैभव की दुःख भरी कहानी सुनकर स्वाति वैभव से और ज्यादा प्रेम करने लगी। स्वाति के मन में वैभव के प्रेम ने ऐसी ज्योति जलाई कि,वह वैभव की मदद के लिए निस्वार्थ रूप से तैयार हो गई।उसका बस इतना ही स्वार्थ था कि,वह वैभव से प्रेम करने लगी थी और उसे खुश देखना चाहती थी।" आंटी जी आप परेशान न हों मैं फिर से खड़ूस वैभव को प्रेम और मदद का पाठ पढ़ाऊंगी। वह पहले वाला वैभव बन जाएगा यह आपसे मेरा वादा है क्योंकि मैं वैभव से प्रेम करने लगी हूं, मैं उसकी ऐसी हालत नहीं देख सकती इसलिए नफ़रत के भंवर से निकलाने मेंं उसकी मदद करना चाहतीं हूं" स्वाति ने हंसते हुए कहा।स्वाति की बात सुनकर वैभव की मां और दिशा के चेहरे पर खुशी छा गई और आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
9/2/2022