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प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है)

21 फरवरी 2022

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प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है)

जया जैसे ही ट्रेन में चढी ट्रेन रेंगने लगी उसने अपने भैया (मामा जी के बेटे) को हाथ हिलाकर विदा किया, " जया अपना ध्यान रखना और लखनऊ पहुंचे ही फोन करना अच्छा मैं चलता हूं" उसके भैया ने चलती ट्रेन के साथ साथ चलते हुए कहा, अपने भैया के जाने के बाद वह डिब्बे के अंदर आकर अपनी सीट पर बैठ गई।

सामने वाली सीट पर एक बुजुर्ग महिला बैठी हुई थीं।वह जया को देखकर मुस्कुरा दी जया ने भी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराते हुए दिया।••••" कहां जा रही हो बिटिया?" उस महिला ने प्यार से पूछा पहले तो जया सोच में पड़ गई कि, पता नहीं यह औरत कैसी हो पर फिर मुस्कुराते हुए कहा"मैं लखनऊ जा रही हूं आंटी जी!!" जया ने शालिनता से जवाब दिया।" चलो अच्छा है तुम्हारा साथ रहेगा मैं भी लखनऊ ही जा रही हूं" आंटी जी ने खुश होकर कहा।तभी एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व का आदमी आया और आंटी जी के बगल में बैठकर लम्बी, लम्बी सांसें लेने लगा।
उसकी हालत देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह दौड़कर आया हो और चलती ट्रेन में चढ़ा है।" क्या हुआ बेटा तुम इतना हांफ क्यों रहें हो जैसे दौड़कर ट्रेन पर चढ़े हो?"आंटी ने परेशान होकर पूछा।" हां आंटी जी ऐसा ही हुआ है मैंने दौड़कर ट्रेन पकड़ी है वरना यह ट्रेन छूट जाती" उस आदमी ने उखड़ी-उखड़ी आवाज में जवाब दिया।" आज कल के बच्चों की यही समस्या है वह लोग समय लेकर नहीं चलते बिल्कुल राईट टाइम चलेंगे, चाहें उन्हें कितनी ही परेशानी का सामना क्यों न करना पड़े?आज अगर दौड़कर ट्रेन में चढ़ते हुए तुम्हारा पैर फिसल जाता और तुम गिर जाते या खुदा न खास्ता तुम ट्रेन के नीचे आ जाते तो तुम्हारे माता-पिता का क्या हाल होता इसका अहसास है तुम्हें?" आंटी जी न गुस्से में पूछा।" हां आंटी जी गलती तो हुई है मुझसे, मुझे एक जरूरी मीटिंग अटैंड करनी थी इसलिए मुझे देर हो गई और मुझे कल लखनऊ पहुंचना भी जरूरी था। यदि मैं कल नहीं पहुंचा तो मेरी मां मुझसे नाराज़ हो जाएगी इसलिए मुझे दौड़कर ट्रेन पकड़नी पड़ी वरना मैं कल चला जाता"।उस व्यक्ति ने शालिनता से जवाब दिया।  "अरे बेटा मुझे बिना जाने समझे तुम्हें डांटना नहीं चाहिए था पर क्या करूं मैं भी एक मां हूं इसलिए मां के दर्द को समझ सकतीं हूं इस वज़ह से मुझे गुस्सा आ गया। मुझे माफ़ कर देना", आंटी जी ने माफ़ी मांगते हुए कहा। " नहीं आंटी जी आप माफ़ी क्यों मांग रही हैं आपने जो कहा वह बिल्कुल सही है कि,हम लोग  हर जगह समय से पहुंचना चाहते हैं जिससे हमें इंतज़ार न करना पड़े।यह समय की पाबंदी कभी कभी घातक भी सिद्ध हो सकती है यह हम लोग भूलते जा रहे हैं,"  उस व्यक्ति ने विनम्रतापूर्वक हंसते हुए कहा।जब वह आदमी आंटी जी से बात कर रहा था जया बहुत ध्यान से उसे देखे जा रही थी।शायद जया के मन में उस लड़के के लिए कोमल भावनाओं ने जन्म लें लिया था।जब उस आदमी की नज़रें जया से टकराईं तो जया ने घबराकर अपना चेहरा दूसरी तरफ़ घुमा लिया।जया का दिल जोर जोर से धड़कने लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो।अभी वह आदमी आंटी से बात कर रहा था तभी टी,सी आ गया उसे देखकर जया थोड़ा परेशान हो गई। आंटी और उस आदमी का टिकट चेक करने के बाद जब वह जया के पास आया तो जया ने भी अपना टिकट आगे बढ़ा दिया।" मैडम आपका टिकट तो वेटिंग में है, अभी कन्फर्म नहीं है आप फिर सफ़र कैसे कर रहीं हैं?"टी सी ने गुस्से में पूछा," सर मुझसे कहा गया था कि, टिकट कन्फर्म हो जाएगा मेरा जाना जरूरी था इसलिए मैं आ गई और यहां कोई कभी तक आया नहीं है सीट भी खाली है।जो नियमानुसार पैसा लगे वह आप ले लीजिए" जया ने कहा," आपको यहां उतरना पड़ेगा"टी सी ने गुस्से में जवाब दिया।"मैं अकेली सफ़र कर रहीं हूं कैसे यहां उतर जाऊं रात का समय है आप समझ क्यों नहीं रहें हैं"जया ने परेशान होकर कहा," मैं कुछ नहीं जानता आप अगले स्टेशन पर उतर जाइएगा अगर जिसकी सीट कन्फर्म है वो आ गया तो आपको परेशानी हो सकती है" टी सी ने जवाब दिया।" जब तक दूसरा व्यक्ति नहीं आता इन्हें यहां रहने दीजिए और अगर कोई आ जाएगा तो मैं अपनी सीट इन्हें दे दूंगा और मैं जरनल डिब्बे में चला जाऊंगा " उस व्यक्ति ने टी सी से कहा।" आप को मंजनू बनने की जरूरत नहीं है यह मेरा काम है मैं जैसा कह रहा हूं वैसा इन्हें करना पड़ेगा" टी सी ने उस आदमी को बेहूदगी से जवाब दिया।तभी उस आदमी ने अपना आई कार्ड दिखाया जिसे देखते ही टी सी की हालत ख़राब हो गई। उसने हकलाते हुए कहा," मुझे माफ़ कर दीजिए सर मुझसे गलती हो गई"" तुम जैसे सरकारी कर्मचारियों के कारण पूरा डिपार्टमेंट बदनाम होता है। जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है अगर कोई वेटिंग में है तो वह भी सफ़र कर सकता है। आप जैसे लोगों की वज़ह से लड़कियों के साथ हादसे होते हैं लेकिन आप लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं आपकी शिकायत आगे पहुंचाऊंगा जिससे आप जैसे दूसरे गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाने वाले लोग सबक लें सकें"उस आदमी ने कहा वह रेलवे का अधिकारी था।टी सी उसके आगे गिड़गिड़ाता रहा था, पर उस आदमी ने एक नहीं सुनी और उसने कठोरता से कहा कि,"आपके विषय में काफ़ी शिकायतें मिल चुकी हैं, इसलिए हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।आप को लोगों की सहायता करना चाहिए जबकि आप लोगों की सहायता के स्थान पर उन्हें परेशानी में डालने का कार्य करते हैं। लड़कियों को वैसे भी विशेष सुरक्षा व्यवस्था दी जानी चाहिए और आप क्या कर रहे हैं?"उस आदमी की पर्सनालिटी से तो जया पहले ही प्रभावित थी अब उसकी शराफ़त और कार्यनिष्ठा देखकर उसे मन ही मन अंज़ाने में अपना दिल दे बैठी।जया का दिल उस अंज़ान मुसाफ़िर के लिए धड़कने लगा, जबकि जया को यह अच्छी तरह पता था कि,इस प्यार का अंज़ाम सिर्फ़ जुदाई है क्योंकि उसे कल लड़के वाले देखने आ रहें हैं।या यूं कहें कि,सब कुछ पक्का हो गया है सिर्फ़ औपचारिक बातचीत ही होनी बाकी है।रात बहुत हो गई थी वह तीनों अपनी अपनी सीट पर लेट गए।जया की आंखों से नींद कोसों दूर थी वह न चाहते हुए उस आदमी के मोहपाश में बंधती चली जा रही थी।अपनी बेबसी पर जया की आंखों से आंसूओं की धारा बह निकली उस आदमी के विषय में सोचते हुए कब जया को नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।सुबह जब उसकी नींद खुली तो काफ़ी उजाला फ़ैल गया था।वह उठकर बैठ गई तभी आंटी जी ने कहा" बिटिया हाथ मुंह धोकर तैयार हो जाओ लखनऊ आने वाला है"आंटी जी ने कहा।जया बाथरूम में चली गई कुछ देर बाद आई तो उस आदमी ने उसे चाय दी जया ने चुपचाप चाय ली और पीने लगी।" बिटिया क्या तुम रात भर जागती रही हो क्योंकि तुम्हारी आंखें लाल हो रहीं हैं?"आंटी जी ने पूछा।जया घबरा गई उसे लगा जैसे आंटी ने उसकी चोरी पकड़ी हो फिर जल्दी से कहा" आंटी ट्रेन में मुझे नींद नहीं आती इसलिए मैं ठीक से सो नहीं सकीं"" हां! हां!! किसी, किसी के साथ ऐसा होता है मैं तो घोड़े बेच कर सोती हूं" यह कहकर आंटी जोर से हंसने लगी उनकी बात सुनकर जया और वह आदमी भी मुस्कुरा दिए।तब तक लखनऊ आ गया सभी अपना सामान उठाकर प्लेटफार्म पर आ गए आंटी जी का सामना उस व्यक्ति ने उठा लिया था।प्लेटफार्म पर आ कर आंटी जी ने कहा" मुझे यह सफ़र हमेशा याद रहेगा तुम दोनों बहुत याद आओगे देखो अब ईश्वर हमें कब मिलने का मौका देगा पता नहीं।तब तक आंटी जी का बेटा आ गया और वह चलीं गईं उस आदमी ने जया ने कहा " आपको कहां जाना है चलिए मैं आपको छोड दूंगा मेरी गाड़ी बाहर खड़ी है"जया भी उस आदमी के साथ जाना चाहती थी पर संकोच बस उसने कहा, "मैं चलीं जाऊंगी अपना ही शहर है""ओ के वाय मैं चलता हूं" उस आदमी ने कहा और वहां से चला गया। जया उसे जाते हुए देखती रही फिर वह भी अपने घर जाने के लिए चल पड़ी।घर पहुंचते ही जया की मां ने कहा " जया जल्दी से तैयार हो जाओ लड़के वाले एक घंटे में आ जाएंगे" जया उदास मन से तैयार होने लगी जब वह तैयार होकर बाहर आई तो जया की भाभी ने कहा "किसी की नज़र न लगे जया तुम तो बहुत सुंदर लग रही हो पर इस समय तुम्हारा उदास चेहरा तुम्हारी सुंदरता को कम कर रहा है" ।तभी जया की छोटी बहन ने आकर कहा  " दीदी चलिए मां आपको बुला रही है जीजाजी आ गए हैं वह तो बहुत ही स्मार्ट हैं" जया की बहन ने खुश होकर बताया जया बुझे मन से उन लोगों के पास जाने के लिए चल पड़ी।कमरे में पहुंचते ही उसे एक औरत की मधुर आवाज़ सुनाई दी " मेरी होने वाली बहू तो बहुत सुंदर है कहीं मेरी ही नज़र न लग जाए मयंक तुम्हें जया पसंद है कि, नहीं?""मैंने तो इन्हें ट्रेन में ही पसंद कर लिया था अब आप इनसे पूछिए कि, मैं इन्हें पसंद हूं कि, नहीं" यह सुनकर जया ने चौंककर अपना चेहरा ऊपर उठाया तो सामने ट्रेन वाला आदमी बैठा हुआ जया को देखकर शरारत से मुस्कुरा रहा था।मयंक को अपनी तरफ देखता पाकर जया ने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली उसका मन झूम उठा क्योंकि उसके मन का मीत जो उसे जीवनसाथी के रूप में मिल गया था।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
9/2/2022


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