shabd-logo

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश

18 फरवरी 2022

29 बार देखा गया 29

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश

  नीरा अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि, उसके माता-पिता उसकी उस अधूरी ख्वाहिश को कभी पूरा नहीं होने देंगे नीरा अपने मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में बैठी यही सोच रही थी।

तभी नीरा की सहपाठी मार्था वहां आ गई मार्था विदेशी वातावरण में पली-बढ़ी थी लेकिन उसे भारतीय संस्कार बहुत पसंद थे इसलिए उसकी नीरा के साथ अच्छी दोस्ती हो गई क्योंकि नीरा भी भारतीय परम्पराओं को बहुत महत्व देती थी अमेरिका में रहते हुए भी नीरा पर पाश्चात्य सभ्यता का रंग नहीं चढ़ा था नीरा तो अमेरिका में रहना ही नहीं चाहती थी पर वह अपने माता-पिता के आगे मज़बूर थी।

" नीरा तू यहां अकेली कमरे में बैठी हुई क्या सोच रही है चल कहीं घूमकर आते हैं आज तो छुट्टी का दिन है" मार्था ने कहा।

" नहीं मार्था मेरा मन कहीं जाने का नहीं है" नीरा ने उदास लहज़े में जवाब दिया।

" नीरू क्या हुआ तू इतनी उदास क्यों है"? मार्था ने घबराकर पूछा।

" मार्था मुझे लगता है कि,मेरी अधूरी ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होगी" नीरा ने दर्द भरी आवाज में कहा।

" तेरी अधूरी ख्वाहिश!! तुम्हारी ऐसी कौन-सी ख्वाहिश थी जो अधूरी रह गई अभी तो तुमने अपनी डाक्टरी की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है तुम्हारे डाक्टर बनने में 6 महीने बाकी हैं तुमने इतनी कम उम्र में कौनसा सपना देख लिया जो अधूरा रह गया कहीं कोई प्यार वार का चक्कर तो नहीं है मैडम"?? मार्था ने आश्चर्यचकित होकर मुस्कुराते हुए पूछा

" हां तू उसे प्यार का नाम दे सकती है पर वह मेरे लिए प्यार से ज्यादा किसी से किया गया वादा था जो शायद मैं कभी पूरा नहीं कर पाऊंगी" नीरा ने फीकी मुस्कान के साथ कहा।

" तू साफ-साफ बता कहना क्या चाहती है" मार्था ने संभलकर बैठते हुए कहा।

" मार्था यह आज से 10-12 साल पहले की बात है जब मैं अपने मम्मी पापा के साथ भारत में रहती थी मेरे पापा वहां के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर थे मेरी दादी गांव में रहतीं थीं गांव में कोई अच्छा अस्पताल नहीं था दादी चाहती थीं कि, मेरे पापा गांव में अस्पताल खोलें पर मेरे मम्मी-पापा को गांव पसंद नहीं था वह यहां अमेरिका में रहना चाहते थे। एक बार मेरी दादी हमारे पास शहर आई हुई थी हमारे पड़ोस में एक और डाक्टर परिवार रहता था पाठक अंकल का उनका एक बेटा था दिग्विजय वह मुझसे 2 साल बड़ा था एक शाम मैं और दिग्विजय दादी जी से कहानी सुन रहे थे क्योंकि हमारे मम्मी-पापा पार्टी में गए हुए थे तब दादी ने अपने मन की ख्वाहिश हम लोगों से बताई की वह चाहतीं थीं की उनका बेटा यानिकि मेरे पापा गांव में अस्पताल खोलें और गरीबों का इलाज करें जब मैंने दादीजी से यह सुना तो मैंने और दिग्विजय ने एक साथ दादीजी से कहा

" दादी मैं बड़ी होकर डाक्टर बनूंगी और गांव में अस्पताल खोलूंगी और आपका सपना पूरा करूंगी मेरे साथ दिग्विजय ने भी मुझसे कहा था कि,वह डाक्टर बनकर गांव में अस्पताल खोलेगा लेकिन उसी रात जब मेरे मम्मी-पापा पार्टी से वापस आए तो उन्होंने मुझसे कहा कि,हम लोग जल्दी ही भारत छोड़कर अमेरिका चले जाएंगे यह सुनकर मैं बहुत दुखी हुई मैंने अपने माता-पिता से कहा भी कि, मुझे आपके साथ अमेरिका नहीं जाना है पर उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे जबरदस्ती अपने साथ अमेरिका लेकर आ गए। मार्था मुझे आज भी अपनी दादी और दिग्विजय से किया वादा याद है मैं डाक्टर बनने के बाद यहां अमेरिका में नहीं रहना चाहती अपने देश वापस जाना चाहतीं हूं अपनी दादी और अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने लेकिन मैं जानती हूं मेरे मम्मी-पापा मुझे ऐसा नहीं करने देंगे" नीरा ने उदास लहज़े में अपने मन की बात बताई।

नीरा की बात सुनकर मार्था भी गम्भीर हो गई कुछ सोचते हुए उसने कहा " नीरा तू अपनी अधूरी ख्वाहिश पूरी कर सकती है पर इसके लिए तुम्हें थोड़ा इंतजार करना होगा जब तुम डाक्टर बन जाना तो भारत अपनी दादी के पास चली जाना और वहां रहकर अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना तुम कोई ग़लत काम नहीं करोगी यह तो तुम्हारा देशप्रेम और अपनी दादी के लिए तुम्हारा प्यार है जो तुम करोगी मुझे तुम पर गर्व है नीरू की तुम में आज भी अपने देश, अपने देशवासियों और अपनो के लिए प्यार और अपनापन है मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगी कि,वह तुम्हारी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने में तुम्हारी मदद करें जिससे तुम अपनी दादी और अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा कर सको

"नीरा के मन में भी मार्था की बात सुनकर आशा की किरण जागी और उसके चेहरे पर दृढ़ता के साथ साथ आत्मविश्वास की चमक दिखाई देने लगी वह खुश होकर मार्था से लिपट गई आज नीरा के मन से एक बोझ उतर गया था। क्योंकि उसके मन से निराशा के बादल छंट गए थे वहां उम्मीद की रोशनी ने अपना घर बना लिया था अब बहुत जल्दी नीरा की अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने का समय आने वाला था जब वह अपने देश लौटकर अपने अधूरे ख्वाब को हकीकत का जामा पहनाने वाली थी इसके लिए अगर उसे अपने माता-पिता का विरोध करना पड़ा तो भी वह पीछे नहीं हटेगी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
9/8/2021


23
रचनाएँ
Kanchan Shukla की डायरी ( दैनंदिनीं)
0.0
मैं अपनी डायरी में अपनी कहानियों को संग्रहित कर रही हूं यह डायरी मैंने भी पहले ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था अब प्रतियोगिता के लिए लिख रहीं हूं।
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया

8 फरवरी 2022
3
1
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया सुचिता की ससुराल में आज पहली रसोई थी अषाढ़ का महीना था आज सुबह से ही रिमझिम फुहारों ने पूरे वातावरण को सोंधी खुशबू से महका दिया था। सुचिता की सास ने कल ही उससे कह दिया थ

2

उस रात की कहानी

9 फरवरी 2022
6
2
3

उस रात की कहानी आज शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी बारिश के साथ साथ तेज़ हवाएं भी चल रहीं थीं रह-रह कर बिजली कड़क रही थी बारिश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे आज प्रलय ही आ जाएगी।इ

3

रेत का घरौंदा ( झूंठे रिश्तों से मुक्ति)

10 फरवरी 2022
3
1
1

रेत का घरौंदा (झूंठे रिश्तों से मुक्ति) " मैंने तुमसे क्या कहा था ना, मीरा को बेवकूफ़ बनाकर शीशे में उतारना बहुत आसान है।तुम बेवज़ा डर रही थीं,अब मीरा हमारे बच्चे को पालेगी और हम दोनों जीवन का आ

4

हाथ की लकीरें

11 फरवरी 2022
2
1
2

" मां पंडित जी आए हैं"मीनू ने अपने मां से कहा और पंडित जी को बैठने के लिए कहकर कालेज जाने के लिए निकलने लगी। तभी पंडित जी ने कहा" बिटिया कहां जा रही हो?? तुम्हारी मां ने तुम्हारा हाथ दिखाने के लिए मुझ

5

मृगतृष्णा

12 फरवरी 2022
0
0
0

मृगतृष्णा मेधा जब घर लौटी तो आज भी दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ताला देखकर मेधा गुस्से से भर उठी वह सोचने लगी समीर आज भी नहीं आया जबकि उसने कहा था कि,वह आज ज़रूर लौट आएगा। मेधा ने ताला खोला

6

प्यार का इज़हार

13 फरवरी 2022
0
0
0

प्यार का इज़हार " जिस दिल में प्रेम होता है उस मन में मदद की भावनाएं सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हैं " यह तथ्य इस कहानी की नायिका स्वाति के व्यक्तित्व पर पूर्णरुपेण लागू होती है यह कहानी स

7

ग़लत फैसले का अंज़ाम

14 फरवरी 2022
1
1
1

गलत फ़ैसले का अंज़ाम " मैंने अच्छी तरह सोच लिया है वैभव मैं यहीं अमेरिका में ही रहूंगी मुझे भारत लौटकर नहीं जाना है जाॅन कह रहा था अगर मैं चाहूं तो कम्पनी में स्थाई रूप से नौकरी कर सकती हूं। इस

8

जब दोबारा हाथों में रची मेंहदी

15 फरवरी 2022
5
1
2

जब दोबारा हाथों में लगी मेंहदी राघवेन्द्र जी का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था ग़ुलाब, बेला, चम्पा और मोंगरें के फूलों से पूरा वातावरण महक रहा था उनकी इकलौती बेटी रति की शादी की रस्में चल रही थीं।

9

अपना गांव अपना देश

16 फरवरी 2022
0
0
0

अपना गांव अपना देश " तुम भारत क्यों जाना चाहती हो उस देश में क्या रखा है स्वार्थ, बेईमानी,लालच, विश्वासघात के अलावा वहां कुछ नहीं है वहां आज भी लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नहीं मिली है ज

10

डर एक भ्रम

17 फरवरी 2022
0
0
0

सुहानी बहुत ही हंस मुख बच्ची थी उम्र लगभग 10 साल वह अपनी मां के साथ रहतीं थीं मां के अतिरिक्त उसके आगे पीछे कोई नहीं था पर अपने सरल और हंसमुख स्वभाव के कारण कालोनी के सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे। सु

11

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश

18 फरवरी 2022
0
0
0

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश नीरा अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि, उसके माता-पिता उसकी उस अधूरी ख्वाहिश को कभी पूरा नहीं होने देंगे नीरा अपने मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मे

12

गुलाबी ख़त

19 फरवरी 2022
1
1
0

गुलाबी ख़त पता नहीं वह सपना था भ्रम!! सलोनी अपने हाथ में पकड़े हुए उस गुलाबी ख़त को बार-बार पढ़ रही थी। उसने अपनी आंखों को अपनी हथेलियों से मला फिर पढ़ने लगी पर ख़त के शब्दों में कोई बदलाव नहीं आया। स

13

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख

20 फरवरी 2022
1
1
2

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख सौरभ की कार न्यूयॉर्क की सड़क पर दौड़ रही थी सौरभ को ध्यान ही नहीं था कि वह अपनी ही धुन में कार की स्पीड बढ़ाता जा रहा है अचानक एक मोड़ पर आते ही उसकी कार

14

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है)

21 फरवरी 2022
2
0
0

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है) जया जैसे ही ट्रेन में चढी ट्रेन रेंगने लगी उसने अपने भैया (मामा जी के बेटे) को हाथ हिलाकर विदा किया, " जया अपना ध्यान रखना और लखनऊ पहुंचे ही फोन करना अ

15

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार

22 फरवरी 2022
2
1
0

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार रेवती जी चिंता के साथ-साथ डरी भी हुई थीं जब से उनके बेटे भारत का फोन आया था फोन पर उसने कहा कि, वह अपनी पत्नी लिजा के साथ हमेशा के लिए भारत आ रहा है अब वह उनके साथ ही

16

मैं वापस जा रहा हूं

23 फरवरी 2022
3
1
2

मैं वापस जा रहा हूं " सेजल तेरे पति कहीं दिखाई नहीं दे रहें हैं आज तुम लोगों की शादी की सालगिरह है और पतिदेव पार्टी से नदारद हैं" सेजल की एक सहेली ने सेजल से कहा। " कोई इमरजेंसी केस आ गया होगा

17

तुम्हारा आखिरी संदेश

24 फरवरी 2022
0
0
0

तुम्हारा आखिरी संदेश बाहर तूफ़ानी रफ़्तार से हवाएं चल रही थी बिजली भी रह-रहकर कड़क रही थी मूसलाधार बारिश के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था मोबाइल का नेटवर्क भी गायब हो गया था। कनक घर काम

18

अपने देश और अपनो की यादें

25 फरवरी 2022
0
0
0

अपने देश और अपनो की यादें मिहिर की नींद आज जल्दी ही खुल गई उसे लगा बाहर बारिश हो रही है कमरे की खिड़कियां बंद थीं इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था उसने बगल में सो रही अपनी पत्नी जेनिफर की ओर द

19

भूली दास्तां फिर याद आ गई

26 फरवरी 2022
0
0
0

भूली दास्तां फिर याद आ गई दस दिनों से लगातार बरसता हो रही थी आज जाकर सूर्यदेव ने दर्शन दिए गायत्री जी ने अपने घर काम करने वाली दुलारी की बेटी रानी जो अपनी मां के साथ अकसर गायत्री जी के घर आती थ

20

मैं लौटकर आऊंगा

27 फरवरी 2022
1
1
0

मैं लौटकर आऊंगा मुग्धा के हाथ से रिसीवर छूटकर गिर गया वह स्तब्ध खड़ी रही उधर से हेलो, हेलो की आवाज आ रही थी तभी हाल में मुग्धा का देवर पवन आ गया उसने स्तब्ध मुद्रा में अपनी भाभी को खड़े देखा और

21

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी

28 फरवरी 2022
0
0
0

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी आज आराधना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था उसके चेहरे की मुस्कान उसके मन की खुशी का इज़हार कर रही थी। उसकी आंखों के सामने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जिन पर सफ़ेद बर्फ़ की चा

22

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात

1 मार्च 2022
2
1
2

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात शादी की सभी तैयारी हो गई थी बाहर रिमझिम फुहारों ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया था तभी रमेश जी को पंडितजी की आवाज सुनाई दी। " कन्या के माता-पिता को बुलाइए वह यहां आकर

23

हम साथ साथ हैं

2 मार्च 2022
1
1
1

" प्रभास तुम्हें इतना उदास और परेशान नहीं होना चाहिए जिंदगी में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं ऐसी स्थिति हमें हमारे साहस और अपनो की पहचान कराते हैं। सामने उन फूलों को देखो कैसे मुस्कुराते हुए अप

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए