shabd-logo

रेत का घरौंदा ( झूंठे रिश्तों से मुक्ति)

10 फरवरी 2022

44 बार देखा गया 44

रेत का घरौंदा (झूंठे रिश्तों से मुक्ति)

" मैंने तुमसे क्या कहा था ना, मीरा को बेवकूफ़ बनाकर शीशे में उतारना बहुत आसान है।तुम बेवज़ा डर रही थीं,अब मीरा  हमारे बच्चे को पालेगी और हम दोनों जीवन का आनंद उठाते रहेंगे"। मीरा जो पानी पीने के लिए रसोई में आई थी अपने पति की बात सुनकर स्तब्ध रह गई।

" हां तुम ठीक कह रहे हो हमने कैसे दीदी को बेवकूफ़ बना दिया की मेरा कुछ लोगों ने बलात्कार किया और अब मैं उन दरिंदों के बच्चे मां बनने वाली हूं डाक्टर के अनुसार मेरा गर्भपात भी नहीं हो सकता क्योंकि डाक्टर के कथनानुसार यदि ऐसा किया गया तो मेरी जान को खतरा है।यह सुनकर दीदी ने आपको मुझसे शादी करने के लिए मज़बूर कर दिया। जबकि उन्हें यह नहीं पता कि,मेरा कभी बलात्कार हुआ ही नहीं मैं तो आपके बच्चे की मां बनने वाली थी।
मुझे आपने अपने आफिस में नौकरी दिलाई और आफिस टूर के नाम पर हम लोग हर महीने दस दिनों के लिए हनीमून पर जाते थे और हमारी बेचारी भोली-भाली दीदी यह कभी समझ ही नहीं सकीं की हमारे बीच क्या चल रहा है।" मीरा की छोटी बहन रूपा ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा

  अपने पति और बहन के विश्वासघात को सुनकर मीरा का पूरा शरीर सुन्न पड़ गया उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई।उसका मन चिल्लाने को कर रहा था इतना बड़ा धोखा वह भी उसके पति और बहन के हाथों उसे मिला था।
तभी मीरा को अपने पति की बात सुनाई वह हंसते हुए कह रहे थे••••

   " रूपा मैं तो जब तुम्हारी बहन को देखने गया था तो तुम्हें देखकर तुमसे प्यार करने लगा था पर मां को एक संस्कारी बहू चाहिए थी। इसलिए मैंने मां की खुशी के लिए तुम्हारी बहन से शादी कर ली पर मेरा दिल तो तुमने चुरा लिया था" मीरा के पति कैलाश ने हंसते हुए कहा

    " मैं भी तो अपना दिल हार बैठी थी आपके हाथों, मेरा दिल जानता की मैं कैसे आपके लिए तड़पती थी आपकी बांहों में मैं दीदी को बर्दाश्त नहीं पाती थी पर मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी दीदी आपकी पत्नी थी उनका तो ह़क था आप मैं आपसे दूर जल बिन मछली की तरह तड़पती रही शाय़द मेरी तड़प देखकर ही ईश्वर को मुझ पर तरस आ गया और दीदी बीमार पड़ गई और आपने मुझे दीदी की सेवा करने के बहाने यहां बुला लिया ।" रूपा ने कैलाश की बाहों में सिमटते हुए कहा।

    " आप ऐसे क्यों मुस्कुरा रहें हैं?" तभी रूपा की आवाज मीरा को सुनाई दी।

   " मेरी जान मैं इसलिए मुस्कुरा रहा हूं क्योंकि मैंने ही मीरा को ऐसी दवाएं देनी शुरू कर दी थी जिससे वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाए और तुम्हें पता है उन्हीं दवाओं का बुरा असर मीरा के शरीर पर पड़ा जिससे उसके अन्दर मां बनने की क्षमता नहीं रही।यह बात आज तक मेरे सिवा कोई नहीं जानता।" कैलाश ने जहरीली हंसी हंसते हुए कहा

  " आप तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले आपने सांप भी मार दिया और लाठी भी नहीं टूटी।" रूपा ने बेहयाई से हंसते हुए कहा।

   " तुम्हें अपना बनाने के लिए मुझे कितने पापड़ बेलने पड़े तुम्हें क्या पता?" कैलाश ने हंसते हुए रूपा से कहा।

   " मैंने भी तो तुम्हें पाने के लिए अपना सर्वस्व तुम पर लुटा दिया" रूपा ने जवाब दिया।

   " हां तुम्हारे खूबसूरत जिस्म का तो मैं दीवाना हूं मां बनकर भी तुम्हारी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई जबकि तुम तो और भी खूबसूरत हो गई हो अब और तड़पाओ मेरी बांहों में आ जाओ" कैलाश ने कहा

    मीरा इससे ज्यादा और कुछ न सुन सकी वह लड़खड़ाते कदमों से अपने कमरे की ओर चलीं गईं।आज उसके सपनों का खूबसूरत घर रेत के घरौंदे की तरह ढह गया था।

     मीरा अपने कमरे में आकर निर्जीव सी बिस्तर पर बैठ गई रूपा और उसके पति का बेटा कमल जो अभी छ: महीने का था निश्चित होकर सो रहा था
   मीरा की आंखों के सामने अतीत की यादें चलचित्र की तरह चलने लगी।जब वह शादी के बाद कैलाश के साथ यहां रहने के लिए आईं तो कैलाश अकसर किसी न किसी बहाने उसके मायके जाता था।तब मीरा को लगता था कि, कैलाश कैसे उसके माता-पिता का इतना ख्याल रखते हैं वह कैलाश पर गर्व करती थी।
   पर आज मीरा को पता चला वह एक छलावा था मृगतृष्णा थी जिसे मीरा अपने भोलेपन में पहचान नहीं सकीं थीं।

   फिर कुछ दिनों बाद ही मीरा की तबीयत बिगड़ने लगी तब उसके पति ने उसकी  बिमारी का फायदा उठाकर रूपा को अपने घर में बुला लिया।

   मीरा ने अपनी बहन पर कभी शक नहीं किया क्योंकि वह अपनी बहन और पति पर अंधविश्वास करती थी।उसे बहुत अच्छी तरह  याद है।जब उसकी पड़ोस में रहने वाली उसकी सहेली मीना ने एक बार कहा था " मीरा तुमने अपने पति और बहन को बहुत छूट दे रखी है कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी बहन ही तुम्हारा घर उजाड़ दे" तब मीरा ने बहुत आत्मविश्वास के साथ मीना को जबाव दिया था " मीना मुझे अपने पति पर पूरा विश्वास है वह मुझे बहुत प्यार करतें हैं मैंने अपने घर की दीवारों को रेत से नहीं बनाया है बल्कि यह मेरे विश्वास की सीमेंट से बनी हैं।यह कभी टूट नहीं सकता यह रेत का घरौंदा नहीं मेरे प्यार और विश्वास का मजबूत घर है"

  पर आज वही प्यार और विश्वास का मजबूत घर रेत के घरौंदे की तरह एक ही ठोकर में टूटकर बिखर गया।

   मीरा को वह दिन याद आया जब रूपा ने फटे कपड़ो के साथ रोते हुए घर में प्रवेश किया था और उससे लिपट कर रोते हुए कहा कि कुछ बदमाशों ने उसकी इज्जत लूट ली। मीरा यह सुनकर कितनी दुखी हो गई थी। और जब रूपा ने उसे बताया कि,उस पाप का अंकुर उसके गर्भ में पल रहा है और उसका गर्भपात भी नहीं हो सकता।तो यह सुनकर मीरा ने अपनी बहन की इज्जत बचाने के लिए अपने दिल पर पत्थर रख लिया और अपने पति का विवाह अपनी बहन से करा दिया और उसके बच्चे को अपने सीने से लगा लिया।बाहर वालों के सामने उसनेे यही जाहिर किया की वह मां नहीं बन सकती इसलिए उसने अपनी बहन का विवाह अपने पति से करा दिया जिससे उनके खानदान की वश बेल आगे बढ़ सकें।

   परंतु आज अपने पति और बहन की बात सुनकर मीरा का प्यार, और रिश्तों से विश्वास उठ गया उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बह रही थी। मीरा बहुत देर तक रोती रही और कब उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।

   सुबह बच्चे के रोने की आवाज सुनकर मीरा की नींद खुली उसने बच्चे को रोने दिया और स्वयं बिस्तर से उठकर बाहर आ गई उसने रसोई में जाकर अपने लिए चाय बनाई और सोफे पर बैठकर पीने लगी। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर रूपा और कैलाश भी बाहर आ गए।
उन्होंने  मीरा को चाय पीते हुए देखा उसकी बहन रूपा ने गुस्से में कहा " दीदी मुन्ना रो रहा है और आप यहां चाय पी रहीं हैं?"

   " मैं तुम्हारे बच्चे की आया नहीं हूं जो तुम मुझ पर हुकुम चला रही हो तुम्हारा बच्चा है तुम देखो"  मीरा ने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया।

   अपनी दीदी की बात सुनकर रूपा सकपका गई और कैलाश भी चौंक गए।

   वह दोनों कुछ कहते उससे पहले ही मीरा ने कहा " मिस्टर कैलाश आपने दूसरी शादी कर ली है क्योंकि मैं मां नहीं बन सकती इसलिए आपको कानून दूसरी शादी की इजाजत देता है पर मेरे जीवनयापन के लिए पैसे आपको देने होंगे यह मेरा कानूनी अधिकार है।अब मैं आप लोगों के साथ इस घर में नहीं रह सकती क्योंकि इस घर की दीवारों से मुझे विश्वासघात की गंध आ रही है। मैं आज और अभी यह घर छोड़कर जा रही हूं वैसे मेरे इस फैसले से आप दोनों ने जान ही लिया होगा कि, मैंने यह फैसला क्यों लिया है।

   तुम दोनों ने मेरी शराफ़त को मेरी कमजोरी समझने की भूल कर ली? मैं बेवकूफ़ नही हूं मैंने हमेशा से हर रिश्ते को दिल से निभाया है दिमाग से नहीं अब आज से मैं भी रिश्तों को दिमाग से निभाऊंगी। अभी मैं यहां से जा रहीं हूं मैंने जो तुम से कहा है उसे कर देना वरना मुझे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा " मीरा ने गम्भीर मुद्रा में कठोरता से कहा और अपने कमरे में चली गई कुछ देर बाद जब वह बाहर आई तो उसके हाथ में अटैची थी उसनेे एक नज़र अपने पति और बहन पर डाली उनके चेहरों पर आश्चर्य और घबराहट के भाव दिखाई दे रहे थे।उनके चेहरे की घबराहट देखकर मीरा के चेहरे पर स्वाभिमान की चमक दिखाई दी उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ रेत के घरौंदे की दहलीज के बाहर अपने क़दम बढ़ा दिए कैलाश और रूपा मीरा को जाते हुए देखते रह गए आज मीरा ने शादी के झूंठे बंधन से मुक्ति पा ली थी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचितमौलिक
3/4/2021


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne 👌👌

11 फरवरी 2022

23
रचनाएँ
Kanchan Shukla की डायरी ( दैनंदिनीं)
0.0
मैं अपनी डायरी में अपनी कहानियों को संग्रहित कर रही हूं यह डायरी मैंने भी पहले ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था अब प्रतियोगिता के लिए लिख रहीं हूं।
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया

8 फरवरी 2022
3
1
1

बिना कुछ कहे सच जीत गया सुचिता की ससुराल में आज पहली रसोई थी अषाढ़ का महीना था आज सुबह से ही रिमझिम फुहारों ने पूरे वातावरण को सोंधी खुशबू से महका दिया था। सुचिता की सास ने कल ही उससे कह दिया थ

2

उस रात की कहानी

9 फरवरी 2022
6
2
3

उस रात की कहानी आज शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी बारिश के साथ साथ तेज़ हवाएं भी चल रहीं थीं रह-रह कर बिजली कड़क रही थी बारिश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे आज प्रलय ही आ जाएगी।इ

3

रेत का घरौंदा ( झूंठे रिश्तों से मुक्ति)

10 फरवरी 2022
3
1
1

रेत का घरौंदा (झूंठे रिश्तों से मुक्ति) " मैंने तुमसे क्या कहा था ना, मीरा को बेवकूफ़ बनाकर शीशे में उतारना बहुत आसान है।तुम बेवज़ा डर रही थीं,अब मीरा हमारे बच्चे को पालेगी और हम दोनों जीवन का आ

4

हाथ की लकीरें

11 फरवरी 2022
2
1
2

" मां पंडित जी आए हैं"मीनू ने अपने मां से कहा और पंडित जी को बैठने के लिए कहकर कालेज जाने के लिए निकलने लगी। तभी पंडित जी ने कहा" बिटिया कहां जा रही हो?? तुम्हारी मां ने तुम्हारा हाथ दिखाने के लिए मुझ

5

मृगतृष्णा

12 फरवरी 2022
0
0
0

मृगतृष्णा मेधा जब घर लौटी तो आज भी दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ताला देखकर मेधा गुस्से से भर उठी वह सोचने लगी समीर आज भी नहीं आया जबकि उसने कहा था कि,वह आज ज़रूर लौट आएगा। मेधा ने ताला खोला

6

प्यार का इज़हार

13 फरवरी 2022
0
0
0

प्यार का इज़हार " जिस दिल में प्रेम होता है उस मन में मदद की भावनाएं सागर की लहरों की तरह हिलोरें लेती हैं " यह तथ्य इस कहानी की नायिका स्वाति के व्यक्तित्व पर पूर्णरुपेण लागू होती है यह कहानी स

7

ग़लत फैसले का अंज़ाम

14 फरवरी 2022
1
1
1

गलत फ़ैसले का अंज़ाम " मैंने अच्छी तरह सोच लिया है वैभव मैं यहीं अमेरिका में ही रहूंगी मुझे भारत लौटकर नहीं जाना है जाॅन कह रहा था अगर मैं चाहूं तो कम्पनी में स्थाई रूप से नौकरी कर सकती हूं। इस

8

जब दोबारा हाथों में रची मेंहदी

15 फरवरी 2022
5
1
2

जब दोबारा हाथों में लगी मेंहदी राघवेन्द्र जी का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था ग़ुलाब, बेला, चम्पा और मोंगरें के फूलों से पूरा वातावरण महक रहा था उनकी इकलौती बेटी रति की शादी की रस्में चल रही थीं।

9

अपना गांव अपना देश

16 फरवरी 2022
0
0
0

अपना गांव अपना देश " तुम भारत क्यों जाना चाहती हो उस देश में क्या रखा है स्वार्थ, बेईमानी,लालच, विश्वासघात के अलावा वहां कुछ नहीं है वहां आज भी लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नहीं मिली है ज

10

डर एक भ्रम

17 फरवरी 2022
0
0
0

सुहानी बहुत ही हंस मुख बच्ची थी उम्र लगभग 10 साल वह अपनी मां के साथ रहतीं थीं मां के अतिरिक्त उसके आगे पीछे कोई नहीं था पर अपने सरल और हंसमुख स्वभाव के कारण कालोनी के सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे। सु

11

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश

18 फरवरी 2022
0
0
0

मन में दबी अधूरी ख्वाहिश नीरा अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि, उसके माता-पिता उसकी उस अधूरी ख्वाहिश को कभी पूरा नहीं होने देंगे नीरा अपने मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मे

12

गुलाबी ख़त

19 फरवरी 2022
1
1
0

गुलाबी ख़त पता नहीं वह सपना था भ्रम!! सलोनी अपने हाथ में पकड़े हुए उस गुलाबी ख़त को बार-बार पढ़ रही थी। उसने अपनी आंखों को अपनी हथेलियों से मला फिर पढ़ने लगी पर ख़त के शब्दों में कोई बदलाव नहीं आया। स

13

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख

20 फरवरी 2022
1
1
2

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख सौरभ की कार न्यूयॉर्क की सड़क पर दौड़ रही थी सौरभ को ध्यान ही नहीं था कि वह अपनी ही धुन में कार की स्पीड बढ़ाता जा रहा है अचानक एक मोड़ पर आते ही उसकी कार

14

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है)

21 फरवरी 2022
2
0
0

प्यार की दस्तक (प्यार किया नहीं जाता हो जाता है) जया जैसे ही ट्रेन में चढी ट्रेन रेंगने लगी उसने अपने भैया (मामा जी के बेटे) को हाथ हिलाकर विदा किया, " जया अपना ध्यान रखना और लखनऊ पहुंचे ही फोन करना अ

15

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार

22 फरवरी 2022
2
1
0

विदेशी बहू स्वदेशी संस्कार रेवती जी चिंता के साथ-साथ डरी भी हुई थीं जब से उनके बेटे भारत का फोन आया था फोन पर उसने कहा कि, वह अपनी पत्नी लिजा के साथ हमेशा के लिए भारत आ रहा है अब वह उनके साथ ही

16

मैं वापस जा रहा हूं

23 फरवरी 2022
3
1
2

मैं वापस जा रहा हूं " सेजल तेरे पति कहीं दिखाई नहीं दे रहें हैं आज तुम लोगों की शादी की सालगिरह है और पतिदेव पार्टी से नदारद हैं" सेजल की एक सहेली ने सेजल से कहा। " कोई इमरजेंसी केस आ गया होगा

17

तुम्हारा आखिरी संदेश

24 फरवरी 2022
0
0
0

तुम्हारा आखिरी संदेश बाहर तूफ़ानी रफ़्तार से हवाएं चल रही थी बिजली भी रह-रहकर कड़क रही थी मूसलाधार बारिश के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था मोबाइल का नेटवर्क भी गायब हो गया था। कनक घर काम

18

अपने देश और अपनो की यादें

25 फरवरी 2022
0
0
0

अपने देश और अपनो की यादें मिहिर की नींद आज जल्दी ही खुल गई उसे लगा बाहर बारिश हो रही है कमरे की खिड़कियां बंद थीं इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था उसने बगल में सो रही अपनी पत्नी जेनिफर की ओर द

19

भूली दास्तां फिर याद आ गई

26 फरवरी 2022
0
0
0

भूली दास्तां फिर याद आ गई दस दिनों से लगातार बरसता हो रही थी आज जाकर सूर्यदेव ने दर्शन दिए गायत्री जी ने अपने घर काम करने वाली दुलारी की बेटी रानी जो अपनी मां के साथ अकसर गायत्री जी के घर आती थ

20

मैं लौटकर आऊंगा

27 फरवरी 2022
1
1
0

मैं लौटकर आऊंगा मुग्धा के हाथ से रिसीवर छूटकर गिर गया वह स्तब्ध खड़ी रही उधर से हेलो, हेलो की आवाज आ रही थी तभी हाल में मुग्धा का देवर पवन आ गया उसने स्तब्ध मुद्रा में अपनी भाभी को खड़े देखा और

21

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी

28 फरवरी 2022
0
0
0

जब मन की सभी आशाएं हुई पूरी आज आराधना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था उसके चेहरे की मुस्कान उसके मन की खुशी का इज़हार कर रही थी। उसकी आंखों के सामने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जिन पर सफ़ेद बर्फ़ की चा

22

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात

1 मार्च 2022
2
1
2

पाणिग्रहण खुशियों की सौगात शादी की सभी तैयारी हो गई थी बाहर रिमझिम फुहारों ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया था तभी रमेश जी को पंडितजी की आवाज सुनाई दी। " कन्या के माता-पिता को बुलाइए वह यहां आकर

23

हम साथ साथ हैं

2 मार्च 2022
1
1
1

" प्रभास तुम्हें इतना उदास और परेशान नहीं होना चाहिए जिंदगी में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं ऐसी स्थिति हमें हमारे साहस और अपनो की पहचान कराते हैं। सामने उन फूलों को देखो कैसे मुस्कुराते हुए अप

---

किताब पढ़िए