तुम्हारा आखिरी संदेश
बाहर तूफ़ानी रफ़्तार से हवाएं चल रही थी बिजली भी रह-रहकर कड़क रही थी मूसलाधार बारिश के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था मोबाइल का नेटवर्क भी गायब हो गया था। कनक घर काम ख़त्म करने के बाद हाल में आकर बैठ गई उसने टीवी चलाया पर बारिश के कारण टीवी की तस्वीरें झिलमिला रहीं थीं।कनक ने टीवी बंद किया और मोबाइल देखने लगी मोबाइल में भी नेटवर्किंग की समस्या देखकर कनक बड़बड़ाने लगी "जिस दिन मेरे पास समय रहता है उसी दिन नेटवर्क की समस्या आ जाती है सोचा था कि, विकास दो दिनों के लिए टूर पर गए हैं तो मैं कुछ लिखने पढ़ने का काम कर लूंगी लेकिन बारिश ने सब चौपट कर दिया"
तभी कनक के मोबाइल में कोई मैसेज आया मैसेज की रिंग टोन सुनकर कनक के चेहरे पर खुशी तैर गई उसने मन-ही-मन सोचा "चलो लगता है नेटवर्क आ गया"कनक ने जल्दी से मोबाइल खोला और मैसेज देखने लगी मैसेज उसकी सहेली पायल का था कनक सोच में पड़ गई दो साल बाद पायल को मेरी याद कैसे आ गई यही सोचते हुए कनक ने मैसेज खोला मैसेज पढ़ते ही कनक के मुखं से चीख निकल पड़ी नहीं!!! ऐसा नहीं हो सकता" इतना कहते-कहते कनक का गला रूंध गया और उसकी आंखों से गंगा-जमुना बह निकली बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी।कनक सोचने लगी ऐसी ही भयानक बरसात की तूफ़ानी रात थी जब उसके पास श्रीकांत का मैसेज आया था कि, "कनक मुझे भूलकर तुम अपनी नई जिंदगी किसी और के साथ शुरू करो क्योंकि मैंने यहां अमेरिका में शादी कर ली है अब शायद इस जन्म में तुमसे दोबारा मुलाकात न हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मैंने तुम्हें प्यार में धोखा दिया है मैं मज़बूर था। मैं ईश्वर से सदैव यही प्रार्थना करूंगा कि, तुम्हें बहुत प्यार करने वाला जीवनसाथी मिले जिससे तुम मुझ जैसे धोखेबाज को आसानी से भूल सको अच्छा अलविदा कनक"
श्रीकांत के उस आखिरी मैसेज ने कनक की दुनिया ही वीरान कर दी थी उस दिन भी आसमान में बिजली रह-रहकर कड़क रही थी और बरसात ने विकराल रूप धारण कर लिया था। श्रीकांत का मैसेज पाकर कनक पत्थर बनकर रह गई थी। लेकिन कहते हैं न कि, किसी के जाने से जिंदगी नहीं खत्म हो जाती वह अपनी ही रफ्तार में आगे बढती रहती है कनक भी कुछ दिनों के बाद सामान्य हो गई वह शादी करना ही नहीं चाहती थी लेकिन अपने माता-पिता के आगे उसकी एक नहीं चली और उसकी शादी विकास से हो गई शुरू-शुरू में कनक विकास को पसंद नहीं करती थी।
क्योंकि उसके दिल में अभी भी श्रीकांत बसा हुआ था लेकिन धीरे-धीरे विकास के अच्छे प्यार भरे व्यवहार ने कनक के मन में विकास के लिए प्यार जगा दिया और कनक विकास के साथ एक खुशहाल वैवाहिक जीवन बिताने लगी आज दो साल बाद पायल के इस मैसेज ने कनक के दिल में तूफ़ान पैदा कर दिया।
क्योंकि वह श्रीकांत से सच्चा प्यार करती थी यह अगल बात थी कि, श्रीकांत उसके प्यार की कद्र नहीं कर सका।
कनक ने एक लम्बी सांस लेकर अपने आंसू पोंछे और पायल को फोन मिलाया उधर से तुरंत फोन उठ गया और पायल को आवाज सुनाई दी,
" मैं जाती थी कनक मेरा मैसेज पढ़कर तुम मुझे फ़ोन जरूर करोगी"
" पायल तुमने मुझे मैसेज करके श्रीकांत की मौत की खबर क्यों दी अब उससे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है"?? कनक ने गम्भीर लहज़े में पूछा
" मैं जानती हूं कि, तुम आज भी श्रीकांत से प्यार करती हो तुम कुछ भी कहो तुम उसे भूली नहीं हो और तुम्हें उसे भूलना चाहिए भी नहीं क्योंकि उसने तुम्हारे जीवन में खुशियां भरी हैं वह हमेशा तुम्हारे खुशी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता रहता था और स्वयं तिल-तिल कर हर दिन मरता रहा उसकी तड़प को मैंने देखा है और महसूस किया है जानती हो कनक श्रीकांत ने तुमसे शादी क्यों नहीं की थी उसे ब्लैड कैंसर था वह भी आखिरी स्टेज का उसके पास जीवन के साल दो साल ही बचे थे इसलिए जब वह अपने कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका गया तो उसने तुम्हें एक आखिरी मैसेज किया था कि, उसने अमेरिका में शादी कर ली है यह एक तरह से सच भी था कनक उसने मौत से शादी कर ली थी।वह नहीं चाहता था कि तुम उसके जाने के बाद एक विधवा का जीवन जीओ वह तुम्हारे चेहरे पर मायूसी नहीं खुशी देखना चाहता था। इसलिए उसने तुम्हें झूंठा मैसेज करके तुम्हारे दिल में अपने लिए नफ़रत पैदा कर दी थी जिससे तुम उसे भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाओ श्रीकांत नहीं चाहता था कि उसके मरने की खबर तुम्हें मैं दूं पर मैंने श्रीकांत की आखिरी इच्छा नहीं मानी और तुम्हें मैसेज करके बता दिया। मैं नहीं चाहती थी कि तुम उस देवता को जिंदगी भर राक्षस समझकर नफ़रत करती रहो क्योंकि मेरा भाई श्रीकांत नफ़रत का नहीं सम्मान का अधिकारी था" पायल ने बहुत दुखी मन से कनक को श्रीकांत के उस आखिरी मैसेज का राज बताया।
जिसे सुनकर कनक स्तब्ध रह गई उसकी आंखों से आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा बाहर अभी भी बरसात हो रही थी।
कनक की आंखों के सामने श्रीकांत का वही आखिरी मैसेज नाच रहा था इस जन्म में शाय़द हमारी मुलाकात नहीं होगी अलविदा कनक।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
31/7/2021