बच्चे सच्ची में मन के सच्चे होते हैं तभी तो लिखने वाले ने लिखा होगा
आज बहुत पुरानी बात याद आ गई हम अपने परिवार के
साथ रहते थे बहुत ही खुशहाल परिवार था सब हँसते मुस्कुराते एक दूसरे का मदद करते थे। हमारे घर में, साफ सफाई पर बहुत ध्यान रखा जाता था सब लोग साफ सफाई के प्रति जागरूक रहते थे, लेकिन ये बहुत, सारे घरों में होता है की अपना घर एकदम साफ सुथरा रखेंगे मगर अगल बगल या रास्ते पर कचरा फेक देते, हैं। ये एक कड़वा सच है, लेकिन लोग मानते नही हैं।
यही गलती हम से भी हो जाती थी ज़ो बहुत गलत होता, था पर समझ बाद में आया जब एक छोटा सा, बच्चा ने हमें समझया उसकी सीख मुझे आज तक याद, है ज़ो,
कभी नही भुला सकती हूँ।
हुआ यूँ की हमारे घर में हमारे रिश्तेदार आये थे उनके, साथ एक छोट सा प्यारा सा बहुत ही बातूनी था। सब, के
साथ घुलमिल गया सब के साथ वो खेलता रहता था।
एक दिन वो सुबह सो कर उठा और हमारे साथ छत पर,
आ गया फिर वो खेलने लगा और हम छत की सफाई, करने लगे और हमारी ज़ो पुरानी गलत आदत थी की, कचरे को छत पर से फेकने का वही हम कर रहे थे तभी, वो प्यारा सा बच्चा मुझे बहुत प्यार से कहता है। दीदी एक बात बोलूं तो हम बोले जल्दी से बोल न कोई, है नही मुझ कचरा फेंकना है। तब वो बहुत मासूमिय,त से बोला ये बहुत गलत बात है कचरा ऐसे नही फेकते हैं। हमेशा कूड़े दान में रखना चाहिए हमारी स्कूल में हमें, टीचर सीखती है कभी कचरे को इधर उधर नही, फेंकना चाहिए। हमें साफ सफाई का धयान रखना, चाहिए। वो बहुत ही प्यार और मासूमियत से हमें एक, सीख दिया और हम उस सीख को आज तक नही भूलें, हैं और जँहा कहीं जाती हूँ तो कभी भी कचरे को हमेशा, कूड़े दान में ही रखती हूँ। इधर उधर नही फेंकते हैं,सच्ची में वो जब जाने लगा तो हमें कहते कहते गया, फिर से वो गलती मत करना नही तो हमारी टीचर आप, को गुस्सा करेगी।
सच्ची में कभी कभी हमें अपने से छोटे से बच्चे भी हमें बहुत बड़ी बात समझा जाते हैं।उन्हें भी पता होता है, क्या गलत है क्या सही। सच्ची में बच्चे मन के सच्चे, होते हैं और उनकी मासूमियत भरी बातें तो और भी सच्ची होती है।
तभी तो लिखा गया है बच्चे मन के सच्चे होते हैं।