दादी और दादू का प्यार दुनिया में,
बहुत ही अनमोल चीज,
होता है।
सबकी किस्मत में कहाँ,
होता है दादी दादू का,
प्यार मिलना।
बहुत किस्मत वाले होते।
हैं जिन्हें ये प्यार मिलता है।
वक्त और हालत अब तो,
बदल गये हैं।
लोग एक दूसरे को देख कर,
बदल रहें हैं।
अब न बच्चों का पहले जैसा,
बचपन रहा है।
न दादी दादू के पास अब वो रहते,
हैं।
न दादी दादू उनके पास रहते हैं।
सब अलग अलग रहने लगे हैं।
क्योंकि कुछ लोग मज़बूरी में,
अपनों के साथ नही रहते हैं।
न कुछ लोग रहना चाहते हैं।
यकीन नही होगा।
लेकिन ये अभी की सचाई है।
जो माने या नही माने,
अब तो बच्चों की मम्मी कहती है.
कितने दिनों के लिए आना है।
सुनकर दिल रोता है।
अपनों से मिलने के लिए अपने,
ही घरों में दादा दादी खटकते हैं।
शहर हो या गाँव सब की यही,
कहानी है।
दादा दादी का प्यार और थपकी,
आज के बच्चों क्या पता,
वो तो बहुत पुरानी एक कहानी,
बन कर बस लिखने को,
रह गयी है।
कुछ घरों में शायद दादी दादू,
अगर देखने मिल जाते हैं।
तो ऐसा लगता है कुछ,
अजूबा चीज हमें देखने को,
मिल गया है।
बच्चे तो खुश होते हैं अपने,
दादी दादू के प्यार और सानिध्य,
को पा कर।
पर आज के माँ पापा कहाँ समझ,
पाते हैं उनका ये प्यार,
वो तो बस अपने दिखाबे के,
लिए बच्चों को खिलोनों की,
दुकान लगा देते हैं।
पर अपने दादी दादू से दूर,
रह कर।
एक पोते पोती को ही पता होता।
है उनका प्यार और थपकी,
बचपन में क्या मायने होते हैं।
शायद आज के न बच्चे समझ,
पायेंगे।
न कोई और,
ये बस लिखने के लिए रह गया है।
दादी की थपकी .