रेल यात्रा नाम सुनते ही बहुत सारी यादें हैं जो लिखना थोड़ा मुश्किल है, पर एक यादें हैं जो अभी दो साल पहले की है जो मेरे लिए बहुत ही यादगार था।
यात्रा तो सभी लोग करते हैं हर यात्रा यादगार ही होती है
जो सबके लिए भी होती होगी। हमारी ये यात्रा है रेलयात्रा जो हम अपने परिवार के साथ कर रहे थे ज्यादा पुरानी यात्रा नही है दो साल पहले हम अपने परिवार के साथ बेंगलोर जा रहे थे यात्रा ज्यादा लम्बी थी। जब पूरे परिवार के साथ अगर हम रेलयात्रा कर रहें हों तब क्या कहना
बहुत अच्छा लगता है न मुझे तो बहुत अच्छा लगता है
सच्ची में खूब सारा मस्ती बातें और खूब खाना और सोना हम सब अपने सीट पर बैठ कर बातें कर रहे थे और जो यात्री थे उनसब से भी थोड़ी बहुत बातचीत कर रहे थे क्योंकि हम ज्यादा देर चुप नही रह सकते हैं अगर ज्यादा देर चुप रह गये तो पेट में गड़बड़ होने लगता है
फिर क्या थोड़ी ही देर हम सब आपस में बातचीत करने लगे जिन्हें नही करना था वो चादर तान के सो रहे थे
कुछ अपने मोबाइल में वस्यत थे।
हम सब इधर उधर की बातें कर रहे थे और यात्रा हो रही थी ।
हमारे बगल सीट पर एक मुस्लिम परिवार भी थे वो भी हम सब के साथ बातचीत करते यात्रा का आनंद ले रहे थे
सब लोग ऐसे लग रहे थे की सब जानपहचान वाले हों आपस में बातचीत करते यात्रा का आनंद उठा रहे थे फिर क्या सब लोग रात हुआ तो खाना खा के सोने
लगे हमारा भी परिवार खा के सो गया ट्रैन में एकेदुके लोग जगे थे सब सो गये थे हमें नींद नही आ रही थी हम जगे थे तो देखे बगल वाले सीट के पास खुसर पुसूर हो रही है तो हमें डर लगा की कुछ अनहोनी तो नही हो गया मुझे लगा की आखिर बात क्या फिर मैने एक यात्री से पूछा तो वो बोली जो बाजू वाली सीट जो मुस्लिम औरत थी न उनके पेट में दर्द हो रहा है इस लिए सब परेशान हैं फिर क्या हम भी वंहाँ गये तो वो औरत दर्द से परेशान थी और उनका परिवार भी साथ में
वंहाँ पे थे सो सब हुआ ये था की वो औरत माँ बनने वाली थी इसलिए सब इतना परेशान थे क्योंकि रात का
समय था ट्रैन अपनी रफ़्तार से चल रही थी आसपास अभी कोई स्टेशन भी आने वाला नही था आखिर होगा तो क्या होगा सब के चेहरे पर पारेशनी थी तभी एक महिला थी जो उनकी मदद की जो थी बहुत कम उम्र की फिर भी हिम्मत करके सबने उनकी मदद की कोई गर्म पानी लाया कोई अपने पास जो अख़बार था वो दिया सबने मिलकर उस सीट को ढक कर जैसे अस्पताल बना दिया फिर क्या सबकी दुआ में असर था सबकी दुआ से वो महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया और वो भी माँ और बच्चे दोनों सही सलामत थे उस वक्त वंहाँ पर जीतने लोग थे न सबकी सांसे रुकी थी । जब उस नन्हे सी जान की रेलगाड़ी में किलकारी गुंजी तब क्या कहना सब के चेहरे पर ख़ुशी छा गई सबने उस महिला को ध्न्यावाद दिया। फिर उस महिला के पति ने सबसे कहा की आपसब की वजह से इस मुश्किल घड़ी में आप सब के हिम्मत से आज हम अपने परिवार के साथ हैं मुझे तो लगा हमारी तो दुनिया ही लुट गई। जब उस महिला से हम पूछे की आप कोई डॉक्टर थी तो वो हँसते हुए बोली नही जब आप के पास कोई समस्या आती है तो आप में खुद ही हिम्मत आ जायगी वो काम करने की
तब हम बोले आप ने तो कर दिखाया।
फिर कोई स्टेशन आने वाला था जहाँ उन्हें उतरा जा सकता था क्यों की उन्हें अस्पताल जाने के लिए फिर वो चली गयी सबको धन्यवाद देकर।
मेरे लिए ये रेलगाड़ी की यात्रा बहुत ही अद्धभुत थी क्यों
जिस तरह सब मिलकर उनकी मदद की मुझे बहुत अच्छा लगा क्यों की उस वक्त कोई सोचा ही नही था हम किसी अजनबी की मदद क्यों करें सब को लग रहा था
की हमारा ही कोई अपना है जिसकी हम सब मिलकर मदद कर रहे हैं
फिर क्या जब सुबह हुई तो हम अपने परिवार को ये बात बताया तो बोले हमें कुछ मालूम ही नही पड़ा तो हम बोले आप सब घोड़े बेच कर सो जो रहे थे सब हँसने लगे
हम सब का भी यात्रा रेलगाड़ी में किलकारी के साथ
पूरी हो गई थी। सब अपने मंजिल पर उतर गये।
सच में बहुत ही अनोखा यात्रा था रेलयात्रा वो भी रेलगाडी में किलकारी खास कर मेरे लिए।
एक बात तो होती है इस यात्रा में लोग मिलते बहुत हैं पर सब अपनी अपनी मंजिल पर मिलकर खो जाते हैं