तुम्हारी यादों की तन्हाई,
बहुत प्यारी मुझे लगती है।
तन्हाई की बात न पूछो हमसे,
बहुत ही प्यारी लगती है।
तुम्हारी यादों की तन्हाई,
मुझे मिलती है बहुत मुश्किल से,
तुम्हारी यादों की तन्हाई,
लेकिन जब भी मिलती है तब,
बड़ा ही सुकून मिलता है।
तुम्हारी यादों की तन्हाई के,
साथ।
जब तुम्हारी यादों की तन्हाई,
होती है न जब मेरे पास तुम,
और तुम्हारी बातें बहुत याद,
आती है।
तूने पूछा नही ऐसा,
क्यों जब तुम,
पास रहते हो तब तो तुझे,
ही देखते रहती हूँ तुम्हें,
ही सुनते रहती हूँ बस,
तुम्हें ही प्यार करते,
रहती हूँ।
जैसे वक्त भागते रहता है।
और मैं उसे पकड़ते रहती हूँ।
जब तुम साथ रहते हो तब,
सबकुछ कितना अच्छा,
लगता है।
लिख नही सकती हूँ बस,
महसूस कर सकती हूँ।
जब तुम मुझे छोड़ कर जाते हो।
तब कभी सोचा है मैं कैसे
जीती हूँ तेरी जुदाई में,
अच्छा पगली तू कैसे जीती,
है मैं जब तुझसे दूर जाता हूँ।
अब बता न दो,
अच्छा क्यों बताऊँ,
ऐ बता न दे तू मेरी जुदाई,
में कैसे जीती है। अच्छा,
बाबा बता देती हूँ।
जब तुम चले जाते हो।
तब मैं और मेरी तन्हाई मुझे,
सबके साथ तन्हा कर देती है।
बस तुझे ही याद करती है न,
बस तुझे ही प्यार करती हूँ,
उस पल में बस मैं तुझे ही,
तेरी बातों को तेरी यादों को,
याद करती हूँ उस पल कितना,
प्यारा लगता है तन्हाई मत,
पूछो कह नही सकती,
समझें बुद्धू।
इसलिए कहती हूँ न मुझे,
तुम से भी ज्यादा,
मुझे तेरी यादों की तन्हाई,
प्यारी लगती है।
सच में तुम्हारी यादों की तन्हाई,
बहुत प्यारी लगती है।
भीड़ में भी तन्हा हो जाती हूँ।