एक माँ अधूरी होती है जब तक
एक किलकारी नही गूंजती है
उसके आँगन में
जब किलकारी नही होती है
एक माँ के गोद में उस माँ
का जैसे दुनिया में कोई
बजूद नही होता है
एक माँ जब अपने किलकारी
को अपने आँगन में ले के आती
है तो लगता है सारी खुशियाँ
उनके आँचल में समा गई हो
कितना प्यारा वो घड़ी होता है
जब एक माँ अपने किलकारी
को देख कर मुस्कुराती है
उस पल को शब्दों में पिरोया
नही जा सकता है
बस इस ख़ुशी को महसूस
किया जाता है
और इस पल के साथ बस
जिया जाता है दुनिया की
सारी दौलत एक माँ के आगे
फीकी है उसके किलकारी के
सामने एक माँ किसी कि
गुलाम नही बनती है बस वो
अपने किलकारी कि गुलाम
बन कर रह जाती है
कितना दर्द बर्दास्त करती है
अपने किलकारी कि ख़ुशी
के लिए फिर भी मुँह से उफ़
नही करती है
जब अपने किलकारी को
हँसते माँ देखती है तो
सारी खुशियाँ अपने आँचल
में समेट लेती है
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