बारिश की बुँदे नाम
सुनकर गुदगुदी होती है
बचपन की बदमाशीयाद
आ जाती है
कितना इंतजार करते थे
जब हम स्कूल में होते थे
और खिरकी से देखते थे
जब
बारिश शुरू हो जातीथी
फिर क्या कहना
ख़ुशी दुगनी हो जाती थी
अपने पूछा नही की
वजह क्या थी बारिश
में ख़ुशी दुगनी होने की
तो बता दूँ हंसना नही
वो इस लिए की आज तो बारिश
होगी सारे दोस्त मिलकर भींगेगे
कीचड़ में भी किसी को
गिरयेंगे कोई रोयेगा और
अपनी मम्मी से शिकायत करेगा
फिर उनकी मम्मी से और अपनी
मम्मी से डांट परती थी
खूब मजा आता था
बारिश में भींग कर घर
जाना
घर पर शुरू होता था दादी बुआ
का लाड़ दुलार
अरे मेरा बच्चा भींग गया
और इसकी मम्मी इसे डांट रही है
फिर दिल ख़ुशी से झूम जाता था
अहा अब तो मम्मी को भी
डांट पड़ी
जब बारिश में भींग जाते थे
और बुखार आ जाता था
तब भी दिल खुश होता था
कि स्कूल नही जाना पड़ेगा
लेकिन जब घर वाले परेशान होते
थे तब अफ़सोस भी होता था
लेकिन वो तो बचपना था
जो कभी लौट के न आता है
बस उसे याद करते हैं
उफ़ कितना अच्छा लगता था
बारिश की बुँदे बचपन में
बचपन की बारिश में मस्ती
और बदमशी होता था और
अब वाले बारिश में बस
बारिश को देख कर यादें
बरस जाती है
बारिश की बूंदो की तरह
और मन और आँखे भींग
जाता है