आज न मैं एक बात बातना चाहता हूँ पता है वो क्या ख़ुशी लेकिन कभी कभी वो ख़ुशी अपने से ज्यादा दूसरों को दे कर मिलती है पता नही कुछ लोग खुद खुश रह कर दूसरों को भी खुशी देतें होंगे कुछ लोग अपनी ख़ुशी से ज्यादा दूसरों को खुश देख कर अपने आप को ख़ुशी देते होंगे हैं। अब आप बोलोगे ऐसा क्यों आप ने लिखा तो बताऊँ आप को एक राज की बात बताता हूँ।
हुआ यों की हमारे क्या पूरे बिहार में अभी लोकआस्था का पर्व चल रहा है सबके घरों में ख़ुशी और उमंग और उललास छाया हुआ अमीर हो या गरीब सब लोग इस पर्व को अतिउतासः से मना रहें हैं इसका जितना वर्णन किया जायगा उतना शब्द कम पड़ जायगा। ये पूजा न मेरे घर में भी हो रहा है सब लोग बहुत खुश भी हैं बच्चे की ख़ुशी का क्या कहना लेकिन मेरी ख़ुशी न कुछ और था।
पता है हुआ क्या मेरा एक काम करने वाला (ड्राइवर )
था ज़ो छठ पूजा में घर जाना चाह रहा था पर हमारे परिवार में उसे घर जाने नही दे रहे थे वो वेचारा मुहँ
से कुछ नही बोल रहा था पर उसकी आँखों में एक दर्द था ज़ो सब से छुपा रहा था पर ये बात मैं समझ रहा था
पर कोशिश में लगा था की कैसे इसे घर भिजबा दूँ। वेचारे अपने दर्द को
छुपा कर हमसब के साथ खुश था पर उसकी ख़ुशी तो
कहीं और थी वो किसी से कुछ कह नही रहा था पर मैं इतना तो समझ गया था उसे घर जाना है फिर मैने पूछा तुझे घर जाने का मन है तब वो आंखे चुरा कर ना में सर हिला दिया नही नही चाचा (मेरे पापा ) गुस्सा होंगे
तब हम बोले नही होंगे फिर हम अपने पापा को मना लिए थोड़ा सा झूठ बोल कर ज़ो गलत था पर क्या करता
उसका उदास चेहरा मुझ से देखा नही जा रहा था
पापा बोले अब सारा काम तुम करना क्योंकि उसके बिना हमारे पापा क्या किसी का कोई काम नही होता है
पर थोड़ा मुश्किल तो होगा न काम तो हो ही जायगा।
लेकिन किसी के ख़ुशी का क्या ज़ो हमारे लिए वो अपनी ख़ुशी का गला दबा रहा था।
पता है आज न वो गाँव चला गया और इतना खुश है की मत पूछिए दो चार बार तो फ़ोन किया हम घर पहुंच गये
हैं। सच में बहुत खुश था पर थोड़ा सा उदास भी था आप हमारे ख़ुशी के लिए कितना सारा परेशनी ले लिए
खैर कोई बात नही मुझे भी बहुत अच्छा लगा की वो खुश है अपने घर जा के क्योंकि की छठ पूजा ज़ो है सबकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी भी मिलती है
क्या ये सही था या गलत आप अपना पसंद 👍जरूर बातना।
अच्छा चलता हूँ फिर मिलेंगे बहुत काम है।
फिर से छठ पर्व की ढेर ढेर सारी शुभकामनायें 🙏🙏