'प्रसिद्धी की महत्वकांक्षा'
दुनिया में हर कोई महत्वकांक्षी होता है इस के बिना लोग कुछ कर नही पायंगे।महत्व कांक्षा आदमी को जिंदगी में आगे बढ़ने का अबसर देता है कुछ इसको समझ नही पाते हैं और जो समझ जाते हैं वो जिंदगी में एक
नया इतिहास लिख जाते हैं। बिना महत्वकांक्षा के प्रसिद्धी
मिलना मुश्किल होता है। एक सफल वयक्तित्व की पहचान है महत्वकांक्षा की प्रसिद्धी। इसके बिना उसकी कोई पहचान नही होती। जैसे दिन हो और सूरज अपनी रौशनी से उजला न कर पाएँ वैसे ही इंसान जो सफलता की ऊंचाई पर पाऊँचाना चाहता है लेकिन बिना महत्वकांक्षा की सीढ़ी चढ़े बिना उसे प्रसिद्धी नही मिल सकती है।इसके लिए हमें गिरना न परे क्योंकि की आदमी
आदमी को महत्वकांक्षा रखनी चाहिए लेकिन इसके लिए इंसान को गिरना न पड़े क्यों कि इंसान महत्वकांक्षा
की सीढ़ी पर चढ़ जाती है तो उसे पता ही नही चलता है की अब हमें रुकना भी है जिंदगी में वो जितना प्रसिद्ध होता है उसकी लालसा बढ़ते जाती है। फिर उसे पता ही नही चलता है की हम कहाँ आ गये प्रसिद्धी की महत्वकांक्षा की लालसा में सही गलत सब भुल के हम बस प्रसिद्ध होना चाहतें हैं जो गलत है लेकिन महत्व कांक्षी व्यक्ति को कहाँ पता चलती है उसे तो बस प्रसिद्धी
मिलनी चाहिए।
महत्वकांक्षा एक सफल व्यक्ति को प्रसिद्धी दिलाता है लेकिन इंसान भूल जाता है कि महत्वकांक्षा कि भूख बढ़ते जाती और हमें प्रसिद्धी मिल भी जाती है तब भी वो कम ही लगती है।अगर हमें महत्वकांक्षा पाने के लिए संतोष का होना बहुत जरुरी होता है। अगर संतोष नही होगा तो हम महत्वकांक्षा की प्रसिद्धी मिल भी जाएगी तो भी हमें उसे पाने की लालसा बढ़ते जायगी।
महत्वकांक्षा की प्रसिद्धी पाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना पड़ता है अगर हम अपने लक्ष्य पर अडिग रहना पड़ता है।
अपने प्रसिद्धी के लिए हमें आलस्य नही करना चाहिए
अगर हम आलस्य करेंगें तो हमें प्रसिद्धी की महत्वकांक्षा
कैसे मिलेगी और हम अपने मकसद में हार जायँगे ये तो मुमकिन नही है।
लेकिन प्रसिद्धी की महत्वकांक्षा के लिए हमें तत्परता करनी परती है लेकिन अगर हमें नही मिलती है तो हम निराश हो जाते हैं इसके लिए हमें निराश नही होना है जिंदगी में इसके लिए हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए
हमारी यही कोशिश होनी चाहिए की हमें एक दिन हमारे महत्वकांक्षा को प्रसिद्धी मिलेगी ही। हमें अपने मकसद में न अलास्य करना है न तीव्रता।
बिना महत्वकांक्षा के जिंदगी जीने की कोई वजह ही नही होता। जिंदगी वैसे ही हो जाती है बिना महत्वकांक्षा
के जैसे बिना पतावर के नाव हो जाती है।
महत्वकांक्षा के बिना हमारे सपनों की न मंजिल मिलती है न प्रसिद्धी क्यों कि महत्वकांक्षा ही तो हमें अपनी मंजिल के तरफ लेके जाती है अगर महत्वकांक्षा नही होती तो हम जो बनाना चाहतें हैं उसमें हमें प्रसिद्धी
नही मिलेगी।
हमें अगर डाक्टर बनाना है या लेखक या इंजिनियर कुछ
भी उसके लिए हमें अपने महत्वकांक्षा को पुरा कर के उसमें हमें प्रसिद्धी हासिल करनी पड़ता है तभी हमें प्रसिद्धी की महत्वकांक्षा मिलेगी जिंदगी में