ये सच्ची बात है लेकिन
विश्वास नही कर पाती है
जिंदगी
जिंदगी में आप जब कभी
ऐसे अपनों से मिलेंगे
अगर वो अपनी जिंदगी में
तन्हा और अपनों के साथ
भी अकेले रहते हैं और
उनकी जिंदगी में अगर उनके
साथी अगर उन्हें ऐसे मोड़
पर तन्हा छोड़ कर चले जाते हैं
जब उनके अपने बच्चों से उन्हें
तकलीफ मिलती है और ये दर्द
वो किसी को बता भी नही पाते हैं
न कह सकते हैं अगर कह भी
देंगे तो दुनिया वाले भी उन्हीं का
मज़ाक बना देते हैं
लेकिन ये सच्ची बात कभी ऐसे
लोंगो से मिलेंगे तो आप उनकी
ये तकलीफ समझ पायंगे
वो अपनी ये तकलीफ बस
अपने दिल में कैद रखते हैं
किसी को बता नही पाते हैं और
अपनों के साथ भी वो घुट घुट
कर जीते हैं
और जीने के लिए विवश होते हैं
जब उनके हमसफ़र उन्हें तन्हा
छोड़ कर दुनिया से चले जाते हैं
और जब वो तकलीफ होते हैं
तब वो उनसे कहते हैं ऐसी क्या
गलती किये थे जो तुम हमें अपनों
के बीच में अजनबी बना कर चल
दिए ऐसे जँहा में
क्यों नही ले गये मुझे अपने साथ
अब अकेले ये तकलीफ मुझ से
सहा नही जाता है
काश तुम मुझे भी अपने साथ
लेकर चले जाते क्यों अपनों
के साथ छोड़ दिया मुझे अजनबी
बना कर मुझे क्यों नही साथ लेकर
गये।
ये सच है लेकिन सभी के लिए नही
कुछ के लिए
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