दुनिया में चीनी का दाम बढ़ रहा है।
और जिंदगी में चीनी कम हो रहा है।
रिश्तों में मिठास ही कम हो गयी है।
जैसे बिना चीनी की मिठाई मीठी,
नही होती है।
वैसे ही अपनों के बिना रिश्तों,
में मिठास नही आती है।
जैसे चाय और कॉफी अधूरी लगती है।
चीनी के बिना वैसे ही,
हमसब भी अपनी जिंदगी में अधूरे,
लगते हैं अपनों के बिना,
लोंगो ने चीनी खाना जैसे कम कर,
रहे हैं।
वैसे ही अपनों से रिश्तों में भी,
मिठास कम रहें हैं।
अरे भाई डॉक्टर ने हमसब को,
बोलता है चीनी थोड़ा कम,
खायें उम्र हो गया है।
और हमसब ने अपनों से,
ही रिश्तों में मिठास,
कम करने लगे।
बिना किसी उम्र के,
उनसे कभी पूछना जो,
चाय बिना चीनी के,
पीते हैं बहुत ही कड़बी,
लगती है बोलेंगे और बहुत,
फीकी वाली पीते हैं।
उनसे भी कभी पूछना,
ज़ो अपनों के साथ रह कर,
अपने नही कहलाते हैं और,
दोनों का एक ही जबाब,
होगा।
जिंदगी बहुत फीकी और,
अधूरी लगती है बिना,
मिठास की,
चीनी कम हो तो कोई बात नही।