सागरिका भी ये समझ चुकी थी ,कि राधे शादी करने से इंकार कर चुका था ।पर उसने इंकार क्यों किया था ।ये सब की समझ से परे था ।सागरिका के घर वाले थोड़े परेशान हो उठे ,थे ।क्योंकि सागरिका को तो राधे तस्वीर मे ही पसंद कर चुका था ।फिर......अचानक क्या हुया होगा ?की,वो यु बिना मिले हि रिस्ते से इंकार कर दिया ।।उस रात सब अपने -अपने कमरे मे चले तो जाते है ,पर किसी को चिंता से नींद भी नही आ रही थी । सब अपने कमरे मे बिस्तर पर परे -परे बस उसी बात का जवाब ढूंढ रह। की,आखिर राधे ने ऐन मौके पर इंकार क्यों किया ।इधर सागरिका भी सोचने पर मज़बूर हो गई थी ,कि क्या बात हुई होग? की राधे ने यू इस तरह रिस्ता तोर दिया ,पर कोई जबाब नहीं मिली तो साचते -सोंचते नींद की आगोश मे चाली जाति है ,ये उसे भी पता हि नही चलता फिर सुबह उसकी आँख खुलती है तो वो। झट से उठ कर बैठ जाती है ।और तैयार होने के बाद सबसे पहले वो घर वालों से ये बात करती है ।की वो अपने काम की शुरुआत करना चाहती है ।दरासल सागरिका त्युर्रिजम् की पढ़ाई पूरी कर ट्यूरिस्ट गाइड बन चुकी थी ।और उसके तुरंत बाद ही ,उसका रिश्ता राधे से तय हो गया था ।इस वजह से वो अपने काम की शुरुआत कर हि नही पाई थी ।पर अब जब रिश्ता टूट गया था ,तो वो अपने घर वालों से साफ -साफ कह देती है ,की जब तक दूसरा रिश्ता आएगा तब तक वो अपने काम से जुड़ कर स्वयं को ब्यस्त रखना चाहती है ।घर वाले भी मान जाते है ।की अब् इस बार। तो कोई दूसरा अच्छा रिश्ता मिलने से रहा तो सागरिका की बात उन्हे उचित लगती है ,की अच्छा रिश्ता मिलने मे समय तो लगेगा हि ? तबतक ये स्वयं को अपने काम मे ब्यस्त रखना चाहती है तो ठीक हि है ।इस तरह सागरिका उस दिन से त्युर्रिजम् का काम करने लगती है ।अब तो मानो सागरिका को जीने की एक नई रह मिल गई थी ।वो अक्सर अपने काम के सिल -सिले से अपने घर से बाहर आने-जाने का सफर तय करने लगी थी इस बीच उसकी मुलाक़ात अक्सर जीवा से हो जाया करता था ऐसा कोई दिन नहीं गुज़रा था जिस दिन सागरिका जीवा की बस मे सवार होकर सफर न कर पाई होगी ?