भीड़ अत्यधिक मात्रा मे थी ।फिर भीड़ की हवा -गव से पटा चला शहर मे शिवरात्री की शुभ अवसर पर कोई सेलिब्रेटी आया हुआ था ।इसिलिय लोग उसी सेली ब्रेटी की एक झलक पाने के लिए लोग लाखो की संख्या मे सड़को पर उतर आये थे ।इस उस सेलिब्रेटी की झलक लोगो को रात के डेढ़ बाज़े मिलती है। वो सेली ब्रेटी थी ।विद्या वालन उनकी फ़िल्म आई थी हमारी अधूरी कहानी जिसे प्रमोट करने वो आई हुई थी । सागरिका भी विद्या को देखते ही जीवा से कहती है।अरे जीवा वो देखो वो विद्या जी है ।फिल्म की हीरोइन तो जीवा कहता है ,की क्या हीरोइन यंहा आकर ऐसे भी मिलती है ?शहरों मे ,हमारे गांव मे तो वो कभी भी नही जाती ।तब सागरिका उसे समझती है ।की अरे जीवा ये सेलिब्रेटी लोग बहुत ब्यस्त रहते है ।और इसी ब्यस्तापन के कारण से ये ज्यादा जगहों पर नही आ -जा सकती । और तुमने देखा नही लोग कितनी देर से इनके आने का इंतज़ार कर रहे थे । पड़ ये शायद अभी भी अपने काम मे ही व्यस्त थी ।इसलिए समय पर नही आ पाई वो और शायद ये आती भी नही ज्यादा देर होने पर ।पड़ आज शिवरात्री के त्यौहार पड़ ये अपने फैन से किया वादा कैसे तोड़ सकती थी? इसलिए देर आईं दुरुस्त आईं ।फिर विद्याजी प्रमोशन के बाद चली गईं ।पड़ सड़कों पर जाम का ताँता रात भर चलती रही ।इस वजह से सागरिका और जीवा को उस रात मे उस मंदिर मे ही रुकना पड़ा !यूँ रुकने मे अजीब तो लग रहा था ,पड़ मज़बूरी थी,इसलिए रुकने के सिवा दूसरा कोई रास्ता भी तो नही था ।शायद सागरिका की आँखों मे वो मज़बूरी,वो झीझक पढ़ चुका था जीवा । इसलिए वो सागरीका को उस उलझन से निकलने के लिए ,कहता है ,की मैडमजी मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नही है आपको !और हाँ अगर आपको। फिर भी डर लग रहा है ,की मै इतनी खूबसूरत लड़की को अकेले देख कर बिगड़ या बहक गया तो?आप बिल्कुल सही सोंच रही हैं मैडमजी मै वाकई मे इतनी खूबसूरत लडकी को अपने इतने पास देख कर बहक गया हुं ।इसलिए सुधरने के लिए आज मै पूरी रात। सोने वाला नही हुं बस आपसे बाते ही करता रहूंगा?की शायद मै सुधर जाऊंगा ?जीवा की ये बाते सुनकर सागरिका उसकी ओर मुस्कुराकर देखती है ।मानो वो निश्चीत हो गई थी ।और इस बेफिक्री को भी ।जीवा भांप गया था । और इस बेफिक्री की मुस्कान से जीवा भी अछूता नही रह सका ,वो भी मुस्कुरा उठा था । और उस मुस्कुराहट को खिल- खिलाहट मे बदलने के लिए जीवा और भी अग्रसर हो चला था। वो अपनी बाते करते-करते भगवान् पे चढ़ाया गया प्रसाद उठा कर अपनी मुंह मे डालकर खाने लगता।है । और सागरिका से कहता है ।मज़बूरी !मज़बूरी मैडमजी मज़बूरी इंसान् से क्या नही करवात ? अब देखिये न मज़बूरी बस हि तो आप अकेले इस मंदिर मे पराये .... वो अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही ।सागरिका उसे डांटते हुए ये क्या किया तुमने ?भगवान् के घर चोरी! तब जीवा कहता है ये चोरी नही है ,मैडमजी ये मेरा समर्पण है ।भगवान् के प्रती की वो ही एक करता है । हाँ मैडमजी मै सच कह रहा हुँ इस संसार मे जो कुछ भी है ,ये सब इन्ही का तो है । करतुम -अकड़तुम सर्व -सामर्थ सब् मे ईस्वर है ।वही हमारे पहले मात-पिता है ।और मुझे नही लगता की कोइ भी माता -पिता अपने बच्चों को भूखा सोते देखना चाहता हेगा ? इसलिए आप निश्चित होकर प्रसाद खाइये ये कहते हुए जीवा चढ़ावे मे पड़ा प्रसाद उसकी हांथो मे भी रख देता है ।और सागरिका भी आज भक्त और भगवान् के रिश्ते को समझ चुकी थी ।इसलिए वो प्रसाद खा लेती है । और उसे खाते देख कर जीवा को मानो तृप्ती सी मिल गया था । वो शहर की शोरगुल अधसूनी आवाज़े और मंदिर का सुनापन उस रात मानो खत्म हि नही हो रहे थे ।इस लिए वो दोनो उस रात को काटने के लिए आपस मे बाते किये जा रहे थे । जीवा कहता है ,की मैडमजी अगर आपको ठीक लगे ,तो क्या आप अगले रविवार को मेरे साथ ओ नही मेरे साथ नही मुझे विद्या जी की फ़िल्म दिखाने चलेंगी ? वो मै कब से सोंच रहा था ,की शहर आकर फ़िल्म देखूंगा पड़ ......वो अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही ।सागरिका मानो वो उसकी बात कहे बिना ही भांप गई हो सो उसने कहा बिल्कुल उसे वो फील्म् दिखाएगी ? फिर बातो -बातो मे जीवा मैडम जी आज आपने भगवान् से क्या माँगा ?तब सागरिका उसकी खिचाई करते हुए क्यों तुम्हे नही पता ,की आज के दिन लड़कियां अपने लिए भगवान् से क्या मांगती है? तब जीवा जी मै जानता हुं की आज के दिन लड़कियां अपने लिए उत्तम वर की कामना करती है । तब सागरिका उसकी ओर सांवलियत भरी निगाहो से देखती है ।और जीवा उसका सवाल पढ़ चुका था ।की जब उसे पता हि था तो वो उससे क्यों पूछ रहा था?तब जीवा उससे पूछता है ,की ये तो पता है ,की सभी अपने लिए अच्छा पती ही चाहती है । पर एक अच्छा पती मे क्या -क्या गुण होना चाहीये उसने अपने मन की बात उसके सामने रख दिया तो सागरिका भी उसका जवाव देती है ।की पति को रामजी जैसा होना चाहिये जो अपनी पत्नी के अलवा अगर किसी दूसरी स्त्री को देखे तो अपनी मां, बहन,बेटी के रूप मे देखे । और अपनी पत्नी की रक्षा करने की क्षमता रखता हो ।मुझे तो रामजी जैसा पती हि पसंद है । फिर बाते करते -करते वो दोनो कब नींद की आगोश मे समा गये ये उन्हे भी पता नही चला । सुबह जब पूजारी जी मंदिर की सफाई के लिए आते है ,तो उनकी नज़र सबसे पहले उन दोनो पड़ पड़ती है ।पुजारी जी घंटी मे नई रस्सी लगा कर तन्न टन कर उनकी नींद्रा को तोड़ते है ।और उनकी ओर सवालियत भरी नज़रो से घुराते है ।इससे पहले की पूजारी जी उनसे कुछ पूछ पाते ?सागरिका सारी बातें पूजारीजी को बता देती है ,की किस करण बस वो मंदिर मे रुके हुए थे ।