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ऐसा प्यार ।

15 अगस्त 2023

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भीड़ अत्यधिक मात्रा मे थी ।फिर भीड़ की हवा -गव से पटा चला शहर मे शिवरात्री की शुभ अवसर पर कोई सेलिब्रेटी आया हुआ था ।इसिलिय  लोग उसी सेली ब्रेटी की एक झलक पाने के लिए लोग  लाखो की संख्या मे  सड़को पर उतर आये थे ।इस उस सेलिब्रेटी की झलक  लोगो  को रात के डेढ़ बाज़े मिलती है। वो सेली ब्रेटी थी ।विद्या वालन  उनकी फ़िल्म आई थी हमारी अधूरी कहानी जिसे प्रमोट करने  वो आई हुई थी । सागरिका  भी विद्या को देखते ही जीवा से कहती है।अरे जीवा वो देखो  वो विद्या जी है ।फिल्म की हीरोइन  तो जीवा  कहता है ,की क्या हीरोइन यंहा आकर ऐसे भी मिलती है ?शहरों मे ,हमारे गांव मे तो वो कभी भी नही जाती ।तब सागरिका उसे समझती है ।की अरे जीवा   ये सेलिब्रेटी लोग बहुत ब्यस्त रहते है ।और   इसी    ब्यस्तापन के कारण से     ये ज्यादा  जगहों पर नही आ -जा सकती । और तुमने देखा नही लोग  कितनी देर से इनके आने  का इंतज़ार कर रहे थे । पड़ ये  शायद अभी भी अपने काम मे ही व्यस्त  थी ।इसलिए  समय पर नही आ पाई  वो  और शायद ये आती भी  नही ज्यादा देर होने पर ।पड़ आज शिवरात्री के त्यौहार पड़  ये अपने फैन से किया वादा कैसे तोड़ सकती थी? इसलिए देर आईं दुरुस्त आईं ।फिर विद्याजी प्रमोशन के बाद चली गईं ।पड़   सड़कों पर जाम का ताँता रात भर चलती रही ।इस वजह से सागरिका और जीवा को उस रात मे उस मंदिर मे ही रुकना पड़ा !यूँ  रुकने मे अजीब तो लग रहा था ,पड़ मज़बूरी थी,इसलिए रुकने के सिवा दूसरा कोई रास्ता भी तो नही था ।शायद सागरिका की आँखों मे  वो मज़बूरी,वो झीझक पढ़  चुका था जीवा । इसलिए वो सागरीका को उस उलझन से निकलने के लिए ,कहता है ,की मैडमजी मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नही है  आपको !और हाँ अगर आपको। फिर भी डर लग रहा है ,की मै इतनी खूबसूरत  लड़की को अकेले देख कर बिगड़ या बहक गया तो?आप बिल्कुल सही सोंच रही हैं मैडमजी मै वाकई मे इतनी खूबसूरत लडकी को अपने इतने पास देख कर बहक गया हुं ।इसलिए सुधरने के लिए आज मै पूरी रात। सोने वाला नही हुं            बस आपसे बाते ही करता रहूंगा?की शायद मै सुधर जाऊंगा ?जीवा की ये बाते सुनकर सागरिका उसकी ओर मुस्कुराकर देखती है ।मानो वो  निश्चीत हो गई थी ।और इस बेफिक्री को भी ।जीवा भांप गया था । और इस बेफिक्री की मुस्कान से जीवा भी अछूता नही रह सका ,वो भी मुस्कुरा उठा था ।  और उस मुस्कुराहट को खिल- खिलाहट मे बदलने के लिए जीवा और भी अग्रसर हो चला था। वो अपनी बाते करते-करते भगवान् पे चढ़ाया गया प्रसाद उठा कर अपनी मुंह मे  डालकर खाने लगता।है । और सागरिका से कहता है ।मज़बूरी  !मज़बूरी मैडमजी  मज़बूरी इंसान्  से क्या नही करवात ? अब देखिये न मज़बूरी बस हि तो आप अकेले इस मंदिर मे पराये ....  वो अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही ।सागरिका उसे डांटते          हुए ये क्या किया तुमने ?भगवान् के  घर चोरी! तब जीवा कहता है  ये चोरी नही है ,मैडमजी  ये मेरा समर्पण है ।भगवान् के प्रती  की वो ही एक करता है ।   हाँ मैडमजी मै सच कह रहा हुँ इस संसार मे जो कुछ भी है ,ये सब इन्ही का तो है ।    करतुम        -अकड़तुम सर्व -सामर्थ सब् मे ईस्वर है  ।वही हमारे पहले मात-पिता है ।और मुझे नही लगता की कोइ भी  माता -पिता अपने बच्चों  को भूखा सोते देखना  चाहता हेगा ?  इसलिए आप  निश्चित होकर प्रसाद खाइये  ये कहते हुए जीवा चढ़ावे मे पड़ा प्रसाद उसकी हांथो मे भी रख देता है ।और सागरिका भी आज भक्त और भगवान् के रिश्ते को  समझ चुकी थी ।इसलिए वो प्रसाद खा लेती है ।  और उसे खाते देख कर जीवा को मानो   तृप्ती सी मिल गया था । वो शहर की शोरगुल अधसूनी  आवाज़े और मंदिर का सुनापन उस रात मानो खत्म हि नही हो रहे थे ।इस लिए वो  दोनो उस रात  को  काटने  के लिए  आपस मे बाते किये जा रहे थे । जीवा कहता है ,की मैडमजी अगर आपको ठीक लगे ,तो क्या आप   अगले   रविवार को              मेरे साथ ओ नही मेरे साथ नही मुझे विद्या जी की फ़िल्म दिखाने चलेंगी ?  वो मै कब से सोंच रहा था ,की शहर आकर फ़िल्म देखूंगा पड़  ......वो अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही ।सागरिका मानो वो उसकी बात कहे बिना ही भांप गई हो सो उसने कहा बिल्कुल  उसे वो फील्म् दिखाएगी ? फिर बातो -बातो मे जीवा मैडम जी आज आपने भगवान् से क्या माँगा ?तब सागरिका उसकी खिचाई करते हुए क्यों तुम्हे नही पता ,की आज के दिन लड़कियां अपने लिए भगवान् से क्या मांगती है? तब जीवा जी मै जानता हुं की आज के दिन लड़कियां अपने लिए उत्तम वर की कामना करती है । तब सागरिका उसकी ओर सांवलियत भरी निगाहो से देखती है ।और जीवा उसका सवाल पढ़ चुका था ।की जब उसे पता हि था तो वो उससे क्यों पूछ रहा था?तब जीवा उससे पूछता है ,की ये तो पता है ,की सभी अपने लिए अच्छा पती ही चाहती है । पर एक अच्छा पती मे क्या -क्या गुण होना चाहीये उसने अपने मन की बात उसके सामने रख दिया तो सागरिका  भी उसका जवाव देती है ।की पति को  रामजी जैसा होना चाहिये जो अपनी पत्नी के अलवा अगर किसी दूसरी स्त्री को देखे तो अपनी मां, बहन,बेटी के रूप मे देखे । और अपनी पत्नी की रक्षा करने की क्षमता रखता हो ।मुझे तो रामजी जैसा पती हि पसंद है ।  फिर बाते करते -करते वो दोनो कब नींद की आगोश मे समा गये    ये उन्हे भी पता नही चला ।   सुबह जब पूजारी जी मंदिर  की सफाई के लिए आते है ,तो  उनकी नज़र सबसे पहले उन दोनो पड़  पड़ती है ।पुजारी जी घंटी मे नई रस्सी लगा कर  तन्न टन  कर उनकी नींद्रा को तोड़ते है ।और उनकी ओर सवालियत भरी नज़रो से घुराते है ।इससे पहले की पूजारी जी  उनसे  कुछ पूछ पाते ?सागरिका  सारी बातें पूजारीजी को बता देती है ,की किस करण बस वो मंदिर मे रुके हुए थे ।
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रचनाएँ
ऐसा प्यार
5.0
सागरिका ,उस दिन अपने होने वाले पति से पहली बार मिलने ,के,लिए जा रही थी।शायद वो थोड़ी लेट हो चुकी थी। सुबह का समय था। बारिसो का सीजन चल रहा था। कुल मिलाकर उस दिन मौसम सुहाना सा था।सागरिका जब घर से निकली ही थी,की , हलकी हवाएं और बारिसो की बुंदे भी अपने घर से मानो चल ही परे थे।सागरिका उन बूंदो से बचने के लिए तेज कदमो के साथ सरको पर चल परी थी।पर वो कहावत तो सुनी होगी आपने की तुम डाल -डाल तो हम पात-पात् यही उसके साथ भी हो ,रहा था।जैसे -जैसे उसके कदमो की चाल तेज होती जा रही थी ,ठीक वैसे -वैसे ही हवाएं और बूंदो की। च।ल भी बढ़ती ही जा रही थी। इसी होर की आपा -धापी मे वो सरक पर पहुंच कर बस का इंतजार करने लगी थी।वो तो रुक चुकी थी ,पर हवाएं और बारिसे की बुंदे तो और भी तेज हो चुकी थी।हवा कीत तेज झोंको ने उसकी छतरी को दूर जा उराया था। छतरी के उरते ही बूंदो ने उसे भींगा दिया था। अब तो उसकी नजरें मानो आति-जाती गरियों के रुकने का इंतज़ार करने लगी जो ,की पहले से ही भरी रहने के कारण रुकने का नाम भी नही ले रही थी ।फिर एक बस आती दिखी तो सागरिका ने बस को रुकने का इशारा किया ।मगर ये बस भी आगे निकल गई थी ।वो बस खुली आँखो ,बस को जाति देखती रह गई की,तभी उसके कानो मे एक आवाज गुंजी,वोआवाज जीवा की थी।वो बस अभी भी धीमी गति से बढ़ी जा रही थी।जीवा ने आवाज दिया अरे ओ मैडमजी जल्दी आइये वरना आधी तो आप पहले से हि भीगी हुई है।बाकी आधा फिर से भीगने का इरादा है क्या ?,जल्दी आइये सागरिका उसकी बस की ओर लपकी ,मगर वो चढ़ने मे संकोच। कर रही थी।जीवा ने फिर कहा अरे मैडमजी गरी धीमी है ,इसलिए आप चढ़ सकती है।इतना विश्वाश रखिये आपको गिरने नही देंगे हम।इतना कहते हुए वो एक हाथ से उसके हाथ से गुलाब के फूलो का गुच्छा लेते हुए दूसरे हाथ उसे1 उसे बस मे खींच लेता है।बस मे तिल तस्कने भर की भी जगह नही थी। सागरिका हैरंगी भरी नजरों से उसे चिढ़ते हुए देखने लगी ।वो फूल जो उसने ले लिया था ,इसलिए वो उसे गुस्से से देख रही थी।पर दूसरे ही पल वो उसे समझ गई थी की। उसे ये तक पता नही था ।की गुलाब का फूल किसे और क्यों दिया जाता है। उसके भोलेपन सेही ये लग रहा था ,की वो किसी गाँव् से शहर आया था। ।वो सागरिका को फूल वापस कर चुका था ।जीवा मे एक अज़ब ही फूरती थी ।शायद ये उसकी काम की शर्ते थी। बस अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी ।
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ऐसा प्यार ।

25 जुलाई 2023
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जिसकी मंजिल आती गई वो

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ऐसा प्यार ।

28 जुलाई 2023
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और जिसकी मंजिल जहा आ जाती वो ,,वही बस से उतराता चला जाता ।

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ऐसा प्यार।

28 जुलाई 2023
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तो, रास्ते मे कुछ नए लोग फिर से अपनी मंजिल की ओर जाने के लिए चढ़ जाते ।और जीवा इन्ही नए - पुराने मुसफिरो के बीच शायद अपनी भी मंजिल बना चुका था ,की वो उन मुसफिरो को उनकी मंजिल तक पहुँच

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ऐसा प्यार।

2 अगस्त 2023
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क्योंकी जब भिसागरिका जीवा की आँखों मे देखती तो जीवा अपनी नज़रो को झेपकर् हटा लेता और,इसलिए वो,बार-बार् जीवा की ओर देखती थी ।जीवा की ओर सागरिका का बार - बार देखने का करण था सागरिका ये ,इमैजिन&nbsp

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ऐसा प्यार

2 अगस्त 2023
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उन बूंदो की छीते मूह् को छु कर गुज़र जाती ।भींगते रस्ते- झूमत पेड़ो की डालिया उन रहो से गुज़रते कुछ भीन्गते रह गुज़र उनमे से कुछ रह गुज़रो के हांथो मे छतरी थी ।तो, वो अपनी मंजिल क ओ

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ऐसा प्यार ।

3 अगस्त 2023
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जगह जगह पर मकई के भुट्टे हरी मिर्च और नमक के साथ अपनी दुकान लगा कर बेच रहे थे ।एक हलवाई की दुकान पर चाय की केतली मे से चाय की ढेर सारी भाँपे एक साथ निकल रही थी ।और उस दुकान मे रेडियो

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ऐसा प्यार।

3 अगस्त 2023
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ऐसे टूट परा था ।मानो इस मौसम के आने का मज़ा तो उन जलेबियों और कचौड़यो के खाने के बाद दुगना हो गया होगा ? सागरिका ये सब देखती हुई थक ही नही रही थी । सागरिका, शायद;उन नज़ारो

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ऐसा प्यार ।

4 अगस्त 2023
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तो दोनो एक दूसरे को पहचान लेते और, की ये तो सुबह की हि बस वाला है। और जीवा भी सागरिका से भले ही न कह पाया था,की ये तो सुबह वाली मैडम जी ही है।पर उसकी आँखों&nb

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ऐसा प्यार

5 अगस्त 2023
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पर बिना कुछ बोले हि सागरिका बस मे चढ़ कर सीधेअपने घर जाकर घर वालो से कहती है ,की राधे मिलने आया हि ,नहीं था। सरे घर वाले उसकी बात सुन कर उसकी ओर आश्चर्य से उसकी ओर देखते है ।मानो वो ये सुनना नही

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ऐसा प्यार

6 अगस्त 2023
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सागरिका भी ये समझ चुकी थी ,कि राधे शादी करने से इंकार कर चुका था ।पर उसने इंकार क्यों किया था ।ये सब की समझ से परे था ।

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ऐसा प्यार।

7 अगस्त 2023
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और किसी दिन काम पर जाते समय उसकी बस नहीं भी मिलती तो जाते वक़्त मिल हि जाती थी ।इस तरह उन दोनो की मुलाक़ात रोज़ हो जाया करती थी। फिर दोनो एक दूसरे को जानने और पहचानने लगे थे ।ये पहचान धीरे -धीरे दोस्ती क

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ऐसा प्यार ।

10 अगस्त 2023
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अगर आप पूजा करने आई हैँ तो यहाँ सीढ़ियों पर बैठ कर क्या कर रही है ? लगता है आप ये दर्शन के लिये लाइन मे लगे लोगो की भीड़ देखकर यंहा बैठ गई है क्या ?तो ये भीड़ त

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ऐसा प्यार ।

11 अगस्त 2023
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पर शायद वो भी मेरी किस्मत को मंजूर नहीं । तब जीवा कहता है की, क्या बात हुई है मैडमजी आप साफ -साफ कहिये न कहता है सागरिका कहती है की मै ट्यूरिस्ट गाइड का काम करती हुँ और मेरा आइडेंटी

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ऐसा प्यार ।

12 अगस्त 2023
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फिर। घर पहुँच कर सागरिका खाना खाने के बाद अपने कमरे। मे जल्दी सोने के लिए चली जाती है । बिस्तर पर पहुंचते ही वो जल्द ही नींद की असगोश मे समा जाती है । फिर सुबह जब वो ब

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ऐसा प्यार ।

13 अगस्त 2023
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मंदिर प्रांगण मे संयोग वस बेलवपत्र का छोटा सा वृक्ष लगा था ।सागरिका स्नान करने के बाद वेलवपत्र के पत्ते तोड़कर जल भरने के लिए पात्र खोजने लगी ।मगर आस-पास् कोई पात्र नही

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ऐसा प्यार ।

15 अगस्त 2023
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भीड़ अत्यधिक मात्रा मे थी ।फिर भीड़ की हवा -गव से पटा चला शहर मे शिवरात्री की शुभ अवसर पर कोई सेलिब्रेटी आया हुआ था ।इसिलिय लोग उसी सेली ब्रेटी की एक झलक पाने के लिए लोग लाखो की संख्या मे&nb

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ऐसा प्यार ।

17 अगस्त 2023
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वहाँ से निकलने के बाद सागरिका अपने घर चली जाती है ।और जीवा अपने काम पड़ ।सागरिका के घर जाते ही सारे घर वालो के चहरे पर एक ही सवाल नज़र आ रहे थे&nbsp

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ऐसा प्यार ।

20 अगस्त 2023
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रात की हर पहर बीतने के बाद वो खिड़की से आसमान की ओर देखने लगी चांद अभी भी चमक रहा था ।शायद रात्री की अखाड़ी पहर अभी शेष थी । चांद की चमक मे मानो सागरिका को सब कुछ नज़र आने लगा था ।वो इस अहसास

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ऐसा प्यार ।

21 अगस्त 2023
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सुबह हो चुकी थी । सागरिका एक नये उत्साह के साथ घर से निकल चुकी थी ।और बस स्टॉप पर पहुँचते ही उसकी नज़र जीवा को ढूंढने लगी ।पड़ जीवा आज बस मे था ,ही नही ।सागरिका निराश होकर अपने काम पर चली ग

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ऐसा प्यार ।

30 अगस्त 2023
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पड़ आपका क्या कहना है ?क्या आप आज भी जो गलत। भी गलत फैमी हुई है ,उसे भुला कर एक बार फिर से मुझे अपनाना चाहेंगी ? सागरिका उसकी बातो का कोई जाबब नहीं देती ।वो उसकी ओर देख कर

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ऐसा प्यार ।

31 अगस्त 2023
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सागरिका खामोश रही ।मानो वो स्वीकार कर चुकी थी ,की चांद उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी ।फिर राधे वैसे मै तो आज बहुत खुश हुं, सो अपनी खुशियाँ बांटने आया था ।और आप क्या करने आई थी?सागरिका का दिल तो रो रह

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ऐसा प्यार ।

2 सितम्बर 2023
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सागरिका ने राधे से प्रेम तो नहीं किया ,पड़ वो उसे अपने भाग्य की लेखनी मान कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेती है ।पड़ वो जिस रिश्ते मे राधे के साथ बंधी थी ।वो रिश्ता निभाने तक तो ठीक था ।पड़ उस रिश्ते को

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ऐसा प्यार ।

11 सितम्बर 2023
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ये कहता है की इसके बारे मे उसे ज्यादा तो नहीं पता बस इसके बारे मे वो इतना हि बता सकता है, की जीवन नाम का कोई लड़का था ,जिसे चित्र कारी का बड़ा शौक था ।वो जब छोटा था ,तभी वो नानाजी से चित्र कारी सी

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ऐसा प्यार ।

5 अक्टूबर 2023
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जीवन के बारे मे सुनकर सागरिका जीवन को जानने के लिए उत्सुक हो जाती है ।जब वो दोनो घर पहुँचते है ,तब नानाजी को देखते ही सागरिका उनसे जीवन के बारे मे पूछ पाती? ,उससे पहले ही ,नानाजी बेटी कल जन्माष्टमी है

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ऐसा प्यार

8 अक्टूबर 2023
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ओओजीवन की जिंदगी से जुड़ी बाते सुनकर सागरिका को गांव वालो के भोले पन को देख कर ऐसा लगता मानो लोग भोले पन का मुखुटा लगा रखे थे । क्योंकि वो जान गई थी ,की जीवन को गांव छोड़ कर बाहर जाने

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ऐसा प्यार

10 अक्टूबर 2023
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पड़ आज उसी बक्त की आँख -मीचौली की वजह से जीवा एक बार फिर। से सागरिका की आँखों के सामने जीवन के रूप मे आ खड़ा हुआ था ।और जीवा की आँखों मे भी वो प्यार जिसे उसने कभीभी सागरिका से ब्या नही किया था ।वो प्यार

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