अगर आप पूजा करने आई हैँ तो यहाँ सीढ़ियों पर बैठ कर क्या कर रही है ? लगता है आप ये दर्शन के लिये लाइन मे लगे लोगो की भीड़ देखकर यंहा बैठ गई है क्या ?तो ये भीड़ तो ख़त्म होने से रहा !मैडमजी अगर आपको पूजा करनी है तो लाइन मे तो लगना ही परेगा ?मैडमजी !जीवा ये बाते कह कर कहता है ,की अ मै तो यहाँ पूजा करने हि आया था ।वो आज मेरे बस् का जन्म दिन है न मैडमजी । आप भी सोंचती होंगी ,की बस का भी जन्मदिन होता है क्या ?पर आपको एक बात बता दूँ मैडम जी,की हमारे गांव मे भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन बरे धूम -धाम से मनाया जाता है। भला ! ये बात किसको पता नही उनका जन्मोत्सव तो पूरे भारत बर्ष मे मनाया जाता हैँ न मैडमजी पर हमारे गाँव मे तो अगर !-नंदनीभी अपने बछरे को जन्म देती,तो उसका जन्मदीन् भी हम सारे गांव वाले मनाते है ।अब आप समझी नहीं ,की नंदनी कौन है तो आपको बता दूँ की ,नंदनी हमारी गाय का नाम है ।तो भला यहां कैसे मै अपनी उन राहों को छोड़ देता जीनपर मै वर्षों से चलता आया हुं ।वो दरसल आज हि के दिन हमारी धन्नो का जन्म हुआ था वो धन्नो आज हि के दिन नई -नवेली पहली बार आई थी ।वो धन्नो को आप नही जानती मैडमजी !वही तो रोज़ आपको अपनी गोद मे बिठाकर आपको औफ़िस के लिए ले जाती है ।और आप धन्नो को नहीं पहचानती !खैर ये सब छोड़िये मै तो चला लाइन मे खड़ा होने आपको भी चलना है तो चलिए ,वरना आप बैठी रह जाओगी पूरे दिन ,पर ये लाइन तो ख़त्म होने से रही ।मैडमजी!जीवा के इतना बोलते ही सागरिका उसकी ओर डब डबाइ आँखों से देखते हुए बोली तुम ठीक कह रहे हो जीवा मै पूरे दिन भी बैठी रही तो शायद...... मेरी आवाज़ भगवान के कानो तक नहीं पहुँच पाएगी ?सागरिका की ये बात सुनते ही जीवा भी सीढ़ियों पर ही बैठ जाता है ।और वो सागरिका की ओर देखते हुए क्या बात है मैडमजी आप बहुत परेशान दिख रही है ?सब ठीक तो है न!आपके साथ कुछ हुआ है क्या ? अगर आप चाहे तो मुझसे बात कर सकती है । मैडमजी शायद मै कुछ कर सकूँ आपके लिए और अगर कुछ नही भी कर सका तो बात करने से आपका मन हलका हो जायेगा मैडमजी । तब सागरिका आकुल सी होकर बोल पड़ती है ,की कितनी मुश्किल से स्वयं को संभाल पाई थी ।और जीने के लिए एक मात्र सहारा अपने कैरियर को बनाया था ।पर शायद ...