वहाँ से निकलने के बाद सागरिका अपने घर चली जाती है ।और जीवा अपने काम पड़ ।सागरिका के घर जाते ही सारे घर वालो के चहरे पर एक ही सवाल नज़र आ रहे थे और वो सवाल था ,आखिर रात भर वो कहा थी ? ।सागरिका भी उन चेहरो को पढ़ते ही उनको सारी बाते बता देती है । सागरिका का जवाव सुनते ही घर वालों को राहत मिल जाती है । और वो संतुष्ट होकर
अपने -अपने काम मे लग जाते है ।समय अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था ।और वो दिन भी आगया जब् सागरिका जीवा को फिल्म दिखाने ले जाती है । फिल्म ख़त्म होने के बाद फिल्म का फितुर् लिए दोनो सिनेमा घर से बाहर आते है ।और घर लौटते -लौटते सागरिका का फितूर उतर चुका था ।पड़ जीवा। के ऊपर तो फिल्म के। एक दृश्य का ऐसा फितूर चढ़ा की वो तो उतरने का नाम ही नही ले रहा था ।वो फितूर था । सागरिका के हि जीवन के खूबसूरत लम्हो को तस्वीरो मे पिरोने की ।दरासल फिल्म के एक दृश्य के दौरान अभिनेता अभिनेत्री को उपहार मे एक मोबाइल भेंट करता है ।तो उस मोबाइल में अभी नेत्री सबसे पहले अपनी सेल्फी वाली तस्वीर अभिनेता को भेजती है ।और ये दृश्य ही जीवा का फितूर बन चुका था । जीवा को जब रात मे खाना खाने के बाद जो समय मिलता उसी समय मे उसने उन तस्वीरों को स्तित्व दिया ।पेंटिंग तैयार होते ।ही वो रविवार की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा ।और वो सुबह भी आ ही गया था ।जब जीवा सागरिका को वो पेंटिग उपहार स्वरूप भेट करता है। तो सागरिका भी ,उस उपहार को देखने के लिए बेचैन हो उठती है ।तब जीवा उससे कहता है ,की इतनी जल्दी भी क्या है मैडमजी ?आप घर जाकर इसे देखिएगा ?अब तो सागरिका की बेचैनी और भी बढ़ गई थी । आखिर इसमे क्या हो सकता है ?खैर जो भी हो उसने जैसे-तैसे अपने मन पड़ काबू पाया । और जीवा को शहर घुमाने के बाद वो जल्द से- जल्द घर पहुंच जाना चाहती थी ।फिर शाम को घर लौट कर वो जल्दी अपने कमरे मे गई और बड़ी उत्सुकता के साथ उसने उपहार खोला तो उसे देखत ही वो दीवानी हो गई खुशी इस कदर उसपर हावी हो गया था,की वो तो स्वयंम से ही बाते करने लगी थी ,की वाकई मे वो इतनी खूब सूरत थी ,की जीवा की कलाकारी ने ही उसे खूबसूरत बना दिया था। क्या यादास्त थी ?जीवा की ,जिस दिन से उसकी पहली मुलाक़ात सागरिका से हुई थी ।उस दीन् से अबतक के सारे खूबसूरत लम्हो को तस्वीर मे पिरोया था उसने । उस रात सागरिका को नींद ही नही आ रहा था । वो स्वंम से ही जीवा की बाते करती तो कभी पेंटिंग को देख कर मुस्कुरा कर ओत -प्रोत हो उठती ।सारी रात वो अपने बिस्तर पड़ पड़ी -पड़ी मुस्कुराती और उन। बीती पल् को महसूस करने मे ही रात की हर पहर बीत गई ।