- तो, रास्ते मे कुछ नए लोग फिर से अपनी मंजिल की ओर जाने के लिए चढ़ जाते ।और जीवा इन्ही नए - पुराने मुसफिरो के बीच शायद अपनी भी मंजिल बना चुका था ,की वो उन मुसफिरो को उनकी मंजिल तक पहुँचता रहेगा? (सागरिका बहुत शर्मिली थी ।और शर्मिली भी इतनी की ,शायद हि अपने जीवन मे वो किसी लड़के के चेहरे पर देख पाई होगी ,अपने शर्मिलेपन के करण हि वो अपने होने वाले पति से मिलना नही चाहती थी ।1वो फोटो जो दिखा चुकी थी।उसका होने वाला पति हि उससे मिलना चाहता था ।) पर आज पहली बार उसने हिम्मत करके जीवा को सामने से देखा जीवा वो,पहला लड़का था, जिसे सागरिका ने नज़र उठा कर देखा था। और फिर उस दिन सागरिका के अंदर एक नई हिम्मत आई ।उसने ये जाना की, सिर्फ वही शर्मीली नही है ,इस दुनिया मे ,या फिर लड़किया हि नहीं लड़के भी शर्मीले हो सकते है।