shabd-logo

ऐसा प्यार ।

2 सितम्बर 2023

9 बार देखा गया 9
सागरिका ने राधे से प्रेम तो नहीं किया ,पड़ वो उसे अपने भाग्य की लेखनी मान कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेती है ।पड़ वो जिस रिश्ते मे राधे के साथ बंधी थी ।वो रिश्ता निभाने तक तो ठीक था ।पड़ उस रिश्ते को सही मायनो मे चरितार्थ करने मे वो स्वयंम को असमर्थ पाने लगी थी ।वो जानती थी ,की जो कुछ भी हुआ ,उसमे राधे का कोई दोष नहीं था। शायद जीवा का प्यार उसके भाग्य मे था हीं नहीं ।इसलिए तो राधे उसके जीवन मे लौट आया था। सागरिका राधे के साथ हर उस रिश्ते को ईमानदारी पूर्वक निभाती ,की जिससे उसके और राधे के रिश्ते को एक पति-पत्नी का सही रिश्ता माना जा सके ।पर राधे को भी ये अहसास हो चुका था ,जब शादी की पहली रात को जब वो उसके करीब आना चाहा तो वो उसे सौंप तो चुकी थी ,पड़ वो खुशी उसके चहरे पर नज़र नही आया जो एक लड़की के दिल मे  अपने पति को समर्पण करने मे होती है ।उसकी उदासी ने राधे को करीब आने हीं नही दिया ।राधे को शायद ये अहसास था ,की सागरिका को  वो अपने साथ अधूरी सी पाता है ।पड़ वो भी तो अपने दिल के हांथो मज़बूर था ।क्योंकि सागरिका के अलावा किसी लड़की पड़ उसका दिल ठहरा हीं नही ,इसलिए तो वो उसे पाने के लिए उससे शादी कर लेता है । उसने भी ये तय कर लिया था ,की वो एक न एक दिन सागरिका के दिल को जीत कर हीं रहेगा ?और इसकी शुरुआत उसने अपने और सागरिका के रिश्ते को समय देना उचित समझा ।इसलिए वो सागरिका के घर वालो से उसके पसंद -नापसंद के बारे मे पता करके उसे उसके पसंद के अनुसार अपने नानाजी से मिलाने के बहाने गांव लेजाता है ।   जब राधे और सागरिका गांव जाते है ,तो सागरिका को राधे के नानाजी से मिलकर बहुत खुशी मिलती है।  सागरिका को भी गांव खूब भाने लगा था ,उसे गांव् वालो से मिलकर बहुत अच्छा लगता ।गांव की आवो -हवा ने सागरिका को एक बार फिर से जीवा की याद दिला दी ।एक दिन जब वो गांव की सैर कर रहे थे तब सागरिका की नज़र एक नेम प्लेट पर गया जिसमे लिखा था जीवन कला मंदिर उसने उसके बारे मे पूछा तो ,राधे ने बताया ये गांव के गरीब बच्चों के सपनो और अरमानो का मदिर है ,जिसे उसी के नानाजी   ने   हीं   ने सजाया है ।उसने बतया ये दरअसल ।
 नानाजी  कॉलेज के चित्रकारी शिक्षक रह चुके है ।सो रिटायर्मेंट के बाद       अपनी खुशी के लिए उन्होंने गरीब बच्चों की सपनो मे पंख लागने का सपना बच्चों।  के     लिए  बुना है ।ये कहते हुए राधे सागरिका को जीवन कला मदीर के अंदर बच्चों से मिलवाने लिए  लेकर चला आता है । बच्चों की चित्र कारी ने तो ।    सागरिका      को मानो जीवा के ही दर्शन  करा दिया था ।वो उन बच्चों मे जीवा को ढूंढने लगी थी ।वो आकुल सी हो बैठी थी ।उसे लग रहा था की शायद जीवा उसके बहुत पास है ।यही-कही आस-पास्  पड़ वो उदास हो गई की ये उसका बहम है ।जीवा यंहा कैसे हो सकता है? इसमे तो।   छोटे -     छोटे बच्चे कला सीख  रहे थे 
      राधे जीवन कला मंदिर की बाते बताते हुए 
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

3 सितम्बर 2023

26
रचनाएँ
ऐसा प्यार
5.0
सागरिका ,उस दिन अपने होने वाले पति से पहली बार मिलने ,के,लिए जा रही थी।शायद वो थोड़ी लेट हो चुकी थी। सुबह का समय था। बारिसो का सीजन चल रहा था। कुल मिलाकर उस दिन मौसम सुहाना सा था।सागरिका जब घर से निकली ही थी,की , हलकी हवाएं और बारिसो की बुंदे भी अपने घर से मानो चल ही परे थे।सागरिका उन बूंदो से बचने के लिए तेज कदमो के साथ सरको पर चल परी थी।पर वो कहावत तो सुनी होगी आपने की तुम डाल -डाल तो हम पात-पात् यही उसके साथ भी हो ,रहा था।जैसे -जैसे उसके कदमो की चाल तेज होती जा रही थी ,ठीक वैसे -वैसे ही हवाएं और बूंदो की। च।ल भी बढ़ती ही जा रही थी। इसी होर की आपा -धापी मे वो सरक पर पहुंच कर बस का इंतजार करने लगी थी।वो तो रुक चुकी थी ,पर हवाएं और बारिसे की बुंदे तो और भी तेज हो चुकी थी।हवा कीत तेज झोंको ने उसकी छतरी को दूर जा उराया था। छतरी के उरते ही बूंदो ने उसे भींगा दिया था। अब तो उसकी नजरें मानो आति-जाती गरियों के रुकने का इंतज़ार करने लगी जो ,की पहले से ही भरी रहने के कारण रुकने का नाम भी नही ले रही थी ।फिर एक बस आती दिखी तो सागरिका ने बस को रुकने का इशारा किया ।मगर ये बस भी आगे निकल गई थी ।वो बस खुली आँखो ,बस को जाति देखती रह गई की,तभी उसके कानो मे एक आवाज गुंजी,वोआवाज जीवा की थी।वो बस अभी भी धीमी गति से बढ़ी जा रही थी।जीवा ने आवाज दिया अरे ओ मैडमजी जल्दी आइये वरना आधी तो आप पहले से हि भीगी हुई है।बाकी आधा फिर से भीगने का इरादा है क्या ?,जल्दी आइये सागरिका उसकी बस की ओर लपकी ,मगर वो चढ़ने मे संकोच। कर रही थी।जीवा ने फिर कहा अरे मैडमजी गरी धीमी है ,इसलिए आप चढ़ सकती है।इतना विश्वाश रखिये आपको गिरने नही देंगे हम।इतना कहते हुए वो एक हाथ से उसके हाथ से गुलाब के फूलो का गुच्छा लेते हुए दूसरे हाथ उसे1 उसे बस मे खींच लेता है।बस मे तिल तस्कने भर की भी जगह नही थी। सागरिका हैरंगी भरी नजरों से उसे चिढ़ते हुए देखने लगी ।वो फूल जो उसने ले लिया था ,इसलिए वो उसे गुस्से से देख रही थी।पर दूसरे ही पल वो उसे समझ गई थी की। उसे ये तक पता नही था ।की गुलाब का फूल किसे और क्यों दिया जाता है। उसके भोलेपन सेही ये लग रहा था ,की वो किसी गाँव् से शहर आया था। ।वो सागरिका को फूल वापस कर चुका था ।जीवा मे एक अज़ब ही फूरती थी ।शायद ये उसकी काम की शर्ते थी। बस अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी ।
1

ऐसा प्यार ।

25 जुलाई 2023
12
1
0

जिसकी मंजिल आती गई वो

2

ऐसा प्यार ।

28 जुलाई 2023
7
1
2

और जिसकी मंजिल जहा आ जाती वो ,,वही बस से उतराता चला जाता ।

3

ऐसा प्यार।

28 जुलाई 2023
3
1
1

तो, रास्ते मे कुछ नए लोग फिर से अपनी मंजिल की ओर जाने के लिए चढ़ जाते ।और जीवा इन्ही नए - पुराने मुसफिरो के बीच शायद अपनी भी मंजिल बना चुका था ,की वो उन मुसफिरो को उनकी मंजिल तक पहुँच

4

ऐसा प्यार।

2 अगस्त 2023
3
1
1

क्योंकी जब भिसागरिका जीवा की आँखों मे देखती तो जीवा अपनी नज़रो को झेपकर् हटा लेता और,इसलिए वो,बार-बार् जीवा की ओर देखती थी ।जीवा की ओर सागरिका का बार - बार देखने का करण था सागरिका ये ,इमैजिन&nbsp

5

ऐसा प्यार

2 अगस्त 2023
2
0
0

उन बूंदो की छीते मूह् को छु कर गुज़र जाती ।भींगते रस्ते- झूमत पेड़ो की डालिया उन रहो से गुज़रते कुछ भीन्गते रह गुज़र उनमे से कुछ रह गुज़रो के हांथो मे छतरी थी ।तो, वो अपनी मंजिल क ओ

6

ऐसा प्यार ।

3 अगस्त 2023
2
1
1

जगह जगह पर मकई के भुट्टे हरी मिर्च और नमक के साथ अपनी दुकान लगा कर बेच रहे थे ।एक हलवाई की दुकान पर चाय की केतली मे से चाय की ढेर सारी भाँपे एक साथ निकल रही थी ।और उस दुकान मे रेडियो

7

ऐसा प्यार।

3 अगस्त 2023
2
1
0

ऐसे टूट परा था ।मानो इस मौसम के आने का मज़ा तो उन जलेबियों और कचौड़यो के खाने के बाद दुगना हो गया होगा ? सागरिका ये सब देखती हुई थक ही नही रही थी । सागरिका, शायद;उन नज़ारो

8

ऐसा प्यार ।

4 अगस्त 2023
2
1
0

तो दोनो एक दूसरे को पहचान लेते और, की ये तो सुबह की हि बस वाला है। और जीवा भी सागरिका से भले ही न कह पाया था,की ये तो सुबह वाली मैडम जी ही है।पर उसकी आँखों&nb

9

ऐसा प्यार

5 अगस्त 2023
2
2
0

पर बिना कुछ बोले हि सागरिका बस मे चढ़ कर सीधेअपने घर जाकर घर वालो से कहती है ,की राधे मिलने आया हि ,नहीं था। सरे घर वाले उसकी बात सुन कर उसकी ओर आश्चर्य से उसकी ओर देखते है ।मानो वो ये सुनना नही

10

ऐसा प्यार

6 अगस्त 2023
2
1
0

सागरिका भी ये समझ चुकी थी ,कि राधे शादी करने से इंकार कर चुका था ।पर उसने इंकार क्यों किया था ।ये सब की समझ से परे था ।

11

ऐसा प्यार।

7 अगस्त 2023
4
3
1

और किसी दिन काम पर जाते समय उसकी बस नहीं भी मिलती तो जाते वक़्त मिल हि जाती थी ।इस तरह उन दोनो की मुलाक़ात रोज़ हो जाया करती थी। फिर दोनो एक दूसरे को जानने और पहचानने लगे थे ।ये पहचान धीरे -धीरे दोस्ती क

12

ऐसा प्यार ।

10 अगस्त 2023
2
2
0

अगर आप पूजा करने आई हैँ तो यहाँ सीढ़ियों पर बैठ कर क्या कर रही है ? लगता है आप ये दर्शन के लिये लाइन मे लगे लोगो की भीड़ देखकर यंहा बैठ गई है क्या ?तो ये भीड़ त

13

ऐसा प्यार ।

11 अगस्त 2023
3
2
2

पर शायद वो भी मेरी किस्मत को मंजूर नहीं । तब जीवा कहता है की, क्या बात हुई है मैडमजी आप साफ -साफ कहिये न कहता है सागरिका कहती है की मै ट्यूरिस्ट गाइड का काम करती हुँ और मेरा आइडेंटी

14

ऐसा प्यार ।

12 अगस्त 2023
3
2
1

फिर। घर पहुँच कर सागरिका खाना खाने के बाद अपने कमरे। मे जल्दी सोने के लिए चली जाती है । बिस्तर पर पहुंचते ही वो जल्द ही नींद की असगोश मे समा जाती है । फिर सुबह जब वो ब

15

ऐसा प्यार ।

13 अगस्त 2023
2
1
0

मंदिर प्रांगण मे संयोग वस बेलवपत्र का छोटा सा वृक्ष लगा था ।सागरिका स्नान करने के बाद वेलवपत्र के पत्ते तोड़कर जल भरने के लिए पात्र खोजने लगी ।मगर आस-पास् कोई पात्र नही

16

ऐसा प्यार ।

15 अगस्त 2023
2
1
0

भीड़ अत्यधिक मात्रा मे थी ।फिर भीड़ की हवा -गव से पटा चला शहर मे शिवरात्री की शुभ अवसर पर कोई सेलिब्रेटी आया हुआ था ।इसिलिय लोग उसी सेली ब्रेटी की एक झलक पाने के लिए लोग लाखो की संख्या मे&nb

17

ऐसा प्यार ।

17 अगस्त 2023
3
2
1

वहाँ से निकलने के बाद सागरिका अपने घर चली जाती है ।और जीवा अपने काम पड़ ।सागरिका के घर जाते ही सारे घर वालो के चहरे पर एक ही सवाल नज़र आ रहे थे&nbsp

18

ऐसा प्यार ।

20 अगस्त 2023
2
1
0

रात की हर पहर बीतने के बाद वो खिड़की से आसमान की ओर देखने लगी चांद अभी भी चमक रहा था ।शायद रात्री की अखाड़ी पहर अभी शेष थी । चांद की चमक मे मानो सागरिका को सब कुछ नज़र आने लगा था ।वो इस अहसास

19

ऐसा प्यार ।

21 अगस्त 2023
2
2
0

सुबह हो चुकी थी । सागरिका एक नये उत्साह के साथ घर से निकल चुकी थी ।और बस स्टॉप पर पहुँचते ही उसकी नज़र जीवा को ढूंढने लगी ।पड़ जीवा आज बस मे था ,ही नही ।सागरिका निराश होकर अपने काम पर चली ग

20

ऐसा प्यार ।

30 अगस्त 2023
2
2
1

पड़ आपका क्या कहना है ?क्या आप आज भी जो गलत। भी गलत फैमी हुई है ,उसे भुला कर एक बार फिर से मुझे अपनाना चाहेंगी ? सागरिका उसकी बातो का कोई जाबब नहीं देती ।वो उसकी ओर देख कर

21

ऐसा प्यार ।

31 अगस्त 2023
1
1
0

सागरिका खामोश रही ।मानो वो स्वीकार कर चुकी थी ,की चांद उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी ।फिर राधे वैसे मै तो आज बहुत खुश हुं, सो अपनी खुशियाँ बांटने आया था ।और आप क्या करने आई थी?सागरिका का दिल तो रो रह

22

ऐसा प्यार ।

2 सितम्बर 2023
2
2
1

सागरिका ने राधे से प्रेम तो नहीं किया ,पड़ वो उसे अपने भाग्य की लेखनी मान कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेती है ।पड़ वो जिस रिश्ते मे राधे के साथ बंधी थी ।वो रिश्ता निभाने तक तो ठीक था ।पड़ उस रिश्ते को

23

ऐसा प्यार ।

11 सितम्बर 2023
1
1
0

ये कहता है की इसके बारे मे उसे ज्यादा तो नहीं पता बस इसके बारे मे वो इतना हि बता सकता है, की जीवन नाम का कोई लड़का था ,जिसे चित्र कारी का बड़ा शौक था ।वो जब छोटा था ,तभी वो नानाजी से चित्र कारी सी

24

ऐसा प्यार ।

5 अक्टूबर 2023
1
1
1

जीवन के बारे मे सुनकर सागरिका जीवन को जानने के लिए उत्सुक हो जाती है ।जब वो दोनो घर पहुँचते है ,तब नानाजी को देखते ही सागरिका उनसे जीवन के बारे मे पूछ पाती? ,उससे पहले ही ,नानाजी बेटी कल जन्माष्टमी है

25

ऐसा प्यार

8 अक्टूबर 2023
1
1
0

ओओजीवन की जिंदगी से जुड़ी बाते सुनकर सागरिका को गांव वालो के भोले पन को देख कर ऐसा लगता मानो लोग भोले पन का मुखुटा लगा रखे थे । क्योंकि वो जान गई थी ,की जीवन को गांव छोड़ कर बाहर जाने

26

ऐसा प्यार

10 अक्टूबर 2023
1
1
1

पड़ आज उसी बक्त की आँख -मीचौली की वजह से जीवा एक बार फिर। से सागरिका की आँखों के सामने जीवन के रूप मे आ खड़ा हुआ था ।और जीवा की आँखों मे भी वो प्यार जिसे उसने कभीभी सागरिका से ब्या नही किया था ।वो प्यार

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए