सुबह हो चुकी थी । सागरिका एक नये उत्साह के साथ घर से निकल चुकी थी ।और बस स्टॉप पर पहुँचते ही उसकी नज़र जीवा को ढूंढने लगी ।पड़ जीवा आज बस मे था ,ही नही ।सागरिका निराश होकर अपने काम पर चली गई ।वो काम पर आ तो गई थी पड़ उसका ध्यान तो जीवा मे ही ,लगा रहा ।काम से छूटते ही वो तेज़ कदमो से चल कर बस स्टॉप पड़ आई ।और वो फिर जीवा को ढूंढने लगी ।पड़ जीवा तो बस मे था ,ही नही ।वो फिर मायूस होकर घर चली आई ।अब तो ये सिलसिला रोज़ का हो गया था ।सागरिका रोज़ अपने मन मे एक उम्मीद लिए घर से निकलती की आज शायद जीवा ज़रूर मिल जायेगा ? पड़ हर रोज़ उसे निराशा हि मिलती ।ऐसा लगभग पंद्रह दिनों तक हुया ।अब तो सागरिका का धैर्य जबाब देने लगा था ।इसलिए उसने जीवा के जगह काम करने वाले उसके साथी से जीवा के बारे मे पूछा तो सागरिका की आँखों के सामने अंधेरा छा गया ।जीवा के साथी ने बताया की उसके गाँव से फोन आया था ,की उसकी पत्नी हॉस्पिटल मे भर्ती थी ।सो वो गांव गया हुआ है ।ये बात सुनते ही सागरिका बेज़ान सी हो गई ,उसे ये तक अहसास नही था ,की वो करे तो -करे क्या ?वो रह -रह कर रुआसी हो उठी थी ।की जीवा पहले से ही शादी -शुदा था । जीवा की इस सच्चाई है वाकिफ होकर सागरिका टूट चुकी थी ।वो जीवा की यादो मे खो सी गई थी । और जीवा को उस बक्त से याद करने लगती है ,जिस दिन जीवा उसे पहली बार मिला था ।उस दिन से लेकर जितनी बार भी वो जीवा से मिली थी वो सारी यादें एक -एक करके सागरिका की आँखों के सामने आने लगा था । इन यांदो का पीड़ा कितना असहनीय लग रहा था ।की सागरिका की हालत पागलो जैसी हो गया था ।तभी तो वो बेसुध सी सड़कों पड़ चली जा रही थी ।एक बार तो वो एक गाड़ी से बाल -बाल बची ।गाड़ी वाले को बहुत गुस्सा आया ।वो अपनी गाड़ी से उतर कर सागरिका को बुरा -भला सुनाने हीं बाला था ।की सागरिका को देखते ही उसकी बोलती ही बंद हो गई थी । वो उसे देख कर मुस्कुराने लगा और कहा मै कब से आपसे मिलना चाह रहा था ।वो आप मुझे नही जानती पड़ मै आपको जानता हुँ ।मै राधे हुं वही राधे जिससे आपकी शादी होनी वाली थी ।पड़ कुछ गलत फैमियों के करण हमारा रिस्ता होने से पहले ही टूट गया था । वो उस दिन हुआ यूं था ,की जिस दिन आप मुझसे मिलने आ रहीं थी। उसी दिन मेरे मोबाइल पर आपका एक लड़के के साथ फोटो आया था जिसमे आप भींगी -भांगी सी हांथो मे गुलाब का फूल लिए एक लड़के को फुल दे रही थी । मै समझा ये फोटो आपने मेरे मोबाइल पड़ भेजा होगा ?ताकि मै आपसे शादी के लिए मना कर दूँ ।मुझे लगा आप उस लड़के से प्यार करती होंगी ? पर ये मेरी गलतफैमि थी ।की आपने वो फोटो मुझे भेजी थी ।वो फोटो तो मेरे हीं एक दोस्त ने मुझे भेजी थी ।वो मेरे दोस्त ने बताया की वो सड़क किनारे चाय की टपरी पर बैठा चाय पिने का आनंद ले रहा था । की उसने सड़क पर आपको देखा तो आप बस पकड़ने के लिए आप अपना एक हांथ उस बस वाले की हाँथो मे रखती है तो वो बस का लड़का आपको बस मे चढ़ाने के लिए एक हांथ से आपकी हांथ पकड़कर् बस मे चढ़ाते समय दूसरे हाँथ से आपकी हाँथो का गुलाब भी अपनी हांथो मे ले लेता है । ।सड़क के किनारे बैठा मेरा दोस्त ये सब देख रहा था ।ये सब देखने मे इतना अच्छा लग रहा था , की वो इस दृश्य को अपने मोबाइल के कैमरे मे ऐसे उतार लेता है । और उसे मेरे मोबाइल पर भेज देता है ।
।क्योंकी मेरा मौडलिंग का बिज़नस है ,तो इस बजह से मुझे अक्सर नये चेहरे की तलाश रहती है । जैसे हि आपका फोटो मेरी मोबाइल पड़ आया मै आपको देख कर ये तक भूल गया की ये आया किस नम्बर से है ।मेरी आँखों पड़ तो जैसे पर्दा सा पड़ गया था ।की ये तो बस आप ही भेज सकती होंगी ? पर मुझे इस बात का पता अपने दोस्त से उस बक्त चली जब मै उसे नये चेहरे की तलाश करने के लिए कहा तो ,उसने कहा ।अभी कुछ महीने पहले ही तो उसने एक नए चेहरे की तस्वीर भेजी थी तब मैने उसे फिर से वही तस्वीर भेजने के लिए कहा तो ,उसने भेजा मै उससे मिलकर कहा ये तेरी होने बाली भावी है तुम्हे कहाँ मिल गई ।उसने सारी बाते बता दिया ।और हाँ मेरे दोस्त ने उस तस्वीर को फेसबुक पर भी अपलोड किया था ।तब से उसके लाइक और फ्लर्स भी बढ़ गये है । और क्या कहे आपसे वो पल था ,ही इतना खूबसूरत की मै तो क्या किसी की भी आँखे धोखा खा जाए की ये लड़का और लड़की दो अज़नबी नही प्रेमी है । जब से मेरे दोस्त ने आपकी सच्चाई मुझे बताई है ,तब,से ही मै आपसे मिलना चाह रहा था।क्योंके मेरी नज़र आप पड़ ही रुक सा गया है ।मै आज भी आपसे शादी करने के लिए तैयार हुं ।और मुझे नही लगता की घर वालों को सारी सच्चाई बताने के बाद वो रिश्ते के लिए तैयार नही होंगे ?