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ऐसा प्यार

8 अक्टूबर 2023

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ओओजीवन की  जिंदगी से  जुड़ी बाते सुनकर सागरिका को गांव वालो के भोले पन  को देख कर ऐसा लगता मानो लोग भोले पन का मुखुटा लगा रखे थे । क्योंकि वो जान गई थी ,की जीवन को गांव छोड़ कर बाहर जाने के लिए मज़बूर करने वाले गांव के ही लोग थे।और उसकी पत्नी वो भी गांव वालो के तानो से उब कर ही दुनिया से चली गई थी ।  सागरिका ये बाते नानाजी से भी कहती है की गांव वालो के चहरे पड़ भोलेपन का मुखौटा लगा है ।तबनानाजी उसे समझाते है के ऐसी कोई बात नही है बेटा सारे लोग थोड़े न कुटिल प्रवृति के हो सकते है?ऐसा तो हर जगह जगह देखने को मिलता है,की कुछ लोग गंदी  प्रवृति के होते है ।तब सागरिका समझ जाती। है ,की नानाजी की बात सही है । वो बातो -बातो मे नानाजी से पूछ बैठती है,की नानाजी क्या कल जन्माष्टमी के दिन जीवन मंदिर आएगा ?तब नानाजी कहते है ,की शायद आ भी सकता है ,और नही भी !सागरिका अपने मन  को ये कहकर।       लेती।   है ,  की, की  अब जब वो गांव मे है ,तब वो जीवन से मिलकरही जाएगी ?वो अपने मन मे ये मंथन कर ही रही थी ,की नानाजी उसे कहते है,की बेटी कल समय से तुम और राघे तैयार रहना मंदिर जाने के लिए ।  और हा एक बात तो मेरे दिमाग़ से उतर ही गया , जीवन का जन्म जन्माष्टमी के दिन मंदिर मे ही हुआ था ।जब उसकी माँ गर्भवती थी तब वो अपने पती के साथ मंदिर मे पूजा करने आई थी। सब लोग कृष्ण जन्म की रंग मे सराबोर हो चुके थे ,की तभी उसकी माँ को प्रसब पीड़ा होने लगी वो मंदिर प्रांगण मे ही दर्द से कराह उठी ।वो प्रांगण को पार कर हॉस्पिटल जा ही रही होती है ,की  माखन की मटकी उसकी माँ के सर पड़ गिर जाती है ।लोग घबरा जाते है ,की मटकी की चोट से सिर तो फुट ही गया होगा? पर ये किसी आश्चर्य से कम नही था ,उसकी माँ भी डर से अपनी आँखे बंद कर चुकी थी ।पड़ जब उसने अपनी आँखे खोली तो जीवन का जन्म हो चुका था ।और सारे लोग एक साथ बोल पड़े जीवन आया है।उसी दिन से जीवन का नाम जीवन पड़ गया था ,की उसने अपनी माँ कों नाया जीवन दिया था ।ऐसा  लोगो का कहना था की मटकी गिरने के बावजुद भी ,उसकी मां का एक बाल भी बाका नही हुआ था । पड़ जब से उसकी मां उसे छोड़ कर चली गई तब से उसने अपना नाम जीवन से इससे पहले वो उसका बदला नाम बता पाते उससे पहले गांव के पुरोहीतजी आवाज़ देते हुए वंहा आते है,और राधे के नानाजी से कहते है,की वैसे तोआपको न्योता तो पहले ही दे। ही चुके है,पड़ यही से गुज़र रहा था इसलिए  सोंचा एक बार फिर से आपको याद दिलाता चलू ।ताकि आपलोग  मंदिर सही बक्त पड़ पहुँच सके ,और हाँ और हाँ बहुरानी को भी लेते आइयेगा ? अच्छा मै चलता हुँ।फिर पुरोहितजी के जाते हीं नानाजी सागरिका को जल्दी से तैयार होकर चलने के लिए कहते है ।फिर सारे लोग मंदिर पहुँच जाते है ।सागरिका  मंदिर की सजावट देख कर दंग थी ।मंदिर को इतनी खूबसूरती से सजाया गया था ,की उसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी उस रात । लोग बड़ी बेसब्री से मटका फूटने का इंतज़ार कर रहे थे ।ताकी लोग भगवान् कृष्ण को भोग लगा कर  जन्माष्टमी  की मश्ती आँखों मे लिए  अपने घर जा सके ।वंहाँ की खूबसूरती को तारते सागरिका की आँखे रज़ हीं नही रही थी ।बस वो उन खूबसूरत लम्हो को निहारते हीं जा रही थी ।की उसी दौरान उसकी नज़र एक इंसान पड़ पड़ी  जो मंदिर की सीढ़ियों पड़ एक थाली मे लाल  गुलाल लेकर  सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था । सागरिका उसे देख कर आश्चर्य से खड़ी थी ।की तभी उसी बक्त  मटकी के फूटने से जोड़ का शोर उसकी कानो मे गुंज पड़ती  है । की तभी वंहाँ नानाजी आकर कहते हैं, की अरे बेटी राधे कहा है? मुझे उसे जीवन से मिलवाना है ।लगता है वो भीड़ मे घीरा पड़ा होगा ?पड़ तुम भी तो जीवन से मिलना चाहती थी न!वो रहा जीवन जो मंदिर  की सीढ़ियों से नीचे उतर रहा है ।सागरिका गुमसुम सी जीवन को देखती रही ।नानाजी उसका हांथ  पकड़ कर जीवन के सामने ले जाकर खड़ा कर जीवन से कहते है ,की अरे बेटा रुको -रुको तुम तो इतने खोये हो की मै तुम्हारे सामने खड़ा हुँ ।और तुम मुझे देख तक नही रहे हो ।खैर ये सब छोड़ो जब से तुम शहर से अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार करने आये हो तब से तुम गांव मे ही हो पड़ एक बार भी घर नही आये ।और मेरी नतीनबहु कब से तुमसे मिलना चाह रही थी ।सो मिलो ये राधे की पत्नी सागरिका है ।और बहु ये ही जीवन है ।दोनो की नज़रे एक दूसरे को देख कर   पहचान तो गई थी पड़ दोनो की ज़ुबान् खामोश हो चुकी    थी ।   सागरिका जीवन को ऐसे देखरही थी की बक्त की आंख्मीचौली ने उसके दामन से जीवा का प्यार  छीन लिया था ।







 
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रचनाएँ
ऐसा प्यार
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सागरिका ,उस दिन अपने होने वाले पति से पहली बार मिलने ,के,लिए जा रही थी।शायद वो थोड़ी लेट हो चुकी थी। सुबह का समय था। बारिसो का सीजन चल रहा था। कुल मिलाकर उस दिन मौसम सुहाना सा था।सागरिका जब घर से निकली ही थी,की , हलकी हवाएं और बारिसो की बुंदे भी अपने घर से मानो चल ही परे थे।सागरिका उन बूंदो से बचने के लिए तेज कदमो के साथ सरको पर चल परी थी।पर वो कहावत तो सुनी होगी आपने की तुम डाल -डाल तो हम पात-पात् यही उसके साथ भी हो ,रहा था।जैसे -जैसे उसके कदमो की चाल तेज होती जा रही थी ,ठीक वैसे -वैसे ही हवाएं और बूंदो की। च।ल भी बढ़ती ही जा रही थी। इसी होर की आपा -धापी मे वो सरक पर पहुंच कर बस का इंतजार करने लगी थी।वो तो रुक चुकी थी ,पर हवाएं और बारिसे की बुंदे तो और भी तेज हो चुकी थी।हवा कीत तेज झोंको ने उसकी छतरी को दूर जा उराया था। छतरी के उरते ही बूंदो ने उसे भींगा दिया था। अब तो उसकी नजरें मानो आति-जाती गरियों के रुकने का इंतज़ार करने लगी जो ,की पहले से ही भरी रहने के कारण रुकने का नाम भी नही ले रही थी ।फिर एक बस आती दिखी तो सागरिका ने बस को रुकने का इशारा किया ।मगर ये बस भी आगे निकल गई थी ।वो बस खुली आँखो ,बस को जाति देखती रह गई की,तभी उसके कानो मे एक आवाज गुंजी,वोआवाज जीवा की थी।वो बस अभी भी धीमी गति से बढ़ी जा रही थी।जीवा ने आवाज दिया अरे ओ मैडमजी जल्दी आइये वरना आधी तो आप पहले से हि भीगी हुई है।बाकी आधा फिर से भीगने का इरादा है क्या ?,जल्दी आइये सागरिका उसकी बस की ओर लपकी ,मगर वो चढ़ने मे संकोच। कर रही थी।जीवा ने फिर कहा अरे मैडमजी गरी धीमी है ,इसलिए आप चढ़ सकती है।इतना विश्वाश रखिये आपको गिरने नही देंगे हम।इतना कहते हुए वो एक हाथ से उसके हाथ से गुलाब के फूलो का गुच्छा लेते हुए दूसरे हाथ उसे1 उसे बस मे खींच लेता है।बस मे तिल तस्कने भर की भी जगह नही थी। सागरिका हैरंगी भरी नजरों से उसे चिढ़ते हुए देखने लगी ।वो फूल जो उसने ले लिया था ,इसलिए वो उसे गुस्से से देख रही थी।पर दूसरे ही पल वो उसे समझ गई थी की। उसे ये तक पता नही था ।की गुलाब का फूल किसे और क्यों दिया जाता है। उसके भोलेपन सेही ये लग रहा था ,की वो किसी गाँव् से शहर आया था। ।वो सागरिका को फूल वापस कर चुका था ।जीवा मे एक अज़ब ही फूरती थी ।शायद ये उसकी काम की शर्ते थी। बस अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी ।
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ऐसा प्यार ।

25 जुलाई 2023
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जिसकी मंजिल आती गई वो

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28 जुलाई 2023
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और जिसकी मंजिल जहा आ जाती वो ,,वही बस से उतराता चला जाता ।

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ऐसा प्यार।

28 जुलाई 2023
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तो, रास्ते मे कुछ नए लोग फिर से अपनी मंजिल की ओर जाने के लिए चढ़ जाते ।और जीवा इन्ही नए - पुराने मुसफिरो के बीच शायद अपनी भी मंजिल बना चुका था ,की वो उन मुसफिरो को उनकी मंजिल तक पहुँच

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ऐसा प्यार।

2 अगस्त 2023
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क्योंकी जब भिसागरिका जीवा की आँखों मे देखती तो जीवा अपनी नज़रो को झेपकर् हटा लेता और,इसलिए वो,बार-बार् जीवा की ओर देखती थी ।जीवा की ओर सागरिका का बार - बार देखने का करण था सागरिका ये ,इमैजिन&nbsp

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ऐसा प्यार

2 अगस्त 2023
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उन बूंदो की छीते मूह् को छु कर गुज़र जाती ।भींगते रस्ते- झूमत पेड़ो की डालिया उन रहो से गुज़रते कुछ भीन्गते रह गुज़र उनमे से कुछ रह गुज़रो के हांथो मे छतरी थी ।तो, वो अपनी मंजिल क ओ

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ऐसा प्यार ।

3 अगस्त 2023
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जगह जगह पर मकई के भुट्टे हरी मिर्च और नमक के साथ अपनी दुकान लगा कर बेच रहे थे ।एक हलवाई की दुकान पर चाय की केतली मे से चाय की ढेर सारी भाँपे एक साथ निकल रही थी ।और उस दुकान मे रेडियो

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ऐसा प्यार।

3 अगस्त 2023
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ऐसे टूट परा था ।मानो इस मौसम के आने का मज़ा तो उन जलेबियों और कचौड़यो के खाने के बाद दुगना हो गया होगा ? सागरिका ये सब देखती हुई थक ही नही रही थी । सागरिका, शायद;उन नज़ारो

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ऐसा प्यार ।

4 अगस्त 2023
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तो दोनो एक दूसरे को पहचान लेते और, की ये तो सुबह की हि बस वाला है। और जीवा भी सागरिका से भले ही न कह पाया था,की ये तो सुबह वाली मैडम जी ही है।पर उसकी आँखों&nb

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ऐसा प्यार

5 अगस्त 2023
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पर बिना कुछ बोले हि सागरिका बस मे चढ़ कर सीधेअपने घर जाकर घर वालो से कहती है ,की राधे मिलने आया हि ,नहीं था। सरे घर वाले उसकी बात सुन कर उसकी ओर आश्चर्य से उसकी ओर देखते है ।मानो वो ये सुनना नही

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ऐसा प्यार

6 अगस्त 2023
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सागरिका भी ये समझ चुकी थी ,कि राधे शादी करने से इंकार कर चुका था ।पर उसने इंकार क्यों किया था ।ये सब की समझ से परे था ।

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ऐसा प्यार।

7 अगस्त 2023
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और किसी दिन काम पर जाते समय उसकी बस नहीं भी मिलती तो जाते वक़्त मिल हि जाती थी ।इस तरह उन दोनो की मुलाक़ात रोज़ हो जाया करती थी। फिर दोनो एक दूसरे को जानने और पहचानने लगे थे ।ये पहचान धीरे -धीरे दोस्ती क

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ऐसा प्यार ।

10 अगस्त 2023
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अगर आप पूजा करने आई हैँ तो यहाँ सीढ़ियों पर बैठ कर क्या कर रही है ? लगता है आप ये दर्शन के लिये लाइन मे लगे लोगो की भीड़ देखकर यंहा बैठ गई है क्या ?तो ये भीड़ त

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ऐसा प्यार ।

11 अगस्त 2023
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पर शायद वो भी मेरी किस्मत को मंजूर नहीं । तब जीवा कहता है की, क्या बात हुई है मैडमजी आप साफ -साफ कहिये न कहता है सागरिका कहती है की मै ट्यूरिस्ट गाइड का काम करती हुँ और मेरा आइडेंटी

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ऐसा प्यार ।

12 अगस्त 2023
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फिर। घर पहुँच कर सागरिका खाना खाने के बाद अपने कमरे। मे जल्दी सोने के लिए चली जाती है । बिस्तर पर पहुंचते ही वो जल्द ही नींद की असगोश मे समा जाती है । फिर सुबह जब वो ब

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ऐसा प्यार ।

13 अगस्त 2023
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मंदिर प्रांगण मे संयोग वस बेलवपत्र का छोटा सा वृक्ष लगा था ।सागरिका स्नान करने के बाद वेलवपत्र के पत्ते तोड़कर जल भरने के लिए पात्र खोजने लगी ।मगर आस-पास् कोई पात्र नही

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ऐसा प्यार ।

15 अगस्त 2023
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भीड़ अत्यधिक मात्रा मे थी ।फिर भीड़ की हवा -गव से पटा चला शहर मे शिवरात्री की शुभ अवसर पर कोई सेलिब्रेटी आया हुआ था ।इसिलिय लोग उसी सेली ब्रेटी की एक झलक पाने के लिए लोग लाखो की संख्या मे&nb

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ऐसा प्यार ।

17 अगस्त 2023
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वहाँ से निकलने के बाद सागरिका अपने घर चली जाती है ।और जीवा अपने काम पड़ ।सागरिका के घर जाते ही सारे घर वालो के चहरे पर एक ही सवाल नज़र आ रहे थे&nbsp

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ऐसा प्यार ।

20 अगस्त 2023
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रात की हर पहर बीतने के बाद वो खिड़की से आसमान की ओर देखने लगी चांद अभी भी चमक रहा था ।शायद रात्री की अखाड़ी पहर अभी शेष थी । चांद की चमक मे मानो सागरिका को सब कुछ नज़र आने लगा था ।वो इस अहसास

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ऐसा प्यार ।

21 अगस्त 2023
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सुबह हो चुकी थी । सागरिका एक नये उत्साह के साथ घर से निकल चुकी थी ।और बस स्टॉप पर पहुँचते ही उसकी नज़र जीवा को ढूंढने लगी ।पड़ जीवा आज बस मे था ,ही नही ।सागरिका निराश होकर अपने काम पर चली ग

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ऐसा प्यार ।

30 अगस्त 2023
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पड़ आपका क्या कहना है ?क्या आप आज भी जो गलत। भी गलत फैमी हुई है ,उसे भुला कर एक बार फिर से मुझे अपनाना चाहेंगी ? सागरिका उसकी बातो का कोई जाबब नहीं देती ।वो उसकी ओर देख कर

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ऐसा प्यार ।

31 अगस्त 2023
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सागरिका खामोश रही ।मानो वो स्वीकार कर चुकी थी ,की चांद उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी ।फिर राधे वैसे मै तो आज बहुत खुश हुं, सो अपनी खुशियाँ बांटने आया था ।और आप क्या करने आई थी?सागरिका का दिल तो रो रह

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ऐसा प्यार ।

2 सितम्बर 2023
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सागरिका ने राधे से प्रेम तो नहीं किया ,पड़ वो उसे अपने भाग्य की लेखनी मान कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेती है ।पड़ वो जिस रिश्ते मे राधे के साथ बंधी थी ।वो रिश्ता निभाने तक तो ठीक था ।पड़ उस रिश्ते को

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ऐसा प्यार ।

11 सितम्बर 2023
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ये कहता है की इसके बारे मे उसे ज्यादा तो नहीं पता बस इसके बारे मे वो इतना हि बता सकता है, की जीवन नाम का कोई लड़का था ,जिसे चित्र कारी का बड़ा शौक था ।वो जब छोटा था ,तभी वो नानाजी से चित्र कारी सी

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ऐसा प्यार ।

5 अक्टूबर 2023
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जीवन के बारे मे सुनकर सागरिका जीवन को जानने के लिए उत्सुक हो जाती है ।जब वो दोनो घर पहुँचते है ,तब नानाजी को देखते ही सागरिका उनसे जीवन के बारे मे पूछ पाती? ,उससे पहले ही ,नानाजी बेटी कल जन्माष्टमी है

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ऐसा प्यार

8 अक्टूबर 2023
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ओओजीवन की जिंदगी से जुड़ी बाते सुनकर सागरिका को गांव वालो के भोले पन को देख कर ऐसा लगता मानो लोग भोले पन का मुखुटा लगा रखे थे । क्योंकि वो जान गई थी ,की जीवन को गांव छोड़ कर बाहर जाने

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ऐसा प्यार

10 अक्टूबर 2023
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पड़ आज उसी बक्त की आँख -मीचौली की वजह से जीवा एक बार फिर। से सागरिका की आँखों के सामने जीवन के रूप मे आ खड़ा हुआ था ।और जीवा की आँखों मे भी वो प्यार जिसे उसने कभीभी सागरिका से ब्या नही किया था ।वो प्यार

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