"यह एक ऐसी कमसिन लड़की की कहानी है जो अपनी उमड़ती हुई जवानी से अंजान थी। उसकी माँ उससे पेशा कराती थी और वो समझती थी कि हर लड़की को यही करना होता है। उसे दुनिया देखने और खुली फ़िज़ाओं में उड़ने का बेहद शौक़ था।
हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। 'प्रतिज्ञा' उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घु
श्रीकान्त वर्मा की कविताओं में कवि के अनुभव आज के जीवित संस्कारों से सीधे टकरा रहे हैं। कवि को मालूम है कि राजनीति के घुसपैठियों ने शब्दावली बदल-बदल कर लम्बे-चौड़े वादों से जनता को बहकाया है और जनता मूर्खों की तरह उस तरफ आशा लगाए बैठी है। श्रीकान्त
दादा कामरेड पहली बार 1941 में प्रकाशित हुआ था। इसे हिंदी साहित्य में एक अग्रणी राजनीतिक उपन्यास माना जाता है। उपन्यास अर्ध-आत्मकथात्मक है, और हरीश नाम के एक युवक की कहानी कहता है जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो जाता है। उपन्यास स्वतंत्रता, स
यह संसार तो दुःख रूप आप ही है इसमें सुख का तो केवल आभास मात्र है। ... कुछ चिन्ता नहीं तेरा तो बाना है कि कितना ही भी 'दुख हो उसे सुख ही मानना' लोभ के परित्याग के समय नाम और कीत्र्ति तक का परित्याग कर दिया है और जगत से विपरीत गति चलके तूने प्रेम की टक
अवलोकन: "फाइंडिंग स्ट्रेंथ इन डेस्पेरेशन" एक शक्तिशाली और प्रेरक पुस्तक है जो मानवीय अनुभव की जटिलताओं और लचीलेपन, आशा और मानवीय संबंध की परिवर्तनकारी शक्ति का पता लगाती है। इस पुस्तक में, हम मानसिक कल्याण, जीवन की चुनौतियों से निपटने और रोजमर्रा
सूरदास जी हिन्दी साहित्य में भक्तिकाल के प्रसिद्ध और महान कवि थे। सूरदास जी भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उनकी रचनाएं दिल को छू जाती हैं। ऐसे में उन्हें हिंदी साहित्य का सूर्य भी माना जाता है। सूरदास जी ने
हम कहते हैं कि अपने आप को सम्मोहित करके वह कार्यक्रम जो हम कर नहीं पा रहे आप वह करना चाहते हैं 2 दिन बाद नहीं कर पाते हैं तो अपने आप को अगर आप सम्मोहित कर कर अपनी वॉक की आदत को डेवलप कर सकते तो इसमें क्या बुराई है और ऐसे बहुत सारे कार्य आप कर सकते है
‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। कविताओं की भाषा गढ़ने के ल
भोर हुई और सांझ हुई कई कल्प जमाने बीत गए कवियों की लेखनी से निकले गायक ने गाये गीत नए दुल्हन धरती को बना दिया फिर धरती का श्रृंगार किया यह अपनी प्यारी धरती मां कह- कहकर जय- जयकार किया कविता की प्यारी पंक्ति, उस में व्याप्त जग सारा है तू ही मेरी
*शिवविचार प्रतिष्ठान* *१६ आॅगस्ट इ.स.१६६२* "अण्णादी दत्तो प्रभूणीकर" हे वाकनिशी करत होते, त्यांना छत्रपती शिवरायांनी सुरनिशीचा हुद्दा सांगितला. *१६ ऑगस्ट इ.स.१६८१* आतापर्यंत केवळ मराठी मुलखाचीच नासधूस करणारा सिद्दी १६ ऑगस्ट पासून इंग्रजांनाही त्रास द
विविध विषयों पर आधारित संस्मरण डायरी के रूप में।
इस डायरी में अपने मन के विचारों को व्यक्त करने की कोशिश की हे
चित्रावली उपन्यास का मूल अर्थ है,निकट रखी गई वस्तु किंतु आधुनिक युग में इसका प्रयोग साहित्य के एक विशेष रूप के लिए होता है। जिसमें एक दीर्घ कथा का वर्णन गद्य में क्या जाता है। एक लेखक महोदय का विचार है, कि जीवन को बहुत निकट से प्रस्तुत कर दिया जाता ह
सत्य का हमारे दृष्टि में मूल्य नहीं है इसलिए हम विश्वासी बने हुए हैं। सत्य का हमारी दृष्टि में मूल्य होगा, तो हम विश्वासी नहीं हो सकते, हम खोजी बनेंगे। हमारी प्यास होगी, हम जानना चाहेंगे। ऐसा ओशो ने कहा है और उनकी इस किताब में आपको सत्य की प्यास क्या
तवायफ की जिंदगी को उजागर करतीं.... एक बेहद संवेदनशील और विचारणीय... कहानी....।।।। एक ऐसी लड़की की कहानी.... जो चाहतीं कुछ थी और मिला कुछ...।।।
वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ