आज जो बालिकाओं के साथ हो रहा है। उसने अत्याचार की हर सीमा को पार कर दिया है। एक तरफ तो हम समानता और मानवाधिकार की बाते करते हैं। और दूसरे तरफ उनके अधिकारों का हनन करते हैं। सरकार बालिकाओं के अधिकार के विषय में बात करती है। किंतु जमीनी हकीकत कुछ और है। आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर छोटी उम्र में बालिकाओं की शादी करा दी जाती है। जिस उम्र में उन्हे पढ़ना लिखना चाहिए। उनके नाजुक कंधो पर परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है। और उनका पूरा जीवन इसी संघर्ष में चला जाता है। कभी कभी तो उसके पैदा होने से पहले ही। उनके जीवन का अंत कर दिया जाता है। उनके सपने शुरू होने से पहले ही खतम हो जाते हैं। बालिकाओं को समान रूप से अवसर दिए जाने चहिए। तभी उनका सम्पूर्ण विकास हो पाएगा।