सब्र याने धीरज जो आज के समय में होना तो सबके पास चाहिए पर रखता कोई नहीं है
हर किसी के अंदर जल्दी सब कुछ पा लेने की ईछा है. हमारा प्रयास कितना भी अच्छा हो
पर उससे आगे हमारा प्रारब्ध झंडा लिए खड़ा होता है गाड़ी में पेट्रोल डलवाना जरूरी है
पर पेट्रोल पंप पर कोई भी खड़ा नहीं होना चाहता है मोबईल में रिचार्ज जरूरी है पर शॉप
पर कोई वेट नहीं करना चाहता है मन तो बस बंदर की तरह इस पेड़ से उस पेड़ पर उछल कूद
करता रहता है . मन को कहां चैन इसकी गति तो घडी के सेकंड कांटे से भी तेज है
. इसका बस चले तो 5 मिनट के अंदर समुन्दर की गहराई से निकलकर माउंट की ऊंचाई
हो कर वापस आ जाए , किसी मार्किट मे जाओ तो हर चीज को खरीदने का मन करता है
जिसके कारन सही चीज हमारे हाथ से निकल जाती है , मन आदत के सहारे चलता है .इसे धीरेधीरे काम करना बिलकुल भी पसंद नहीं है . जल्दी को गर्व की बात समझता
है प्रतीक्षा करना इसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता है . सोचता हु इसे कैसे
कंटोल करू पर ऐसा हो नहीं सकता क्यूंकि हमारे पास सिर्फ दो हाथ है मगर इनके
पास हजारो हाथ है . मन महराज आपकी लीला अपरम्पार है
और आपको मेरा प्रणाम है .