आज शरद पूर्णिमा का पावन पर्व है। इस पर्व की पवित्रता इतनी की चंद्रमा भी अमृत वर्षा करती है। आज की रात्रि चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होती हैं। और उसकी पूर्णता का सौंदर्य पूरी पृथ्वी पर प्रकाश के रूप में फैलती है। इसी शरद पूर्णिमा पर प्रभु श्री कृष्ण ने महारास लीला की थीं। सामान्यतः देखे तो यह प्रभु श्री कृष्ण का नृत्य है। पर इस महारास को समझ पाना भौतिक बुद्धि से संभव नहीं है। जैसे श्री कृष्ण अदभुत है। वैसे ही उनकी लीलाएं भी अदभुत है। आज के दिन तो ब्रज का वातावरण ही विशेष हो जाता है। जहां प्रत्येक गोपी के पास उनका अपना एक कृष्ण है। सिर पर मोर पंख लगाए। हाथ में लिए मुरली। मुरली से निकलती मीठी तान। उस पर कृष्ण और गोपियों का नृत्य गान। निधी वन में खड़े हुए हजारों वर्षों से वे वृक्ष। महाप्रभु की महारास की प्रामाणिकता को सिद्ध करते है।