मनोज की इस जिद्द के आगे मैं मजबूर हो गया और मैं आशा के पास गया जहाँ वो अपनी फ्रेंड के साथ
बैठकर स्मार्ट लड़को के बारे में चर्चा कर रही थी उनके कपडे ,रहन सहन का तरीका उनके स्टाइल की
चर्चा कर रही थी ये सब देखकर मुझमे हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं मनोज के बारे में कोई चर्चा करू
आशा के मन में बहुत भीड़ थी औरउस भीड़ में मनोज के लिए कोई जगह नहीं थी . मनोज से जाकर
मैंने झूट बोला कि उसकी शादी तय हो चुकी है वह ये सब नहीं सकती है. जब मैं मनोज के पास
गया और सारी बात तो थोड़ी देर शांत रहने के बाद बोला भाई अभी शादी होने वाली है हुई तो नहीं
तुम जाकर एक बार और प्रयास करो , तुमने ठीक से प्रयास नहीं किया .अब मैं विवश होचूका था
जैसे तैसे बड़ी हिम्मत जुताई ऐसा लग रहा था मनो महाभारत का यूद्ध लड़ने जा रहा हूँ
जहाँ मेरी हार निश्चित है . आशा से मैंने मनोज के प्रेम प्रस्ताव के बारे में कहा तो वह हँसते हुए
बोली अच्छा वो पागल मनोज जिसे न तो कपडे पहनने की तमीज है और न लड़कीओ से बात करने
की . ये सब सुनकर मेरी आँखे गुस्से से लाल हो गयी ,किसी तरह खुद को शांत कर मैंने कहा
तुम्हे वो वह नही पसंद कोई बात नहीं पर प्लीज् अपनी कड़वी बातो से उसका दिल मत दुखाना .
मनोज को मैंने बहुत समझने का प्रयास किया . पर वह उल्टा मुझे ही गलत समझने लगा .
फिर एक दिन उसने आशा को किसी लड़के के साथ देखा जो बहुत आकर्षक था ,धीरे धीरे मनोज
को समझ आ गया की वह आशा की पसंद नहीं बन सकता . जैसे ही वह पीछे मुड़ा उसने देखा
मैं पीछे खड़ा हूँ , हम एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे और फिर से हमारी दोस्ती हो गयी .
काश मैं मनोज के लिए कुछ कर सकता , पर कहते हैं न जो होता है अच्छे के लिए होता है . , . . , .