साहित्य की दुनिया का एक ऐसा नाम, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है हम बात कर रहे हैं
कहानीकार ,उपन्यास कर मुंशी प्रेमचंद की इनका वास्तिवक नाम धनपत राय था .इन्होने
अपने जीवन काल में 300 से भी अधिक कहानिया लिखी है . इन्होने उर्दू और हिंदी दोनों भषाओ में लिखने
का काम किया इनकी प्रमुख रचनाये है - सेवासदन (1918) प्रेमाश्रम (1922) , रंगभूमि (1925) ,
निर्मला (1925 ) इत्यादि महत्वपूर्ण थे . अपने समय में 300 से अधिक कहानी 18 उपन्यास की रचना की .
. इनकी इन्ही योग्यता के कारन इन्हे कलम का जादूगर खा जाता है . प्रेमचंद हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय
उपन्यास करो में से एक थे ,इनके दो उपन्यास शतरंज के खिलाडी , सद्गति पर फिल्मो का निर्माण भी हो ,
चूका है . प्रारम्भ के दिनों में पत्रिका माधुरी ,मर्यादा ,सरस्वती आदि का संपादन किया . उस समय
अंग्रेजो का राजदेश में हो रहे अत्यचार का विरोध वो अपनी कलम के माध्यम से किया करते थे .
उनका मानना था के आज जो भारत पर अंग्रेजो का शासन है उसका प्रमुख कारन राजाओ भोग - विलासपूर्ण
जीवन है . अंग्रेज इन्ही अवसरों का लाभ उठा कर हमारे देश पर राज किया करते थे , उन्होंने किसानो के तक़लीफो
अपने कलम के माध्यम से सजीव चित्रण किया है , महिलाओ पर उस समय बहुत अत्यचार हुआ करते थे .
छोटी उम्र में उनका विवाह कर दिया जाता था . दहेज़ प्रथा . बहु विवाह प्रथा इत्यादि जिनका उन्होंने
अपने कलम के माध्यम से पूरा विरोध किया . कलम के इस सिफाही को मैं पूरी श्रद्धा भाव से नमन करता हूँ .