ओलम्पिक में अपना पदक पक्का कर विनेश फोगाट ने इतिहास रच दिया है। फोगाट ओलम्पिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बन गई हैं।
उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की हे। देखा जाए तो यह अपनी गांव की भी पहली महिला रेसलर है। उनके गांव में रेसलिंग सिर्फ पुरषो का खेल माना जाता था। समाज की इस छोटी सोच को उन्होंने गलत साबित कर दिखाया। जहां छोटी उम्र में लड़की की शादी, घर का काम, काज संभालने के ही लायक समझा जाता था। उन्होंने इस सोच आज पुरी तरह से गलत साबित कर दिखाया है। लड़ाई चाहे अपने आप से हो या फिर देश के सिस्टम से वो हमेशा मजबूत इच्छाशक्ति से खड़ी रही। वो खेल जगत से जुड़ी है। जब भी उन्हें मौका मिला अपना बेस्ट दिया और देश का नाम रोशन किया। एक समय था जब महिला अपने आप को बहुत अधिक कमजोर समझती थी, पर वो समय गया। अब महिलाएं हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं।